मध्यप्रदेश में नर्सिंग शिक्षा का बड़ा संकट: 2025-26 सत्र के लिए 28,560 सीटों में से लगभग 10,825 सीटें (50% तक) खाली रहने का अनुमान है। जानें क्यों गिर रहा है छात्रों का भरोसा, क्या है फर्जी कॉलेजों और सरकारी निगरानी की कमी का असर।
By: Star News
Oct 03, 2025just now
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भोपाल. स्टार समाचार वेब.
मध्यप्रदेश में नर्सिंग शिक्षा का संकट गहराता जा रहा है। सत्र 2025-26 के लिए जारी ताज़ा पंजीकरण आँकड़ों ने एक बार फिर चिंताजनक तस्वीर पेश की है, जिसके अनुसार राज्य के नर्सिंग कॉलेजों की लगभग 50 प्रतिशत सीटें खाली रह सकती हैं। कुल 28,560 सीटों में से अब तक केवल 17,735 छात्रों ने ही पंजीकरण कराया है, जो स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि छात्रों का विश्वास इस क्षेत्र से टूटता जा रहा है।
बीते तीन वर्षों से प्रदेश में नर्सिंग शिक्षा की स्थिति लगातार गिर रही है। साल 2023-24 के सत्र को 'शून्य वर्ष' घोषित करना पड़ा था, जबकि 2024-25 में लगभग 70% सीटें रिक्त रह गई थीं। अब 2025-26 में भी यही नकारात्मक रुझान दोहराया जा रहा है।
कोर्स | कुल सीटें | अब तक हुए रजिस्ट्रेशन | अनुमानित खाली सीटें |
बीएससी + जीएनएम नर्सिंग | 23,174 | 14,722 | 8,452 |
पोस्ट बीएससी नर्सिंग | 3,610 | 1,539 | 2,071 |
एमएससी नर्सिंग | 1,776 | 1,474 | 302 |
कुल | 28,560 | 17,735 | 10,825 |
(ध्यान दें: ये आँकड़े वर्तमान पंजीकरण पर आधारित हैं; अंतिम प्रवेश प्रक्रिया तक मामूली बदलाव संभव है, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार बड़ी संख्या में सीटें खाली रहना तय है।)
नर्सिंग शिक्षा की गिरती साख के लिए फर्जी कॉलेजों का संचालन, मानकों की अनदेखी, और सरकारी निगरानी की कमी मुख्य कारण हैं। छात्रों का रुझान अब सिर्फ शासकीय नर्सिंग कॉलेजों तक सीमित हो गया है, जहाँ सीटें सीमित हैं। छात्रों के एक प्रतिनिधि ने यह भी आरोप लगाया है कि कई सरकारी कॉलेजों ने नियमों के विरुद्ध आवेदन किए हैं, जिन पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
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