रीवा में जनवरी से सितंबर तक साइबर धोखाधड़ी के 9 महीने में साढ़े तीन सौ (≈350) से अधिक लोग ठगी के शिकार हुए। वर्क-फ्रॉम-होम, फेक क्रेडिट मैसेज, कस्टमर-केयर नंबर क्लोनिंग, रिश्तेदार बनकर धोखा, ऐप डाउनलोड कराकर ठगी सहित अलग-अलग चालों से कुल करीब ₹1.5 करोड़ ऐंठे गए।
By: Yogesh Patel
Oct 06, 2025just now
हाइलाइट्स:
रीवा, स्टार समाचार वेब
साइबर धोखाधड़ी के मामलों ने कई परिवारों को सदमे में डाल दिया है। जनवरी से सितंबर माह तक 9 माह में साढ़े 3 सौ से अधिक लोग साइबर ठगी का शिकार हुये हैं। इनसे करीब डेढ़ करोड़ रुपए जालसाजों ने किसी ने किसी बहाने से ऐंठ लिए हैं। यह आंकड़े वह हैं, जो पुलिस तक पहुंचे हैं, जबकि सैकड़ों ऐसे लोग भी हैं, जो पुलिस के पास पहुंचे ही नहीं।
भोले-भाले लोग तरह-तरह के प्रलोभनों में आकर अपनी मेहनत की जीवन भर की गाढ़ी कमाई गंवा बैठते हैं। हालांकि कुछ पीड़ित तत्काल पुलिस के पास पहुंचे और उनकी मेहनत की कमाई बच गई। जालसाज ठगी के विभिन्न तरीके अपना रहे हैं। सबसे ज्यादा 42 मामले वर्क फ्रॉम होम और आॅनलाइन जॉब के नाम पर ठगी के दर्ज हैं। पैसे क्रेडिट का फेक मैसेज भेजकर ठगी के 34 मामले और इंटरनेट पर कस्टमर केयर नंबर सर्च करके ठगी के 30 मामले आए है। रिश्तेदार बनकर बात करना और खाते में रुपए भेजने का झांसा देकर ठगी के आधा सैकड़ा मामले और ऐप डाउनलोड करवाकर, सोशल साइट पर ब्लैकमेलिंग, ऐप डाउनलोड करवाकर ठगी के सैकड़ों मामले हैं। इसके अलावा प्रसूता सहायता राशि दिलाने के नाम पर भी ठगी के 15 मामले पुलिस में दर्ज हुये हैं। वहीं पुलिस अधिकारी बनकर धमकी देने के 13, दुकानदारों से फर्जी पेमेंट करने के 10 मामले और सेना का अधिकारी बनकर सामान बेचने के 10 मामले भी सामने आए हैं। इन तमाम मामलों में पुलिस छानबीन कर रही है।
इनकी रकम हुई वापस
1. सिरमौर थाना क्षेत्र निवासी अनूप मिश्रा के पिता शिवेंद्र के खाते से ठगों ने पैसे निकाले तो अनूप ने बिना देर किए बैंक और पुलिस को सूचना दी। उनकी सूझबूझ और पुलिस की तत्परता से ठगों के खाते में गई 28,101 रुपए की रकम को तुरंत होल्ड कर दिया गया। लंबी प्रक्रिया के बाद अनूप को उनके पूरे पैसे वापस मिल गए।
2. सिविल लाइन थाना क्षेत्र के अरुण प्रताप सिंह को साइबर ठगों ने फोन पर झांसा देकर उनके खाते से पैसे निकाल लिए थे। लेकिन अरुण ने समझदारी दिखाते हुए तुरंत बैंक और पुलिस को सूचना दी, जिससे खाते को होल्ड कर दिया गया। उनकी इस तत्परता के कारण उनके 55,064 रुपए लुटने से बच गए।
एक बुजुर्ग कर चुके हैं आत्महत्या
साइबर ठगी में फंसकर कोतवाली थाना अंतर्गत चौपड़ा स्कूल के पास रहने वाले एक बुजुर्ग ने खुद को अपनी लाइसेंसी बंदूक से गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। पुलिस की गहन जांच में पता चला था कि बुजुर्ग को साइबर ठगों ने निशाना बनाया था। जांच के बाद पुलिस ने राजस्थान से तीन सगे भाइयों को गिरफ्तार किया था। ये तीनों भाई पुराने सिक्के बेचने के बहाने लोगों को ठगी का शिकार बनाते थे।
फ्रॉड होने पर यह करें
ऐसे रिटर्न मिलता है पैसा
किराए के खातों में रुपए ट्रांसफर कराते हैं
साइबर ठग गरीबों को लालच देकर उनके नाम पर बैंक खाते खुलवा रहे हैं। इन खातों का इस्तेमाल वे ठगी की रकम को ट्रांसफर कराने के लिए करते हैं। एक ही रकम को 15 से 20 खातों में घुमाकर वे पुलिस को गुमराह करने की कोशिश करते हैं। जैसे ही पुलिस को ऐसे खातों का पता चलता है उन्हें तुरंत फ्रीज कर दिया जाता है, ताकि पीड़ितों की कमाई को बचाया जा सके। यह एक ऐसा जाल है जो गरीबों की मजबूरी का फायदा उठाता है।