मझगवां-चित्रकूट के 55 सौ किमी क्षेत्र को रिजर्व फारेस्ट बनाने की तैयारी, वृक्षारोपण और संरक्षण का प्लान
By: Star News
Jun 26, 202550 minutes ago
वनों के संरक्षण की बनी कार्ययोजना, वृक्षारोपण की तैयारियों की समीक्षा
सतना, स्टार समाचार वेब
पन्ना-चित्रकूट के बीच वनाच्छादित क्षेत्रों में विचरण करने वाले टाइगर समेत अन्य वन्य प्राणियों की आए दिन होने वाली चहल कदमी व वन माफियाओं के चित्रकूट वन क्षेत्र में सक्रिय होने के बीच सरकार एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। मानवीय गतिविधयों के चलते घटते जिले के वन रकबे व वन्य प्राणियों के संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाते हुए मझगवां, बरौंधा व चित्रकूट वन परिक्षेत्रके तकरीबन 55 सौ वर्ग किलोमीटर वनाच्छादित क्षेत्र को संरक्षित करने की तैयारी कर रही है। मंगलवार को कलेक्ट्रेट सभागार में सांसद गणेश सिंह की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में कंजर्वेशन रिजर्व का प्रस्ताव तैयार करने का निर्णय लिया गया है। वन मंडल अधिकारी की मानें तो आगामी जुलाई माह के अंत तक प्रस्ताव तैयार कर उच्चस्तरीय स्वीकृत के लिए भेजा जाएगा। उधर कभी अवैध खनन के लिए कुख्यात रहे परसमनिया क्षेत्र को भी रिजर्व फारेस्ट बनाने की मांग उठाई गई । विधायक के सुझाव पर अब वन विभाग मैहर, सतना व पन्ना जिलों के जंगलों से तीनों ओर से घिरे परसमनिया पठार को रिर्जव फारेस्ट घोषित करने के लिए संबंधित वनक्षेत्र को चिन्ह्ति करने का काम जल्द प्रारंभ किया जाएगा। बैठक में विधायक नागौद नागेन्द्र सिंह, विधायक मैहर श्रीकांत चतुर्वेदी , महापौर योगेश ताम्रकार, जिला पंचायत अध्यक्ष रामखेलावन कोल, उपाध्यक्ष सुस्मिता सिंह, सदस्य ज्ञानेन्द्र सिंह, कलेक्टर डॉ. सतीश कुमार एस, सीईओ जिला पंचायत संजना जैन, वनमण्डलाधिकारी मयंक चांदीवाल, एडीएम मैहर शैलेन्द्र सिंह सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
धारा 18 (2) के तहत होगा संरक्षण डीएफओ ने दिया प्रजेंटेशन
रिजर्व फारेस्ट बनाने के लिए वनमंडलाधिकारी मयंक चांदीवाल ने पावर पाइंट प्रजेन्टेशन में बताया कि धारा 18 (2) के तहत राज्य शासन किसी विशेष क्षेत्र को स्थानीय जनों की मांग और आवश्यकता होने पर संरक्षण रिजर्व के प्रावधानों के अनुसार संरक्षित वन (रिजर्व फारेस्ट) और जल क्षेत्र को छोडकर संरक्षण रिजर्व अभ्यारण्य के रूप में अधिसूचित कर सकती है। इसमें स्थानीय निवासियों के वनाधिकारों पर कोई विशेष पाबंदिया या बाध्यतायें नहीं होती है। इसका सबसे बड़ा लाभ मझगवां वन परिक्षेत्र को मिलेगा जहां बरौंधा से लेकर सरभंगा तक टाइगर की दहाड़े सुनाई देती हैं। रिजर्व फारेस्ट पर्यटकों के लिए भी खुलेगा और वे यहां विचरने वाले टाइगर्स का दीदार कर सकेंगे। उल्लेखनीय है कि मौजूदा समय पर मझगवां वनपरिक्षेत्र के जंगल में 30 से 35 बाघों का विचरण है वहीं चित्रकूट वनपरिक्षेत्र व बरौंधा में तेदुओं का विचरण सर्वाधिक है।
ये होंगे फायदे
सतना में 25 तो मैहर जिले में रोपे जाएंगे 11 लाख पौधे
मंगलवार को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित एक बैठक में सतना व मैहर जिले के वन परिक्षेत्रों को संरक्षित करने की कार्ययोजना पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई। इस दौरान वन क्षेत्र को सुरक्षित रखने विभिन्न पाकेट में संरक्षण रिजर्व (अभ्यारण्य) के प्रस्ताव तैयार करने के निर्णय लिये गये है। इस अवसर पर सतना जिले में 25 लाख और मैहर जिले में 11 लाख पौध रोपण की कार्य योजना और तैयारियों की समीक्षा भी की गई। बैठक में सांसद श्री सिंह ने कहा कि बरसात प्रारंभ हो चुकी है। वनों के क्षेत्र में भी पानी रोकने के उपाय किये जाने चाहिए। परसमनिया एवं अन्य पहाड़ी इलाके के ऊपरी तल पर अनेक वाटरवाडी मिलती है। इनके जल स्त्रोत का संरक्षण और पानी को रोकने के प्रयास होने चाहिए। एक पेड मां के नाम और सतना-मैहर जिले में वृक्षारोपण की कार्ययोजना और तैयारियों की समीक्षा में सांसद ने कहा कि दोनों जिलों में तय लक्ष्य के अनुसार गड्ढों की तैयारी, पौधों की उपलब्धता सुनिश्चित कर लें। उन्होंने कहा कि जुलाई माह में पखवाड़ा मनाकर अभियान स्वरूप वृक्षारोपण के कार्य हाथ में लिये जाये। इसके पूर्व जिला पंचायत में जनपद पंचायत और ग्राम पंचायत के पदाधिकारियों की बैठक लेकर वृक्षारोपण के संबंध में वातावरण निर्माण किया जाये।