गंजबासौदा। जिस नगर में राम–सिया का विवाह हो…वहाँ हर कण आनंदमय और हर सांस मंगलमय हो जाती है। नगर में 25 नवंबर को निकलने जा रही भव्य और दिव्य बारात में अभी 5 दिन शेष हैं लेकिन सियाराम विवाहोत्सव से पहले ही विवाह पूर्व की रस्मों ने नगर में भक्ति, आनंद,उत्सव का वातावरण निर्मित कर दिया है। रामलला और माता जानकी के विवाह प्रसंग को जीवंत कर रहे इस महोत्सव में लगुन से शुरू हुई, श्री सीताराम विवाह की दूसरी रस्म गुरुवार को राम जी के तिलक उत्सव और माता सीता की गोद भराई, अयोध्या और मिथिला की संस्कृति, परंपराओं को जीविंत करते हुए संपन्न हुई। 23 नवंबर को सुबह माता पूजन एवं मंडप-स्थापन के वैदिक संस्कार होंगे। विवाहोत्सव उपलक्ष्य में 23 नवंबर को ही शाम 7 बजे गांधी चौक में सारेगामा फेम शरद शर्मा सहिय नगर के अन्य भजन गायकों द्वारा भजन संध्या प्रस्तुत की जाएगी
मालूम हो कि श्री रामरस धारा परिवार द्वारा आयोजित किए जा रहे श्री सीताराम विवाह महोत्सव की विभिन्न रस्मों को इस तरह उत्सव में शामिल किया गया है जिस तरह अयोध्या और मिथिला में उन परंपराओं को निभाया गया था। गुरुवार को श्रीराम के तिलकोत्सव और माता जानकी की गोद भराई की रस्म ने नगर को भक्ति–प्रेम के रंग में सराबोर कर दिया। भेंट में दी जा रही सामग्री की शोभायात्रा शीतला माता मंदिर से श्रद्धा भाव के साथ इन सभी भेंटों को सुसज्जित अलंकरण धारण किए दिव्य परिक्रमण रथों में बड़े सौंदर्य के साथ लाया गया। सजाए गए सुसज्जित रथों को गाजे बाजे और आतिशबाजी के साथ द्वारा सदर बाजार स्थित सिद्धेश्वर महादेव मंदिर तक लाया गया। नगर के मुख्य मार्गो से निकली शोभायात्रा का नगरवासियों ने पुष्प वर्षा से स्वागत किया।
द्वार स्वागत में दिखा जनकपुर का सौहार्द और अयोध्या का सम्मान
जब शोभायात्रा आयोजन स्थल पर पहुँची, तब जनक-सुनयना जी की भूमिका निभा रहे सुशील–दीपा गुप्ता ने जनकपुर की परंपरा के अनुरूप द्वार पर खड़े होकर अयोध्या से आए अतिथियों पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। वहीं माता जानकी की गोद भराई की रस्म में मिथिला की पारंपरिक संस्कृति की झलक देखने को मिली। जनक पक्ष की महिलाएं मंगल गीत गाते हुए नृत्य कर रही थीं। गोद भराई और तिलकोत्सव पूजन पंडित आशीष गोस्वामी द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ संपन्न कराया गया। महिलाओं के वैवाहिक मंगल गीतों के बीच माता सीता की गोद भराई सम्पन्न हुई। परंपरा के अनुरूप सुहागन महिलाओं ने थाल सजाए, मेंहदी, हल्दी, चूड़ियाँ, चुनरी और वैदिक मंगल सामग्री अर्पित की। सबसे पहले माता सीता की गोद भराई की रस्म हुई जिसमें दशरथ कौशल्या जी की भूमिका में हरि प्रीति नेमा ने माता सीता को लाल चुनरी उड़ाई और गोदी में दो तोले सोने से बने हार, मंगलसूत्र, चूड़ा, चेन, चांदी के पांच सिक्के, पायल, 31 जोड़ी सुंदर वस्त्र सहित श्रृंगार सामग्री माता सीता की गोद भरते हुए भेंट में दी। सीता जी की गोद भराई के बाद रामजी के तिलकोत्सव में जनकपुर की पावन परंपरा का अनुपम दृश्य देखने को मिला। जनक जी की ओर से भगवान श्रीराम को 51 हजार रुपये, दो तोला स्वर्ण की मणिमय चेन, 31 जोड़ी विशेष वस्त्र, मंगल फल, सुगंधित मेवा, मिष्ठान्न और वैदिक पूजन सामग्री अर्पित की गई। विवाहोत्सव के सूत्रधार और रामरस धारा परिवार के संस्थापक अंकुर माधव महाराज ने इस अवसर पर कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम और माता जानकी का यह विवाह हमें यह सिखाता है कि धर्म, प्रेम और समर्पण से ही जीवन धन्य होता है। आज के तिलकोत्सव, माता गोद भराई और भव्य शोभायात्रा में हमारी संस्कृति और परंपरा का अद्भुत दर्शन हो रहा है। राम–सिया के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाएँ और अपने परिवार, समाज और नगर को भक्ति और धर्म के मार्ग पर अग्रसर करें।