मैहर, पांढुर्ना और मऊगंज को नया जिला बनाने के बाद मध्यप्रदेश में अब 55 जिले हो गए हैं। इसके अलावा कई छोटी तहसीलों को भी जिला बनाने की मांग उठ रही है, कई तहसीलों के प्रस्ताव भी लंबित हैं। इस बीच निमाड़ क्षेत्र के महेश्वर को भी जिला बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी है।
By: Arvind Mishra
Jun 23, 20253 hours ago
भोपाल। स्टार समाचार बेव
मैहर, पांढुर्ना और मऊगंज को नया जिला बनाने के बाद मध्यप्रदेश में अब 55 जिले हो गए हैं। इसके अलावा कई छोटी तहसीलों को भी जिला बनाने की मांग उठ रही है, कई तहसीलों के प्रस्ताव भी लंबित हैं। इस बीच निमाड़ क्षेत्र के महेश्वर को भी जिला बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। दरअसल, महेश्वर को जिला बनाने की वर्षों पुरानी मांग अब जन आंदोलन का रूप लेने जा रही है। इसी कड़ी में महेश्वर जिला बनाओ संघर्ष समिति की बैठक में शहरवासियों, सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। यदि महेश्वर को नया जिला बनाया जाता है तो यह मोहन सरकार का बड़ा फैसला होगा। महेश्वर प्राचीन शहर है, जिसे कभी महिष्मति के नाम से जाना जाता था। यह स्थान देवी अहिल्याबाई की राजधानी भी रही है। निमाड़ की जनता को उम्मीद है कि महेश्वर को कभी भी सौगात मिल सकती है। महेश्वर धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से अपनी अलग पहचान बना चुका है।
तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान से भी लोगों ने कई बार महेश्वर को नया जिला बनाने की मांग की थी। इसके बाद नए सीएम डॉ. मोहन यादव से भी महेश्वर को अलग जिला बनाने की मांग कर चुके हैं। कई वर्षों से महेश्वर को जिला बनाने की मांग की जा रही है। दावा किया जा रहा है कि जिला बनने की संभावनाओं को लेकर प्रशासनिक अमला सर्वे भी कर चुका है।
नए जिले बनाए जाने की उम्मीद में नागदा और चांचौड़ा भी शामिल हैं। इसके भी प्रस्ताव बन चुके हैं। लेकिन मामला राजनीतिक कारणों से अधर में अटका हुआ है। इसके अलावा बीना और खुरई को भी नया जिला बनाने के लिए काफी संघर्ष चल रहा है। बुंदेलखंड के दमोह को तोड़कर हटा को नया जिला बनाने की मांग भी काफी समय से हो रही है।
महेश्वर जिला बनाओ संघर्ष समिति के सदस्यों ने जिला बनाने के समर्थन में जनभागीदारी बढ़ाने, छात्र संगठनों को जोड़ने और गांव गांव आंदोलन को पहुंचाने की रणनीति बनाई। इस संघर्ष में युवाओं और छात्रों की भूमिका जरूरी है। वहीं भाजपा नेता भूरेसिंह पटेल ने आंदोलन को ग्रामीण क्षेत्रों तक ले जाने की आवश्यकता बताई। जनप्रतिनिधियों से संपर्क कर समर्थन प्राप्त करने की बात कही। संघर्ष समिति का संकल्प है कि जब तक महेश्वर को जिला नहीं बनाया जाता, आंदोलन शांत नहीं होगा।
इधर, वरिष्ठ अधिवक्ता जितेंद्र नेगी ने बताया कि पूर्व में किन कारणों से जिला नहीं बन पाया, उन कमियों को अब दूर किया जा रहा है। मंडलेश्वर नगर परिषद अध्यक्ष विश्वदीप मोयदे ने महेश्वर और मंडलेश्वर को मिलकर संगठित प्रयास करने का आह्वान किया। वरिष्ठ अभिभाषक संजीव मोयदे ने कहा कि मंडलेश्वर में पहले से ही जिला न्यायालय का संचालन हो रहा है, जो जिला गठन की मांग को मजबूती देता है। समिति अब नगर परिषदों, ग्राम पंचायतों और अन्य संस्थाओं से लिखित प्रस्ताव लेकर शासन को भेजेगी।
महेश्वर की पहचान सिर्फ एक धार्मिक स्थल या पर्यटन केंद्र के रूप में नहीं, बल्कि अपनी विशिष्ट माहेश्वरी साड़ियों, अहिल्या घाट, नर्मदा तट और ऐतिहासिक किले के कारण भी है। जिला बनने से क्षेत्र में प्रशासनिक सेवाओं का विस्तार होगा, विकास कार्यों को गति मिलेगी और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।