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सावन 2025: भगवान शिव को प्रसन्न करने का शुभ माह, जानें पूजन-अभिषेक विधि और महत्व

सावन मास भगवान शिव का प्रिय माह है। जानें कैसे विधि-विधान से पूजन और अभिषेक कर पाएं भोलेनाथ का आशीर्वाद। सावन सोमवार व्रत और पूजा सामग्री की संपूर्ण जानकारी।

By: Ajay Tiwari

Jul 07, 20255:09 PM

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सावन 2025: भगवान शिव को प्रसन्न करने का शुभ माह, जानें पूजन-अभिषेक विधि और महत्व

स्टार समाचार वेब. अध्यात्म डेस्क
भगवान शिव का प्रिय मास है सावन। भगवान शिव को प्रसन्न करने का यह बहुत ही शुभ समय होता है, जो भक्त भगवान शिव का विधि-विधान से पूजन और अभिषेक करते हैं, उन पर भोलेनाथ का आशीर्वाद सदैव बना रहता है।
पंडित गुरूदेव ने बताया कि भगवान शिव के पवित्र मास सावन में भगवान शिव का अभिषेक और पूजन करना अत्यंत लाभकारी साबित होता है। गुरूदेव ने सावन माह में भगवान शिव का किस प्रकार अभिषेक करना लाभकारी होगा, इसकी विस्तृत जानकारी दी। इसके साथ ही उन्होंने अभिषेक एवं व्रत करने की संपूर्ण विधि और आवश्यक सामग्री भी बताई।

सावन सोमवार का व्रत कैसे करें?

पंडित गुरूदेव के अनुसार, सावन माह में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सबसे पहले सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें। इसके बाद स्वच्छ जल से स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। फिर अपने पूजा घर या शिवालय को अच्छी तरह से साफ करें। भगवान शिव की पूजन के लिए बेलपत्र, धतूरा, कच्चा दूध, शुद्ध जल और मौसमी फल जैसी चीजें एकत्रित करें। इसके बाद भगवान शिव की विधि-विधान से शिवलिंग की पूजा करें और उनका अभिषेक करें। जो साधक व्रत रख रहे हैं, उन्हें फलहार ग्रहण करना चाहिए।

भगवान शिव के अभिषेक की सामग्री और महत्व

  • भगवान शिव के प्रिय मास सावन में व्रत रखने वाले साधक को इस दिन शिवलिंग का अभिषेक अवश्य करना चाहिए। 
  • भगवान शिव का अभिषेक दूध, दही या जल से किया जा सकता है। 
  • शिव पुराण के अनुसार, अभिषेक करने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं।

पौराणिक कथा

समुद्र मंथन के बाद निकले विष का पान करने से भगवान शिव का कंठ नीला पड़ गया था। विष के प्रभाव को कम करने के लिए देवताओं ने उन्हें जल चढ़ाया था। इसीलिए भगवान शिव का अभिषेक करना बहुत ही लाभकारी साबित होता है।
शिवलिंग पर अभिषेक करने की विधि और मंत्र
भगवान शिव का अभिषेक करने के लिए सबसे पहले व्यक्ति को शुद्ध जल से स्नान करने के बाद अभिषेक की सभी पूजा सामग्री एकत्रित करनी चाहिए। इसके बाद भगवान शिव को जल, दूध, दही और शहद से उनका अभिषेक करें। सामग्री में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करते हुए भगवान के विशेष मंत्र का जाप करना चाहिए।


इस मंत्र का करें जप
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धि पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

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