विश्व जूनोसिस दिवस: 6 जुलाई 

स्टार समाचार वेब

6 जुलाई को प्रतिवर्ष मनाए जाने वाले विश्व जूनोसिस दिवस का मुख्य उद्देश्य जूनोटिक बीमारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। जूनोसिस उन बीमारियों को कहते हैं जो जानवरों से मनुष्यों में फैलती हैं, और ये हमारे सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती हैं। यह दिन 1885 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक लुई पाश्चर द्वारा रेबीज वायरस के खिलाफ पहले टीके के सफल विकास की याद दिलाता है। रेबीज एक घातक जूनोटिक बीमारी है, और पाश्चर का यह अविष्कार चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ था।

बीमारियों से बचाव पर चिंतन का दिन

जूनोटिक बीमारियाँ विभिन्न माध्यमों से फैल सकती हैं, जिनमें जानवरों के सीधे संपर्क में आना, दूषित भोजन या पानी का सेवन, और कीड़े-मकोड़ों (जैसे मच्छर या टिक्स) का काटना शामिल है। इन बीमारियों में एवियन इन्फ्लूएंजा (बर्ड फ्लू), स्वाइन फ्लू, इबोला, ज़िका, और हाल ही में COVID-19 जैसी बीमारियाँ शामिल हैं, जिन्होंने वैश्विक स्तर पर गंभीर स्वास्थ्य संकट पैदा किया है। विश्व जूनोसिस दिवस इन बीमारियों के प्रसार को रोकने और उनसे बचाव के लिए प्रभावी रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करने का एक अवसर प्रदान करता है।

सुरक्षित भविष्य की चिंता का दिन

इस दिन, विभिन्न संगठन, स्वास्थ्य एजेंसियां, और सरकारें लोगों को जूनोटिक बीमारियों के लक्षणों, रोकथाम के उपायों और उनसे बचने के तरीकों के बारे में शिक्षित करने के लिए अभियान चलाती हैं। इसमें जानवरों के उचित टीकाकरण, व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखना, सुरक्षित खाद्य प्रबंधन, और जानवरों के साथ संपर्क के दौरान सावधानी बरतना जैसे उपाय शामिल हैं। पशु स्वास्थ्य और मानव स्वास्थ्य के बीच गहरा संबंध है, और "वन हेल्थ" (एक स्वास्थ्य) दृष्टिकोण इस बात पर जोर देता है कि इन बीमारियों से निपटने के लिए मानव, पशु और पर्यावरण स्वास्थ्य के बीच सहयोग आवश्यक है। विश्व जूनोसिस दिवस हमें याद दिलाता है कि जूनोटिक बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए निरंतर प्रयास और वैश्विक सहयोग कितना महत्वपूर्ण है ताकि हम सभी एक स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित कर सकें।