चार दिन तक चली सूर्य उपासना की परंपरा मंगलवार को सुबह पूरी हो गई। कार्तिक शुक्ल सप्तमी पर आज छठ महापर्व का आखिरी दिन है। भोपाल के 52 घाटों पर सुबह की पहली किरण के साथ श्रद्धालुओं ने उगते सूर्य को दूध, जल और प्रसाद से अर्घ्य अर्पित किया।
By: Arvind Mishra
Oct 28, 202510:33 AM

भोपाल। स्टार समाचार वेब
चार दिन तक चली सूर्य उपासना की परंपरा मंगलवार को सुबह पूरी हो गई। कार्तिक शुक्ल सप्तमी पर आज छठ महापर्व का आखिरी दिन है। भोपाल के 52 घाटों पर सुबह की पहली किरण के साथ श्रद्धालुओं ने उगते सूर्य को दूध, जल और प्रसाद से अर्घ्य अर्पित किया। इसी के साथ 36 घंटे का निर्जला व्रत पूर्ण हुआ। नगर निगम ने घाटों पर सुरक्षा, रोशनी, पेयजल और सफाई की व्यवस्था की थी। पुलिस और प्रशासनिक टीमें भी सुबह से मौजूद रहीं। श्रद्धालुओं ने शांति और अनुशासन के साथ पूजा संपन्न की। दरअसल, भोपाल में लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा का समापन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ हुआ। चार दिनों से चल रही सूर्य उपासना की परंपरा भक्ति, अनुशासन और उत्साह के माहौल में पूरी हुई। प्रदेशभर के साथ भोपाल में भी श्रद्धालु सुबह की पहली किरण के साथ घाटों पर पहुंचे और सूर्य देव तथा छठी मैया से परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।

राजधानी के 52 घाटों पर मंगलवार को आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। कमला पार्क, वर्धमान पार्क, खटलापुरा घाट, प्रेमपुरा घाट, हथाईखेड़ा डैम, बरखेड़ा और घोड़ा पछाड़ डैम पर हजारों श्रद्धालु एकत्र हुए। घाटों पर पारंपरिक गीतों की गूंज, दीयों की रोशनी और पूजा की तैयारियों से वातावरण भक्ति से भर गया।
सुबह जैसे ही सूरज की पहली किरण जल में पड़ी, व्रती महिलाओं ने दूध और जल से अर्घ्य अर्पित किया। इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास समाप्त हुआ। अर्घ्य के बाद व्रती महिलाओं ने पारण कर व्रत का समापन किया। भोजन में चावल, दाल, साग, सब्जी, पापड़, बड़ी, पकौड़ी और चटनी का पारंपरिक प्रसाद शामिल रहा।
नगर निगम की ओर से सभी घाटों पर सफाई, पेयजल, रोशनी और सुरक्षा की व्यवस्थाएं की गई थीं। पुलिस व प्रशासनिक अमला सुबह से ही तैनात रहा। शीतलदास की बगिया में भी छठ पर्व की रौनक देखने लायक रही। यहां भोपाल दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र के विधायक भगवान दास सबनानी ने पहुंचकर श्रद्धालुओं को पर्व की शुभकामनाएं दीं। भोजपुरी एकता मंच की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें लोकगीतों और भजनों ने समा बांध दिया।
भोजपुरी एकता मंच के अध्यक्ष कुंवर प्रसाद ने बताया कि सोमवार शाम अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद श्रद्धालु पूरी रात भजन-कीर्तन में लीन रहे। मंगलवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ चार दिन की पूजा संपन्न हुई। इस बार पिछले वर्षों की तुलना में कहीं अधिक श्रद्धालु घाटों पर पहुंचे। दीपों की जगमगाहट, फूलों की सजावट और लोकगीतों की मधुर ध्वनि से पूरा भोपाल छठ मैया की भक्ति में डूबा नजर आया।