मध्यप्रदेश में सरकार की शिक्षा से जुड़ी योजनाओं की सफलता धरातल पर दिखने लगी है। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि निजी-सरकारी कॉलेजों के आंकड़े खुद ही बयां कर रहे हैं। यहां खास बात यह है कि बच्चों की अपेक्षा बच्चियां उच्च शिक्षा के मामले में आगे हैं।
By: Arvind Mishra
Aug 16, 20256 hours ago
मध्यप्रदेश में सरकार की शिक्षा से जुड़ी योजनाओं की सफलता धरातल पर दिखने लगी है। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि निजी-सरकारी कॉलेजों के आंकड़े खुद ही बयां कर रहे हैं। यहां खास बात यह है कि बच्चों की अपेक्षा बच्चियां उच्च शिक्षा के मामले में आगे हैं। दरअसल, मध्य प्रदेश के निजी और सरकारी कालेजों में यूजी-पीजी पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश प्रक्रिया लगभग अंतिम चरण में है। इस बार भी कालेज में प्रवेश लेने में बेटियां हैं। इस बार यूजी-पीजी में 61 प्रतिशत छात्राएं और 39 प्रतिशत छात्रों ने मनपसंद कालेजों में दाखिला लिया है। इस साल यूजी-पीजी में 2.72 लाख छात्राओं ने प्रवेश लिया है। इतना ही नहीं, छात्राएं प्रवेश लेने के लिए नामांकन, च्वाइस फिलिंग और सत्यापन में भी आगे हैं। इसका प्रमुख कारण छात्राओं के लिए पंजीयन फ्री और कई योजनाओं का संचालित होना भी है। इसके साथ ही छात्राओं के पास होने का प्रतिशत भी अधिक है। छात्राओं के लिए शासन की ओर से प्रतिभा किरण योजना, एकल बालिका शिक्षा प्रोत्साहन योजना, लाड़ली लक्ष्मी योजना, गांव की बेटी योजना सहित अन्य कई योजनाएं हैं। इस कारण छात्राओं का कॉलेज में प्रवेश लेने में संख्या अधिक है। उच्च शिक्षा विभाग की यूजी-पीजी की दो मुख्य चरण व दो अतिरिक्त कॉलेज लेवल काउंसलिंग की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, जहां यूजी में अब तक 3.47 लाख और पीजी में 96 हजार विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है।
यूजी-पीजी में छात्र-छात्राओं का प्रवेश - 4.44 लाख
यूजी और पीजी में छात्राओं की संख्या - 2.72 लाख
यूजी और पीजी में छात्रों की संख्या - 1.71 लाख
यूजी में छात्राओं की संख्या - 2.04 लाख
यूजी में छात्रों की संख्या - 1.42 लाख
पीजी में छात्राओं की संख्या - 68 हजार
पीजी में छात्रों की संख्या - 28 हजार