सतना और मैहर जिले में पावर ग्रिड और टावर कंपनियों द्वारा जमीन लिए जाने के बावजूद हजारों किसानों को अब तक उचित मुआवजा नहीं मिल पाया है। किसानों ने भूख हड़ताल, अनशन, प्रदर्शन और 700 किलोमीटर पदयात्रा तक की, लेकिन प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से अब तक न्याय नहीं मिला। अब किसानों ने खेत में खड़ी फसलें नष्ट करने की धमकी के खिलाफ कलेक्टर से गुहार लगाई है। पढ़िए पूरी ग्राउंड रिपोर्ट।
By: Yogesh Patel
Jul 31, 20255:50 PM
हाइलाइट्स:
सतना, स्टार समाचार वेब
सतना व मैहर जिले से गुजरने वाले टावरों को अपनी जमीन देने वाले हजारो किसानों को अब तक न्याय नहीं मिल सका है। इसके लिए किसानों ने टावर पर चढ़कर कई दिनों तक आंदोलन किया, भूखहड़ताल व आमरण अनशन किया और लगभग 7 सौ किमी की पदयात्रा भी की । इसके अलावा हर अधिकारी व जनप्रतिनिधियों की ड्योढ़ी पर गुहार भी लगाई लेकिन न तो उनकी तकलीफें कम करने में प्रशासन ने रूचि दिखाई और न ही उनका हक दिलाने के लिए कोई कदम उठाए। उधर टावर कंपनियां छल और बल दोनो का इस्तेमाल करते हुए किसानों को बीते 15 सालों से आंदोलन के लिए मजबूर करती रहीं। इस दौरान जनप्रतनिधि व प्रशासनिक अधिकारी प्रबंधन के साथ खड़े नजर आए। अब किसानों ने पावर ग्रिड प्रबंधन पर खेत में खड़ी फसल को नष्ट करने की धमकी मिलने के बाद हाड? तोड़ मेहनत से तैयार की गई फसल को बचाने की गुहार कलेक्टर से लगाई है। समस्या से ग्रस्त तकरीबन 10 गांवों के ग्रामीणों के एक प्रतिनिधि मंडल ने कलेक्टर से भेंट कर अपनी तकलीफों से अवगत करा समस्या निराकरण की मांग की है।
क्या है मामला
दरअसल सतना व मैहर जिले के विभिन्न गांवों से जेपी एसोसिएटस और मध्यप्रदेश पावर जनरेशन एंड ट्रांसमीशन कंपनी लिमिटेड की लगभग 29 लाइने गुजरती हैं जिसके लिए किसानों की जमीन पर टावर गाड़े गए हैं। टावर गाड़ने के दौरान अधिकांश किसानों को गाइडलाइन को दरकिनार कर बेहद मामूली राशि दी गई। इस मामले को लेकर किसान न्यायालय पहुंचे तो न्यायालय ने 3 पावर ग्रिड प्रबंधन के मिलाकर पांच सदस्यीय टीम गठित कर जांचो परांत 12 लाख प्रति टावर व 3 हजार रूपए प्रति मीटर रनिंग तार को अदा करने के निर्देश दिए। बुधवार को लालपुर, पिथौराबाद, अतरबेदिया खुर्द, डुड़ही नई बस्ती, अमिलिया, नंदहा, समेत कई गांवों , रामनाथ कोल , अमित गौतम , रामनेरश कोल, चैता कोल, मुन्नीलाल चौधरी, सुरेंद्र तिवारी, सुदर्शन विश्वकर्मा, रामकिशोर कुशवाहा, रामकृपाल कुशवाहा , रामखेलावन दाहिया, मातादीन कोल, गंगी कोल, आनंद कुशवाहा आदि ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर शिकायती पत्र देते हुए बताया कि तकरीबन 56 से अधिक किसानों को 12 लाख प्रति टावर से अधिक मुआजा अधिकारियों द्वारा दिया गया था जिसकी वसूली की अनुसंशा भी जांच टीम द्वारा की गई थी। जाहिर है कि प्रभावशाली किसानों को तो लाखों रूपए देकर उन्हें लाभ पहुंचाया गया लेकिन दोनो जिलों के 9 हजार से अधिक किसान अभी भी अपना हक पाने का इंतजार कर रहे हैं।
प्रबंधन पर फसलें नष्ट करने की धमकी देने का आरोप
किसानों ने कलेक्टर को बताया है कि उनके खेत में खड़ी फसल तक नष्ट कर दी जाती है जिसकी शिकायत करने पर किसानों को भगा दिया जाता है, जबकि अपने हक के लिए आवाज उठाने वाले किसानों के खिलाफ थानों में फर्जी मुकदमे दर्ज करा दिए जाते हैं। शिकायत में बताया गया कि क्षेत्र के कई बिना आपराधिक रिकार्ड वाले शुद्ध खेतिहर -किसानों के खिलाफ थानों में संगीन मुकदमें दर्ज किए गए हैं जो पावर ग्रिड प्रबंधन की शह को दर्शाता है। ज्ञापनसौपने पहुंचे ऐसे ही एक किसान अमित कुमार गौतम ने बताया कि आंदोलन करने पर कभी सत्ताधरी दल के नेता आकर अनशन, हड़ताल और आंदोलन को तोड़वाने में तो रूचि दिखाते हैं लेकिन किसानों का हक दिलावने की मांग पर अफसर व जनप्रतिनिधि प्रबंधन के साथ खड़े नजर आते हैं। बताया गया कि एक सप्ताह से कंपनी के कर्मचारियो द्वारा खेतो मे आकर यह कहां जा रहा है कि हम पुलिस बल लाकर काम करेगे और रोकोगे तो मुकदमा कायम कराकर बंद करवा देगे। किसानों ने कलेक्टर से मांग की है कि हमारी खड़ी फसलों को बचाएं ताकि वे अपनी आजीविका चला सकें।
प्रमुख मांगें