फ़्रांस में 1 लाख से ज्यादा लोग राष्ट्रपति मैक्रों की नीतियों और बजट कटौती के खिलाफ सड़कों पर हैं। जानें 'ब्लॉक एवरीथिंग' आंदोलन की वजहें और इसका अब तक का असर।
By: Ajay Tiwari
Sep 10, 20251 hour ago
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फ्रांस. स्टार समाचार वेब
फ़्रांस में सरकार की नीतियों के खिलाफ बड़ा विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है। बजट में कटौती और राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के इस्तीफे की मांग को लेकर बुधवार को 1 लाख से ज्यादा लोग सड़कों पर उतर आए। ये प्रदर्शन ऐसे समय हो रहे हैं, जब देश के नए प्रधानमंत्री सेबास्टियन लेकोर्नू अपना पदभार संभालने जा रहे हैं।
इस व्यापक विरोध प्रदर्शन के पीछे कई प्रमुख कारण हैं:
राष्ट्रपति मैक्रों की नीतियां: प्रदर्शनकारियों का मानना है कि राष्ट्रपति मैक्रों की आर्थिक नीतियां अमीरों को फायदा पहुंचा रही हैं, जबकि आम जनता के हितों की अनदेखी की जा रही है।
बजट में कटौती: सरकार ने आर्थिक सुधारों के नाम पर खर्चों और कल्याणकारी योजनाओं में कटौती की है, जिससे मध्यम वर्ग और कामकाजी लोगों पर वित्तीय दबाव बढ़ गया है।
राजनीतिक अस्थिरता: पिछले दो सालों में फ़्रांस में पांच प्रधानमंत्री बदल चुके हैं। हाल ही में, अविश्वास प्रस्ताव के बाद फ्रांस्वा बायरू ने इस्तीफा दिया और अब सेबास्टियन लेकोर्नू को नया प्रधानमंत्री बनाया गया है। यह लगातार हो रही राजनीतिक अस्थिरता जनता के असंतोष को बढ़ा रही है।
'ब्लॉक एवरीथिंग' आंदोलन: वामपंथी राजनीतिक दलों और संगठनों ने 'ब्लॉक एवरीथिंग' (सब कुछ ठप करो) नाम से एक आंदोलन शुरू किया है। इसका उद्देश्य देश को पूरी तरह से रोककर सरकार पर दबाव बनाना है, ताकि वह प्रदर्शनकारियों की मांगों को माने।
गृह मंत्री ब्रूनो रेतेयो के अनुसार, इन प्रदर्शनों के कारण कई शहरों में हिंसा हुई है। रेन शहर में एक बस को आग लगा दी गई, जबकि दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में बिजली लाइन क्षतिग्रस्त होने से ट्रेन सेवाएं बाधित हो गईं। प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर आगजनी की और ट्रैफिक को रोकने की कोशिश की।
सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए 80,000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया है। अब तक 200 से ज्यादा उपद्रवियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। राजधानी पेरिस में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर कूड़ेदान फेंके, जिसके जवाब में पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। मार्सेय, टूलूज़ और कैएन जैसे शहरों में भी हिंसक झड़पें हुई हैं।
वेतन वृद्धि की मांग: पेरिस में कर्मचारी संगठनों ने श्रम मंत्रालय के बाहर वेतन बढ़ाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया।
राजनीतिक समर्थन: इस आंदोलन को वामपंथी दलों और प्रमुख मजदूर यूनियनों का समर्थन मिल रहा है, जो 18 सितंबर को होने वाली एक बड़ी राष्ट्रीय हड़ताल की तैयारी कर रहे हैं।
नए प्रधानमंत्री का कार्यभार: इन विरोध प्रदर्शनों के बीच, सेबास्टियन लेकोर्नू ने आधिकारिक तौर पर प्रधानमंत्री का पदभार संभाल लिया है। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती संसद में बजट पारित कराना है।
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