थर्ड डिग्री अमित सेंगर की खास रिपोर्ट – साहब के सात एकड़ से ज्यादा के फार्म हाउस का सौदा, खाकी अफसरों के जमीन निवेश के सपने, अनुशासनहीनता और फील्ड की चर्चाएं, खाकी-खादी का तालमेल बिगड़ना और गाड़ी के धंधे का खेल। अंदर की सच्चाई जानिए विस्तार से।
By: Yogesh Patel
Aug 25, 202517 hours ago
साहब का फार्म हाउस...!
अरमान खाकी के भी होते है,आखिर खाकी के अंदर है तो इंसान ही। सो खाकी भी ख्वाब देखती है और उसे पूरा करने की कोशिश। कुछ ऐसा ही ख्वाब देखा साहब ने। उनका इरादा है भविष्य के लिए निवेश करना। जमीन में निवेश सही माना जाता है,खाकी के कई अफसर जमीन में रकम लगाने के लिए प्रदेश भर में चर्चित हंै। कुछ ऐसे ही जोन के एक साहब है,ये साहब यू तो नंबर दो पायदान पर हैं अभी नंबर एक की पोजिशन के आसार भी नहीं हैं, सो निवेश के लिए इन साहब ने जिले भर की जमीन नाप डाली, कुछ लोकेशन पसंद आई लेकिन कीमत ने पैर पीछे धकेलने को मजबूर कर दिया,काफी खोजबीन के बाद साहब की तलाश पूरी हुई, सौदा साहब को पसंद आया लोकेशन भी मनभावन बताई जा रही,लिहाजा साहब ने सपने के महल फार्म हाउस की डील पक्की कर दी। लिखा-पढ़ी का कोरम भी पूरा हो गया। साहब का फार्म हाउस कोई एक-दो एकड़ का नहीं बल्कि सात एकड़ से कुछ ज्यादा के रकबे का बताया जा रहा। गलियारे में चर्चा है साहब ने इतना रकबा बड़ा फार्म हाउस की चाहत में कम भविष्य में इस रकबे के दाम आसमान छूने की उम्मीद से लिया है। सोनांचल से तल्लुक रखने वाले इन साहब के मातहतों से रिश्ते मधुर रहते हंै, मातहत जो प्रदान कर दे उसमे खुश और काम में नुक्ताचीनी नहीं करते।
इनकी राह ही अलग
खाकी को अनुशासित माना जाता है लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो अपनी ही बनाई राह पर चलते हैं, इन्हें समझाइश का असर नहीं होता है। सवाल उठना लाजमी है कि आखिर अनुशासन हीनता के लगातार प्रदर्शन के बावजूद इनकी कुर्सी सलामत कैसे है। दरअसल मोहतरमा की राह सही करने का जोखिम उठाने साहबान बच रहे, उन्हें लग रहा समझाइश से आरोप-प्रत्यारोप के दायरे में वे स्वयं न आ जाएं कौन पड़े इनके लफड़े में। इस वजह से मोहतरमा अपने अंदाज में फील्डिंग कर रहीं। ये थाने आने में लेट-लतीफी करती हंै, ऐसी शिकायत पर साहब पहुंचे, नदारत पाकर रिपोर्ट डाल दी। बताते हैं इससे मोहतरमा का चेहरा लाल हो उठा। इसकी बानगी देखने को भी मिली, साहब ने फोन पर फोन किया लेकिन इन मोहतरमा ने फोन रिसीव नहीं किया, निचले स्टॉफ से मैसेज दिलवाया गया फिर भी गुस्से से लाल-पीला हो चुकी मोहतरमा ने साहब से बात नहीं की। अनुशासनहीनता का मामला बड़े साहब के संज्ञान में आया लेकिन इसका परिणाम नजर न आया। खाकी के मध्य चर्चा है इन्हें अन्य राह पर चलना जरा ज्यादा पसंद है जिस राह अर्जित करने कुछ हो। यह मसला नवगठित जिले के धर्मनगरी के बगल से हाइवे से जुड़ा है।
आखिर कितने दिन की रियायत
जोन के दो साहबों के नाम ऐन वक्त कट गए, सूची आई उसमें नाम ज्यादा नहीं, जो बदले गए उनके बदलाव की वजह कामकाज नहीं खाकी और खादी के तालमेल का बिगड़ना बताया जा रहा। खैर वहज कुछ भी रहे इससे विंध्य को कोई फर्क नहीं। लेकिन सवाल चर्चाओं में है आखिर यह रियायत कैसे मिल गई, इसके मूल कारण खोजे जा रहे लेकिन वजह कोई पता नहीं कर पा रहा। उधर एक साहब इस जोन में आने के लिए सारे जतन कर रहे है, सब कुछ फाइनल हो गया रहा, इन साहब ने अपनों से चर्चा कर खुशी का इजहार भी कर डाला। लेकिन सूची जारी होते ही सपत्नी सोच में डूब गए इस बार गणित फेल कैसे हो गई। कहा जा रहा कि जोन के जिन दो साहबों के जाने की चर्चा रही उनमें सम्भागीय मुख्यालय वाले साहब की साफ सुथरी इमेज उन्हें जल्द यहां से रुखसत नहीं होने देगी, पड़ोसी जिले के साहब की तस्वीर ऊपर ठीक-ठाक बताई जा रही। सो अभी बदलाव में वक्त है, बदलाव की चाह रखने वाले अभी इंतजार करें।
चलने लगी गाड़ी
साहब के सख्त रुख के कारण जिले में गाड़ी की गिनती का काम करने की हिम्मत कोई जुटा नहीं पा रहा। दरअसल साहब ने साफ संदेश दे दिया रहा खाकी अपना काम करेगी। चौपाया के धंधे पर साहब ने ऐसी चोट मारी कि बड़े खिलाड़ी जेल पहुंच गए, जो बचे वो इस जिले के रास्ते आने को तैयार नहीं। ऐसी कार्रवाई से सब बंद का माहौल बन गया। बंदी का आलम काफी लंबा हो गया, ऐसे में खाकी के कुछ खिलाड़ी सक्रिय हुए, पहले अपने अनुभाग से अलग थानों से गाड़ी निकालने का तौर-तरीका बताया है,कुछ दिन में खामोशी से काम चल पड़ा,सो हौंसला बढ़ा, दे दी इजाजत अब हमारे इलाके से भी जा सकते हो कोई रोक-टोक नहीं। बशर्ते हो हल्ला न हो, आपसी तकरार जो रही हो उसे दूर कर लो, फोकस काम पर करो। गाइडलाइन मिलते चौपाया वाले रफ्तार से निकल रहे। लेकिन इन्हें खाकी के खिलाड़ियों की समझाइश का असर न हुआ, भिड़ गए आपस में। अब तो लड़ाई में नुकसान होना तय है। इस लड़ाई के कारण गाड़ी की गणना के खेल का मसला साहब तक जा पहुंचा। अब तलाश हो रही खाकी के इन खिलाड़ियों की, जिनकी सलाह पर यह खेल शुरू हुआ, इन खिलाड़ियों से इनके साहब भी खफा बताए जा रहे, खफा होने की वजह भी है एक तो आय पर ब्रेक लग गया और ऊपर से साहब की नजरों में जो आ गए।