जानिए मध्य प्रदेश के सरकारी और निजी कॉलेजों में लाखों सीटें क्यों खाली रह रही हैं। ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया की जटिलता और तकनीकी समस्याओं के कारण छात्रों को हो रही परेशानी।
By: Ajay Tiwari
Sep 06, 20255:26 PM
स्टार समाचार वेब. एज्युकेशन डेस्क
मध्य प्रदेश के सरकारी और निजी कॉलेजों में स्नातक (UG) और स्नातकोत्तर (PG) पाठ्यक्रमों की सीटें भरने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कॉलेज लेवल काउंसलिंग (CLC) का अंतिम चरण चल रहा है, लेकिन कई संस्थानों में आधी सीटें भी नहीं भर पाई हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस बार लगभग पौने दो लाख सीटें खाली रह सकती हैं।
राज्य के 1386 कॉलेजों में बीए, बीकॉम, बीएससी जैसे स्नातक पाठ्यक्रमों की लगभग दस लाख सीटें हैं, जिनमें से 1.25 लाख सीटें खाली रहने का अनुमान है। इसी तरह, स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की तीन लाख सीटों में से करीब 75,000 सीटें अभी भी खाली हैं। कुल मिलाकर, लगभग 1.75 लाख सीटों पर प्रवेश होना बाकी है, जबकि शनिवार आवेदन का अंतिम दिन था।
इस समस्या के पीछे मुख्य रूप से ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया की जटिलता है। पहले कॉलेज लेवल काउंसलिंग (CLC) में छात्र सीधे कॉलेज जाकर प्रवेश ले सकते थे, लेकिन अब यह प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन कर दी गई है।
जटिल ऑनलाइन प्रक्रिया: छात्रों को बार-बार पोर्टल पर लॉग-इन करने, दस्तावेज अपलोड करने और धीमी वेबसाइट जैसी तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कई बार तकनीकी गड़बड़ी के कारण प्रक्रिया अधूरी रह गई, जिससे परेशान होकर कई छात्रों ने प्रवेश लेने का विचार ही छोड़ दिया।
कॉलेजों की सीमित भूमिका: सीएलसी का उद्देश्य छात्रों को सीधे कॉलेज में प्रवेश देना था, लेकिन अब कॉलेजों की भूमिका केवल मार्गदर्शन तक सीमित कर दी गई है। प्रवेश से जुड़ी सभी औपचारिकताएं छात्रों को खुद ऑनलाइन करनी पड़ती हैं।
निजी विश्वविद्यालयों की ओर रुझान: ऑनलाइन प्रक्रिया की जटिलता से परेशान होकर कई छात्रों ने सरकारी और निजी कॉलेजों के बजाय सीधे निजी विश्वविद्यालयों में दाखिला लेना बेहतर समझा, जहां प्रक्रिया अधिक सरल होती है।