ब्रिटेन में काम कर रहे भारतीय युवक माधेश रविचंद्रन ने नस्लीय भेदभाव के मामले में KFC फ्रेंचाइजी के खिलाफ केस जीता। ट्रिब्यूनल ने कंपनी को ₹70 लाख का जुर्माना भरने का आदेश दिया।
By: Ajay Tiwari
Dec 28, 20254:38 PM
लंदन| स्टार समाचार वेब
ब्रिटेन की राजधानी लंदन में कार्यरत एक भारतीय युवक ने नस्लीय भेदभाव और अन्यायपूर्ण बर्खास्तगी के खिलाफ एक मिसाल कायम की है। तमिलनाडु के रहने वाले माधेश रविचंद्रन ने लंदन स्थित एक 'केएफसी' (KFC) फ्रेंचाइजी आउटलेट के खिलाफ कानूनी लड़ाई जीत ली है। रोजगार न्यायाधिकरण (Employment Tribunal) ने भारतीय कर्मचारी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कंपनी को 66,800 पाउंड (लगभग 70 लाख रुपये) का भारी मुआवजा देने का आदेश दिया है।
माधेश रविचंद्रन ने दक्षिण-पूर्वी लंदन के वेस्ट विकहम स्थित केएफसी आउटलेट में जनवरी 2023 में काम शुरू किया था। माधेश का आरोप था कि उनके श्रीलंकाई तमिल मूल के मैनेजर ने उनके साथ लगातार नस्लीय दुर्व्यवहार किया। मैनेजर ने न केवल उन्हें 'गुलाम' कहकर संबोधित किया, बल्कि पूरे भारतीय समुदाय को लेकर भी अपमानजनक टिप्पणी की कि "भारतीय धोखेबाज होते हैं।" न्यायाधिकरण ने पाया कि श्रीलंकाई तमिल कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जाती थी और माधेश की जायज छुट्टियों को केवल उनकी राष्ट्रीयता के कारण ठुकरा दिया जाता था।
रोजगार न्यायाधिकरण के न्यायाधीश पॉल एबॉट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि रविचंद्रन के साथ हुआ व्यवहार सीधे तौर पर नस्लीय भेदभाव की श्रेणी में आता है। जज ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि मैनेजर द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्द न केवल अपमानजनक थे, बल्कि वे माधेश की गरिमा को ठेस पहुँचाने के उद्देश्य से कहे गए थे। कोर्ट ने माना कि कंपनी ने उन्हें बिना किसी नोटिस के नौकरी से निकाल दिया, जो ब्रिटिश रोजगार कानून का स्पष्ट उल्लंघन है।
जुलाई 2023 में विवाद तब बढ़ा जब मैनेजर ने माधेश पर उनकी क्षमता से अधिक घंटों तक काम करने का दबाव बनाया। इससे परेशान होकर जब माधेश ने इस्तीफे का नोटिस दिया, तो मैनेजर ने फोन पर उन्हें धमकाया और गालियां दीं। ट्रिब्यूनल ने यह भी पाया कि कंपनी ने रविचंद्रन को अनिवार्य एक हफ्ते का नोटिस पीरियड या उसके बदले की तनख्वाह भी नहीं दी थी।
यह फैसला विदेशों में काम कर रहे उन हजारों भारतीयों के लिए एक उम्मीद की किरण है जो कार्यस्थल पर भेदभाव और शोषण का सामना करते हैं। कोर्ट के इस आदेश ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी कर्मचारी के साथ उसकी नस्ल या मूल स्थान के आधार पर दुर्व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।