भोपाल में 7 राज्यों के विधानसभा अध्यक्षों ने लोकतंत्र की मजबूती पर जोर दिया। उनका एकमत संदेश: 'अब सिर्फ बातों पर नहीं, अमल करने की सख्त जरूरत।' जानें पारदर्शिता, जवाबदेही और समितियों के क्रियान्वयन पर हुए अहम विचार-विमर्श।
By: Star News
Jul 14, 202524 minutes ago
हाइलाइट्स
भोपाल. स्टार समाचार वेब
मध्य प्रदेश विधानसभा भवन में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें देश के सात राज्यों की विधानसभाओं के अध्यक्षों ने भाग लिया, जहाँ विधानसभा समितियों की भूमिका, उनके कार्यान्वयन, पारदर्शिता और लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूत करने जैसे गंभीर विषयों पर चिंतन किया गया। बैठक में सभी अध्यक्षों ने एकमत से कहा कि अब सिर्फ बातों पर नहीं, बल्कि उन पर अमल करने की सख्त आवश्यकता है।
मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में लोकतंत्र की मजबूती पर गहन चर्चा हुई। तोमर ने इस दौरान जोर देते हुए कहा कि विधानसभा समितियां लोकतंत्र की रीढ़ होती हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इन समितियों की सिफारिशें केवल कागजों तक सीमित न रहें, बल्कि उनके ठोस क्रियान्वयन के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं। उन्होंने विधायी प्रणाली में पारदर्शिता, निगरानी और जवाबदेही को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया।
नरेंद्र सिंह तोमर (मध्य प्रदेश): विधानसभा समितियों की सिफारिशों के गंभीर क्रियान्वयन और विधायी कार्यों में पारदर्शिता एवं जवाबदेही की आवश्यकता पर बल दिया।
सतीश महाना (उत्तर प्रदेश): डिजिटल विधानसभा प्रणाली को मजबूत करने की वकालत की। उन्होंने कहा कि ई-गवर्नेंस और डिजिटलीकरण समय की मांग है, जिससे समिति की कार्यवाही और उसकी निगरानी आसान होगी।
कुलदीप सिंह पठानिया (हिमाचल प्रदेश): पर्वतीय राज्यों के लिए विशेष विधायी संरचना पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण और पर्वतीय क्षेत्रों से जुड़ी समितियों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए, ताकि इन क्षेत्रों की समस्याओं को विधानसभा के मंच पर लाया जा सके।
वासुदेव देवनानी (राजस्थान): शिक्षा और युवाओं से जुड़े विधायी प्रस्तावों को प्राथमिकता देने की बात कही। उन्होंने विधानसभा समितियों की स्थानीय स्तर तक पहुंच बनाने और उसे बढ़ाने की सिफारिश की।
बिमल बनर्जी (पश्चिम बंगाल): समिति रिपोर्टों पर तत्काल क्रियान्वयन के लिए समय सीमा तय करने की मांग रखी। उन्होंने क्षेत्रीय मुद्दों को राष्ट्रीय एजेंडे में लाने के लिए साझा संवाद का सुझाव भी दिया।
सुरमा पाढ़ी (ओडिशा): महिला एवं बाल कल्याण को लेकर विशेष समितियां बनाए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि सशक्त समितियां ही सशक्त लोकतंत्र की नींव होती हैं।
मिंगमा नोरबू शेरपा (सिक्किम): सीमावर्ती राज्यों की सुरक्षा, बुनियादी जरूरतों और सुविधाओं को लेकर समिति बनाए जाने पर जोर दिया। उन्होंने छोटे राज्यों की आवाज को राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने के लिए सहयोग की आवश्यकता बताई।