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कैसे हो पढ़ाई: छात्रों को ढूढ़े नहीं मिल रहीं एनसीईआरटी की किताबें

छात्रों की पढ़ाई पर संकट! सतना समेत कई जिलों में एनसीईआरटी की किताबें उपलब्ध नहीं हैं। नई शिक्षा नीति के अनुरूप किताबें अब तक बाजार में नहीं आईं, जिससे कक्षा 5वीं और 8वीं के विद्यार्थी सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। जानिए कारण और इसके दुष्परिणाम।

By: Yogesh Patel

Jun 28, 202510:00 PM

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कैसे हो पढ़ाई: छात्रों को ढूढ़े नहीं मिल रहीं एनसीईआरटी की किताबें

छात्र परेशान, 8 वीं में सिर्फ अंग्रेजी की किताब, 5वीं में एक भी नहीं 

सतना, स्टार समाचार वेब

शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें अनिवार्य की हैं। नए शैक्षणिक सत्र की शुरूआत के बाद भी पुस्तकें  बाजार में नहीं मिल रही है। एनसीआरटीई की बुक न मिलने से छात्र व अभिभावक परेशान हैं। उल्लेखनीय है कि नए शैक्षणिक सत्र की शुरूआत 1 अप्रैल से हो गई थी। 18 जून से फिर से स्कूल शुरू हो गए है। बताया गया कि एनसीईआरटी के नए सिलेबस की किताबें मार्केट में नहीं पहुंची हैं। विद्यार्थी बिना किताबों के स्कूल जा रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि किताबें कब तक आएंगी, न बुक स्टोर वाले ठीक तरह से बता रहे हैं, न ही स्कूल के शिक्षकों को कुछ पता है।

इसलिए हो रही है देरी 

एनसीईआरटी की नई किताबें मार्केट में न आने के कई कारण बताए जा रहे हैं। जानकारी के मुताबिक एनसीईआरटी की नई पुस्तकें राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे (एनसीएफएसई)-2023 के अनुरूप तैयार की जानी है। इसकी प्रक्रिया लंबे समय से चल रही है। एनसीईआरटी ने घोषणा की थी कि कक्षा 4, 5, 7 और 8 की किताबें 2025 के अप्रैल और मई तक बाजार में आएंगी, लेकिन अभी तक ये मार्केट में नहीं आई हैं। विद्यार्थियों को नई पाठ्यपुस्तकें न मिलने से वे पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं। बताया गया कि सबसे ज्यादा परेशानी कक्षा 5वीं एवं 8वीं के विद्यार्थियों को है। एनसीईआरटी की किताबें कक्षा 5वीं में एक भी नहीं आई हैं, वहीं कक्षा 8वीं में केवल अंग्रेजी विषय की पुस्तक मार्केट में उपलब्ध हो सकेगी।

देरी से आई किताबें, तो यूं प्रभावित होगी पढ़ाई 

  • नई किताबें देर से मिलेंगी तो शिक्षकों को समझने में देर होगी, फिर विद्यार्थियों को पढ़ाने की योजना में भी देरी होगी।
  • समय पर पुस्तके न मिलने पर छात्रों को निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें खरीदनी पड़ सकती हैं।
  • एनसीईआरटी की किताबें समय पर न मिलने से एक समान पाठ्यक्रम प्रदान करने की योजना होगी प्रभावित। 
  • किताबें देर से मिलने के कारण रिजल्ट का प्रतिशत गिरेगा।

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