भारत से पंगा लेना पाकिस्तान को महंगा पड़ गया है। इतना महंगा कि दो महीने में ही पाकिस्तान को 14.39 मिलियन डॉलर (करीब 126 करोड़) का नुकसान हो गया है। पहले से ही कर्ज में गले तक डूबे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए यह गहरी चोट है।
By: Arvind Mishra
Aug 10, 2025just now
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
भारत से पंगा लेना पाकिस्तान को महंगा पड़ गया है। इतना महंगा कि दो महीने में ही पाकिस्तान को 14.39 मिलियन डॉलर (करीब 126 करोड़) का नुकसान हो गया है। पहले से ही कर्ज में गले तक डूबे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए यह गहरी चोट है। हालांकि इस नुकसान का जिम्मेदार पाकिस्तान खुद ही है। पाकिस्तान ने यह नुकसान भारतीय विमानों के लिए हवाई क्षेत्र बंद करने से हुआ है। दरअसल, भारत की ओर से 23 अप्रैल को सिंधु जल संधि को निलंबित करने के एक दिन बाद पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया था। इसकी वजह से पाकिस्तान को 126 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। दो दिन पूर्व पाकिस्तान की संसद में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान को दो महीनों में 126 करोड़ का नुकसान हुआ है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह नुकसान 24 अप्रैल से 30 जून, 2025 के बीच हुआ, जब भारतीय विमानों के लिए पाकिस्तान ने अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया था। इस कदम से रोजाना 100 से 150 भारतीय विमान प्रभावित हुए।
अपनी पीठ थपथपाते हुए पाकिस्तानी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इन नुकसानों के बावजूद, पाकिस्तान हवाई अड्डा प्राधिकरण का कुल राजस्व 2019 में 508,000 से बढ़कर 2025 में 760,000 रुपए हो गया है। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि हवाई क्षेत्र प्रतिबंध संघीय सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। पाकिस्तानी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि ऐसे वित्तीय नुकसान होता है, लेकिन संप्रभुता और राष्ट्रीय रक्षा आर्थिक विचारों से ऊपर होती है। गौरतलब है कि 2019 में, सीमा पार तनाव के कारण हवाई क्षेत्र बंद होने से पाकिस्तान को 54 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था।
पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र अभी भी भारतीय विमानों के लिए बंद है और अगस्त के अंतिम सप्ताह तक बंद रहेगा। इसी तरह, भारतीय हवाई क्षेत्र भी बंद रहेगा और भारतीय मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि संप्रभुता और सुरक्षा की रक्षा करते समय कोई भी कीमत बहुत ज्यादा नहीं होती।
पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट ने 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी ली, जिसमें 26 नागरिकों की जान चली गई थी। इसके जवाब मे आॅपरेशन सिंदूर शुरू करने से पहले भारत ने राजनयिक संबंधों को कम कर दिया था, सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया था और व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया था।