मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में ईरान के झंडे और पोस्टर लगाने से हड़कंप मच गया। भोपाल रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर छह के पास स्थित ईरानी डेरे को ईरान के झंडे से पाट दिया गया है। साथ ही ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई के पोस्टर भी लगाए गए हैं।
By: Arvind Mishra
Jun 29, 20252 hours ago
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में ईरान के झंडे और पोस्टर लगाने से हड़कंप मच गया। भोपाल रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर छह के पास स्थित ईरानी डेरे को ईरान के झंडे से पाट दिया गया है। साथ ही ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई के पोस्टर भी लगाए गए हैं। ईरान और इजरायल के बीच कई दिनों तक चले युद्ध के बाद भोपाल में ईरान का समर्थन किया गया। ईरानी डेरा में सड़क से लेकर ओवरब्रिज पर झंडे लहराते हुए देखे गए हैं। दरअसल, ईरानी डेरा में इस बार मोहर्रम के मौके पर ईरान के नेताओं के पोस्टर लगाए गए हैं। कई जगहों पर शिया समुदाय के प्रभावशाली धार्मिक और सैन्य नेताओं आयतुल्ला अली खामेनेई, अली अल सिस्तानी, जनरल मोहम्मद बाघेरी, कासिम सुलेमानी और अयातुल्ला खोमैनी के बड़े-बड़े पोस्टर लगाए गए हैं। एक जगह आयतुल्ला अली खामेनेई का फोटो तिरंगे के नीचे लगा है।
फतेहपुर से भोपाल आए ईरानी डेरे के इमाम शाहकार हुसैन ने कहा कि हर साल पोस्टर लगाए जाते हैं, लेकिन इस बार संख्या ज्यादा है। इसकी वजह है 12 दिन की वह जंग, जिसे इजराइल ने बुजदिलाना अंदाज में शुरू किया और ईरान ने करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि सीजफायर की मांग खुद इजराइल-अमेरिका ने की। यह सिर्फ ईरान नहीं, इंसाफ पसंद तमाम लोगों की जीत है।
इमाम हुसैन के मुताबिक, आयतुल्ला खामेनेई ने खुद कहा है कि यह जीत मोहर्रम की देन है। हमने इमाम हुसैन से सीखा है कि जुल्म के खिलाफ सिर नहीं झुकाते। मोहर्रम का यही संदेश है और इस बार इसे दुनिया के सामने रखना जरूरी था कि हक की राह पर चलने वाले कभी हारते नहीं। यहां जो बैनर लगे हैं, वे कोई सेलिब्रेशन नहीं, बल्कि एक वैचारिक प्रदर्शन हैं।
शाहकार हुसैन ने कहा कि इसमें भारत का बैलेंस रवैया रहा है। ईरानी कल्चरल हाउस ने एक लेटर जारी किया है। भारत की अवाम का शुक्रिया अदा किया है कि वह साथ में खड़े रहे, भारत का रवैया बिल्कुल सही था, जंग में किसी का फायदा नहीं है, नुकसान ही है। उन्होंने जंग रुकवाने की कोशिश भी की, मगर यूरोपियन कंट्रीज का स्टैंड गलत था। उन्होंने इसकी कहीं भी मजम्मत नहीं की।
ईरानी डेरे में तिरंगे के साथ पोस्टर लगाने पर मोहम्मद अली का कहना है कि हम भारत के ही हैं, यहीं का नमक खाया है। अगर वक्त आया तो देश के लिए जान देने से भी पीछे नहीं हटेंगे। हमने तिरंगा इसलिए लगाया ताकि लोग समझें कि हम भारतीय हैं और हमारी आस्था में विरोधाभास नहीं, समरसता है।
यहां लगे बैनरों में महात्मा गांधी का एक कथन भी प्रमुखता से छपा है, जिसमें लिखा है कि मोहर्रम सिर्फ एक फेस्टिवल नहीं, आतंकवाद के खिलाफ एक प्रोटेस्ट है। इन बैनरों के साथ काले झंडे और सबसे ऊपर भारतीय तिरंगा भी लगाया गया है।