इंदौर में रियल एस्टेट कारोबारी संजय दुबे के बेटे राजा को 30 घंटे अवैधानिक रूप से थाने में बैठाने और हथकड़ी लगाने पर हाईकोर्ट ने पुलिस पर सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने टीआई व स्टाफ पर विभागीय जांच और आपराधिक मामला दर्ज करने के निर्देश दिए।
By: Ajay Tiwari
Dec 04, 20252:41 PM
इंदौर. स्टार समाचार वेब
पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज एक मामले में रियल एस्टेट कारोबारी संजय दुबे की गिरफ्तारी के बजाय उनके इंजीनियर बेटे राजा को 30 घंटे तक थाने में बैठाए रखने पर गुरुवार को हाईकोर्ट की डबल बेंच ने कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा—“हथकड़ी तो लगा दी, बेड़ियां भी पहना देते।” अदालत ने पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया कि जिम्मेदार टीआई और संबंधित पुलिस कर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की जाए और उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाए। इस संबंध में रिपोर्ट दो हफ्ते में कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए गए।
याचिका राजा दुबे की ओर से वकील नीरज सोनी ने बंदी प्रत्यक्षीकरण के रूप में दायर की थी। सुनवाई जस्टिस विजय कुमार शुक्ला और जस्टिस बी.के. द्विवेदी की डिवीजन बेंच में हुई। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने चंदन नगर थाना प्रभारी इंद्रमणि पटेल को 30 घंटे का CCTV फुटेज प्रस्तुत करने को कहा था। शुरू में कठिनाई बताने के बाद टीआई ने फुटेज पेन ड्राइव में जमा किया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि थाने में भीड़ रहती है, इसलिए युवक के भागने की आशंका को देखते हुए हथकड़ी लगाई गई थी। इस पर अदालत ने कहा कि यदि ऐसी चिंता थी तो पैरों में बेड़ियां क्यों नहीं डाल दीं।
हाईकोर्ट ने 30 घंटे की अवैधानिक हिरासत पर पुलिस को फटकार लगाई।
कोर्ट ने टीआई और स्टाफ पर विभागीय जांच व आपराधिक मामला दर्ज करने का आदेश दिया।
CCTV फुटेज में राजा दुबे के हाथों में हथकड़ी और थाने में लगातार उपस्थिति की पुष्टि हुई।
पुलिस ने कारोबारी संजय दुबे की तलाश के दबाव में उनके बेटे को हिरासत में लिया था।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि वीडियो फुटेज और टीआई के बयान से स्पष्ट है कि युवक को 26–27 नवंबर के दौरान 30 घंटे थाने में बैठाकर उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। अदालत ने कहा कि टीआई यह भी स्वीकार नहीं कर पाए कि युवक को ‘होल्ड’ किया था या नहीं, जबकि फुटेज में उसकी हथकड़ी और निरंतर मौजूदगी दोनों स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं।
यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब एक नाबालिग लड़की ने रियल एस्टेट कारोबारी संजय दुबे पर शारीरिक शोषण और गर्भवती करने का आरोप लगाया। 12 नवंबर को पॉक्सो एक्ट के तहत उनके खिलाफ केस दर्ज हुआ। जब पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं कर सकी तो 26 नवंबर को उनके बेटे राजा दुबे को कथित तौर पर क्राइम ब्रांच बताकर हिरासत में ले लिया गया। राजा को 27 नवंबर की रात तक थाने में रखा गया और इस दौरान हथकड़ी लगाकर अपमानित किए जाने के भी आरोप हैं।
परिवार ने फोटो और वीडियो सबूत इकट्ठा कर हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत की। कोर्ट में सुनवाई की जानकारी मिलते ही पुलिस ने 28 नवंबर को राजा को रिहा कर दिया। 2 दिसंबर को हुई अगली सुनवाई में केस की जांचकर्ता संध्या निगम कोर्ट में पेश हुईं और बताया कि राजा को पूछताछ के लिए थाने लाया गया था। हालांकि, अदालत ने पुलिस की इस कार्यवाही को अवैधानिक करार देते हुए सख्त रुख अपनाया है।