इंदौर नगर निगम के आठ हजार से ज्यादा सफाई मित्र गोगा नवमी के अगले दिन यानी आज सोमवार को छुट्टी पर रहे। इसके चलते शहर की सफाई व्यवस्था जनप्रतिनिधि, रहवासी संघ, सामाजिक संगठन और अफसरों ने संभाली। गौरतलब है कि इंदौर 8 सालों से देश का सबसे स्वच्छ शहर है। दरअसल, इंदौर में रविवार शाम को गोगादेव नवमी मनाई गई।
By: Arvind Mishra
Aug 18, 2025just now
इंदौर नगर निगम के आठ हजार से ज्यादा सफाई मित्र गोगा नवमी के अगले दिन यानी आज सोमवार को छुट्टी पर रहे। इसके चलते शहर की सफाई व्यवस्था जनप्रतिनिधि, रहवासी संघ, सामाजिक संगठन और अफसरों ने संभाली। गौरतलब है कि इंदौर 8 सालों से देश का सबसे स्वच्छ शहर है। दरअसल, इंदौर में रविवार शाम को गोगादेव नवमी मनाई गई। शहर में रात को अलग-अलग स्थानों से जुलूस निकले। दूसरे दिन सोमवार को नगर निगम ने सफाईकर्मियों के लिए अवकाश घोषित किया था, लेकिन शहर की सफाई व्यवस्था प्रभावित न हो, इसके लिए शहर के जनप्रतिनधियों, अफसरों और शहरवासियों ने मोर्चा संभाला। उन्होंने सड़क, उद्यान, मंदिर, सार्वजनिक स्थलों की सफाई की। शासकीय कर्मचारियों ने अपने परिसर को साफ किया। सुबह मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, इंदौर महापौर पुष्य मित्र भार्गव राजवाड़ा पहुंचे। उन्होंने सड़क पर झाड़ू लगाई। मार्ग पर काफी कचरा पड़ा था। उसे उठाया व डस्टबीन में डाला। शहरवासी और स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधि भी सड़कें साफ करने लगे। पार्षद और महापौर परिषद सदस्यों ने अपने-अपने वार्डों में सफाई अभियान चलाया। महापौर भार्गव ने कहा कि इंदौर जनभागीदारी का मॉडल है। साल भर अलग-अलग जुलूस निकलते है। चाहे राजनीतिक हो सांस्कृतिक आयोजन। जुलूस के पीछे सफाई मित्र शहर को साफ करते हैं। हर वर्ष वाल्मीकि समाज के वीर गोगा देव जुलूस निकलता है। दूसरे दिन सफाई मित्र एक दिन के अवकाश पर होते हंै। तब शहरवासी सफाई की जिम्मेदारी निभाते है।
मध्य प्रदेश के शहरी विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि इंदौर की सफलता के पीछे सबसे बड़ी वजह स्वच्छता अभियान में आम लोगों की भागीदारी और स्वच्छ मित्रों की मेहनत है। भारत के इतिहास में स्वच्छता भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा रहा है। स्वच्छता हमारी परंपरा में है। हमारे समाज में हमेशा से चीजों को भी उसे करने की एक परंपरा रही है। इंदौर की सफलता से दूसरे शहर स्वच्छता को लेकर काफी कुछ सीख सकते हैं। इंदौर आज एक स्वच्छता का मॉडल बन गया है।
रविवार रात को अलग-अलग स्थानों से छड़ी निशान निकालकर वीर गोगादेव महाराज का पूजन किया। वाल्मीकि बस्तियों से निशान निकलने का सिलसिला रात शुरू हुआ। इसमें शहर की ख्यात इमारत की प्रतिकृतियां भी नजर आईं। शहर के हृदय स्थल राजवाड़ा पर विभिन्न क्षेत्रों से छड़ी निशान पहुंचे। जगह-जगह मंचों से उनका स्वागत भी किया गया।