बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को 2008 के मालेगांव विस्फोट के पीड़ित परिजनों की याचिका पर एनआईए और इस मामले में बरी किए गए सातों लोगों को नोटिस जारी किया है। मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अंखड़ की पीठ ने अभियोजन पक्ष एनआईए और महाराष्ट्र सरकार को भी नोटिस जारी किए।
By: Arvind Mishra
Sep 18, 20253:25 PM
मुंबई। स्टार समाचार वेब
बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को 2008 के मालेगांव विस्फोट के पीड़ित परिजनों की याचिका पर एनआईए और इस मामले में बरी किए गए सातों लोगों को नोटिस जारी किया है। मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अंखड़ की पीठ ने अभियोजन पक्ष एनआईए और महाराष्ट्र सरकार को भी नोटिस जारी किए। अपील पर सुनवाई छह सप्ताह बाद तय की गई है। दरअसल, मालेगांव विस्फोट में मारे गए छह लोगों के परिजनों ने आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद राजपुरोहित सहित मामले के सात आरोपियों को बरी किए जाने के अदालत के फैसले को चुनौती दी गई है। पिछले सप्ताह दायर की गई याचिका में दावा किया गया है कि दोषपूर्ण जांच या जांच में खामियां आरोपियों को बरी करने का आधार नहीं हो सकतीं। याचिका में यह भी तर्क दिया गया है कि साजिश गुप्त रूप से रची गई थी और इसलिए इसका प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं हो सकता।
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि विशेष एनआईए अदालत द्वारा 31 जुलाई को पारित आदेश, जिसमें सातों आरोपियों को बरी कर दिया गया, वह गलत और कानून की दृष्टि से भी गलत था और इसलिए इसे रद्द किया जाना चाहिए। दुर्भाग्य से निचली अदालत ने केवल एक डाकघर की तरह काम किया है। अभियुक्तों को लाभ पहुंचाने के लिए एक गलत अभियोजन की अनुमति दी। एनआईए द्वारा मामले की जांच और सुनवाई के तरीके पर भी चिंता जताई गई और आरोपियों को दोषी ठहराने की मांग की गई है।
अपील में कहा गया है कि राज्य के एटीएस ने सात लोगों को गिरफ्तार करके एक बड़ी साजिश का पर्दाफाश किया था। इसमें दावा किया गया है कि एनआईए ने मामला अपने हाथ में लेने के बाद आरोपियों के खिलाफ आरोपों को कमजोर कर दिया। एनआईए कोर्ट ने अपने फैसले में अभियोजन पक्ष के मामले और की गई जांच में कई खामियों को उजागर किया था और कहा था कि आरोपियों को संदेह का लाभ मिलना चाहिए। प्रज्ञा ठाकुर और पुरोहित के अलावा मालेगांव विस्फोट मामले के अन्य आरोपियों में मेजर रमेश उपाध्याय (सेवानिवृत्त), अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुवेर्दी और समीर कुलकर्णी शामिल थे।