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सिर्फ कागजों में झुग्गी मुक्त हो रहा भोपाल

सात महीने पहले प्रदेश सरकार ने एक नई पहल शुरू करते हुए शहरी क्षेत्रों में झुग्गी-झोपडियों में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर में सुधार करने की योजना बनाने की घोषणा की थी। उसके तहत शहरी क्षेत्रों में आने वाली झुग्गी-बस्तियों के आंकड़े एकत्र किए जा रहे हैं।

By: Star News

Jun 09, 2025just now

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सिर्फ कागजों में झुग्गी मुक्त हो रहा भोपाल

अधर में घोषणा-7 माह बाद भी धरातल पर नहीं उतरी योजना

अभी तक झुग्गियों के विस्थापन की शुरुआत भी नहीं हो सकी

भोपाल। वर्ष-2024 में भोपाल समेत पूरे प्रदेश को झुग्गी फ्री बनाने का फॉमूर्ला बनाया गया था, लेकिन आज तक योजना धरातल पर नहीं उतर पाई है। जिला प्रशासन अब तक कागजी कार्रवाई तो पूरी कर चुका है, लेकिन सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने अथवा झुग्गियों के विस्थापन की शुरुआत अभी नहीं हो सकी है। दरअसल, सात महीने पहले प्रदेश सरकार ने एक नई पहल शुरू करते हुए शहरी क्षेत्रों में झुग्गी-झोपडियों में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर में सुधार करने की योजना बनाने की घोषणा की थी। उसके तहत शहरी क्षेत्रों में आने वाली झुग्गी-बस्तियों के आंकड़े एकत्र किए जा रहे हैं। इसकी शुरुआत भोपाल से की गई। पहले चरण में सरकार शहरी क्षेत्रों में स्थित झुग्गी बस्तियों के आंकड़े एकत्र किए जा रहे हैं। इसके साथ ही इन बस्तियों में रहने वाले परिवारों का सर्वे किया जा रहा है। जिससे कि यहां रहने वाले लोगों की गणना की जा सके। लेकिन मामला आगे नहीं बढ़ पाया है। भोपाल सहित पूरे मध्यप्रदेश के शहरों में अवैध झुग्गियों को राजनीतिक संरक्षण है। भोपाल में कुछ चिन्हित राजनेता न सिर्फ वोटों के लालच में बल्कि अवैध मासिक उगाही के फेर में भी झुग्गियों और गुमटियों के संरक्षक बने रहे हैं।  

हटने की बजाए और बढ़ीं झुग्गियां

भोपाल को झुग्गी मुक्त बनाए जाने के प्रयास पहले भी कई बार हो चुके हैं। हालांकि पिछले सभी प्रयास न केवल विफल रहे, बल्कि हर वर्ष शहर की सबसे पॉश और कीमती शासकीय भूमि पर नई झुग्गी बस्तियां विकसित होती गईं। पिछले साल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर राजधानी को झुग्गी मुक्त बनाने की कार्य योजना पर काम शुरू हुआ। इसके लिए प्रशासन ने निजी सहभागिता से शासकीय भूमि पर बहुमंजिला इमारतें तैयार कर झुग्गी बस्तियों के विस्थापन की योजना तैयार की है। 

17-18 एकड़ में बननी थी इमारत

झुग्गी विस्थापन योजना के तहत पहले चरण में चिन्हित झुग्गियों को 9 क्लस्टरों में बांटा गया। इसमें सबसे पहले वल्लभ भवन के पास की झुग्गियों का सर्वे पूरा किया जाना था। निजी सहभागिता से इमारत बनाए जाने का काम भी प्रारंभिक तौर पर 17-18 एकड़ से शुरू होना था। कलेक्टर की उपस्थिति में हुई बैठक में एक सप्ताह में डीपीआर डिजाइन, प्लानिंग पॉलिसी, एस्टीमेट और टेंडर की शर्ते एवं सभी तैयारियां पूरी किए जाने पर निर्णय हुआ था। हालांकि तय अवधि में ऐसा हो नहीं सका।

भोपाल में 1800 एकड़ में झुग्गियां

भोपाल में चाहे राजभवन से सटे क्षेत्र में 17 एकड़ में फैली रोशनपुरा बस्ती हो या बाणगंगा, भीमनगर, विश्वकर्मा नगर जैसी टॉप 8 झुग्गी-बस्तियां शहर के बीच प्राइम लोकेशंस पर करीब 300 एकड़ में फैली हैं। राहुल नगर, दुर्गा नगर, बाबा नगर, अर्जुन नगर, पंचशील, नया बसेरा, संजय नगर, गंगा नगर, बापू नगर, शबरी नगर, ओम नगर, दामखेड़ा, नई बस्ती, मीरा नगर जैसी कुल 388 बस्तियां शहर में हैं। इन सबकी जमीन का हिसाब लगाएं तो यह करीब 1800 एकड़ के आसपास है। 

करोड़ों की जमीन पर अवैध झुग्गियां

वल्लभ भवन के पास बसी भीमनगर झुग्गी बस्ती 2 लाख 64 हजार 900 वर्गमीटर शासकीय भूमि पर अवैध रूप से बसी है। जिन सात सर्वे नंबरों 1478, 1479, 1480, 1483, 1484, 1489, 1511, पर यह अवैध कब्जा है, उस भूमि की दर  8800 रुपए प्रति वर्गमीटर है, जिसकी कीमत 233.11 करोड़ से अधिक है। इसी प्रकार ईदगाह हिल्स कलेक्ट्रेट के पास स्थित सर्वे नंबरों 105, 106 और 107 की 1.12 लाख वर्गमीटर शासकीय अतिक्रमित भूमि की दर 8 हजार प्रति वर्गमीटर से अधिक है और इसकी कीमत 80.60 करोड़ है। उक्त दोनों ही झुग्गी बस्तियों की भूमि की कुल कीमत 322.71 करोड़ है। 

झुग्गियों का जाल

रोशनपुरा, बाणगंगा, भीमनगर, विश्वकर्मा नगर सहित 8 झुग्गी-बस्तियां शहर के बीच सबसे महंगे और महत्वपूर्ण स्थानों पर 300 एकड़ में फैली हैं। इनके अलावा संजय नगर, राहुल नगर, दुर्गा नगर, बाबा नगर, अर्जुन नगर, मीरा नगर, पंचशील, नया बसेरा, गंगा नगर, बापू नगर, शबरी नगर, ओम नगर, दामखेड़ा, उडिय़ा बस्ती, नई बस्ती, जैसी कुल 388 चिन्हित बस्तियां शहर में हैं।

इनका कहना है

भोपाल शहर को झुग्गी मुक्त बनाए जाने की कार्ययोजना पर तेजी से काम चल रहा है। पीपीआर तैयार हो चुकी है। जल्द ही विस्थापन का काम भी शुरू होगा। 
कौशलेंद्र विक्रम सिंह, कलेक्टर, भोपाल

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