सतना जिला अस्पताल में रोजाना 10 से 15 सर्पदंश के मामले सामने आ रहे हैं। गंभीर मरीजों को ICU में भर्ती कर एंटी स्नैक वेनम इंजेक्शन दिए जा रहे हैं। न्यूरोटॉक्सिक जहर के मामलों में पैरालिसिस तक की स्थिति बन रही है। स्वास्थ्य विभाग ने एडवाइजरी जारी कर सभी केंद्रों में दवा की व्यवस्था सुनिश्चित की है।
By: Star News
Jun 29, 20252:51 PM
सतना, स्टार समाचार वेब
बारिश शुरू होते ही जिले के ग्रामीण इलाकों में स्नैक बाइट के मामलों में इजाफा हो गया है। सर्पदंस से पीड़ित 10 से 15 मरीज इलाज कराने रोजाना जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं। इनमे से अति गंभीर दो से तीन मरीजों को आईसीयू में भर्ती तक करना पड़ रहा है। समय पर अस्पताल न पहुंचने पर कई मरीजों को जान तक गंवानी पड़ी है। स्नैक बाइट के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थय विभाग द्वारा एडवाइजरी भी जारी की गई है। इसके अलावा जिला अस्पताल के साथ सभी स्वास्थय केंद्रों में एंटी स्नैक वेनम इंजेक्शन रखने के निर्देश दिए गए हैं।
लगाया जाता है 10 वायल का इंजेक्शन
चिकित्सकों ने बताया कि प्रारंभिक अवस्था में स्नैक बाइट से पीड़ित मरीज को एमर्जेन्सी वार्ड में 10 वायल का इंजेक्शन लगाया जाता है और मरीज को आॅब्जर्वेशन में रखकर दो-दो घंटे में असिस्ट किया जाता है। जहर न उतरने पर भर्ती मरीज को 30 वायल तक एंटी स्नैक वेनम का डोज दिया जाता है।
न्यूरोटॉक्सिक जहर सबसे खतरनाक
जिला अस्पताल के मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. मनोज प्रजापति के मुताबिक सांपों में दो प्रकार का जहर पाया जाता है, पहला है हेमेटोक्सिक और दूसरा न्यूरो टॉक्सिक। हेमोटोक्सिक जहर चित्तीदार जैसे जहरीले सांप के काटने पर शरीर में फैलता है जो कि खून में मिलकर तंत्रिका तंत्र में हमला करता है, जबकि न्यूरोटॉक्सिक जहर सबसे खतरनाक होता है। न्यूरोटॉक्सिक जहर कोबरा और कैली जैसे सर्वाधिक जहरीले सांपों के काटने पर फैलता है जो कि ब्रेन में हमला करता है, जिसमे पीड़ित पैरालिसिस तक का शिकार हो जाता है। डॉ. प्रजापति के अनुसार हेमेटोक्सिक जहर वाले मरीज को एंटी स्नैक पॉली वेनम इंजेक्शन लगाकर इलाज किया जाता है, जबकि न्यूरोटॉक्सिक जहर वाले मरीज को पैरालिसिस यानि लकवा तक मार जाता है, जिनको इलाज के लिए आईसीयू में वेंटिलेटर में भर्ती करना पड़ता है।
एक घंटा गोल्डन आवर अफवाह, गंभीर मरीज को ही एंटी वेनम डोज
जिला अस्पताल के मेडिसिन विभाग के चिकित्सकों डॉ. विक्रम सिंह की माने तो सांप काटने के बाद एक घंटा गोल्डन आवर रहता है, ये सब मात्र अफवाह है। सांप काटने पर इलाज के लिए मरीज को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचना ही जरूरी है। लक्षण के हिसाब से केवल गंभीर मरीजों को ही एंटी स्नैक वेनम इंजेक्शन का डोज दिया जाता है और 24 घंटे आॅब्जर्वेशन के लिए रखा जाता है। जिन मरीजों को एंटी वेनम समय पर लग जाता है उन मरीजों की रिकवरी 99 प्रतिशत तक रहती है। डॉ. सिंह के अनुसार स्नैक बाइट के मरीज की सबसे पहले मरीज पल्स, बीपी और सेचुरेशन चेक किया जाता है। अति गंभीर पीड़ित मरीज को ही एंटी स्नैक वेनम का डोज लगाया जाता है। मरीज के प्रारंभिक लक्षण में अगर आवाज लड़खड़ाना, सांस लेने में परेशानी और पैरालिसिस जैसी स्थितियां सामने आती हैं तो उन्हें वेंटिलेटर में भर्ती करने की सलाह दी जाती है।