हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में सार्वजनिक स्थान पर प्रतिमाएं लगाए जाने के खिलाफ लगी जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने प्रमुख सचिव को आदेशित किया है कि वह सभी नगर पालिकाओं, नगर परिषदों में इसका सख्ती पालन करवाएं। किसी भी सार्वजनिक स्थानों पर नई प्रतिमाएं नहीं लगाई जाएं।
By: Arvind Mishra
Jul 09, 202510:49 AM
हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में सार्वजनिक स्थान पर प्रतिमाएं लगाए जाने के खिलाफ लगी जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने प्रमुख सचिव को आदेशित किया है कि वह सभी नगर पालिकाओं, नगर परिषदों में इसका सख्ती पालन करवाएं। किसी भी सार्वजनिक स्थानों पर नई प्रतिमाएं नहीं लगाई जाएं। दरअसल, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर डिवीजन बेंच ने एक महत्वपूर्ण आदेश देते हुए स्पष्ट किया है कि सार्वजनिक स्थलों पर किसी भी तरह की नई प्रतिमा स्थापित नहीं की जाएगी। कोर्ट ने यह निर्देश राज्य सरकार के प्रमुख सचिव और सभी नगर पालिकाओं और नगर परिषदों को जारी किया है। यह आदेश उज्जैन जिले के माकडोन गांव में मूर्ति स्थापना को लेकर हुए विवाद के बाद दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया। कोर्ट ने पुराने आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि 2023 में जबलपुर हाईकोर्ट भी ऐसा आदेश दे चुकी है कि नई प्रतिमाएं नहीं लगाई जाएंगी।
कोर्ट ने कहा कि इस तरह के निर्माण ट्रैफिक, कानून-व्यवस्था और सामाजिक विवादों का कारण बनते हैं। सभी नगरपालिकाएं और परिषदें आगे किसी भी सार्वजनिक स्थान पर कोई नई प्रतिमा न लगाई जाएं। पहले से जारी गाइडलाइन का सख्ती से पालन हो। सुप्रीम कोर्ट ने भी सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक या महापुरुषों की मूर्तियों के अनाधिकृत निर्माण पर रोक लगाने के निर्देश दिए थे।
जनवरी 2024 में माकडोन में पाटीदार समाज ने बिना अनुमति के सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा लगा दी थी, जिसके विरोध में भीम आर्मी और अनुसूचित जाति समाज के लोगों ने प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया। इसके बाद अंबेडकर की प्रतिमा लगाने की मांग की गई, और मामला हिंसक झड़पों तक पहुंच गया। इसी के बाद, अन्य समुदायों ने भी अपने-अपने महापुरुषों की मूर्तियां लगाने के लिए आवेदन देना शुरू कर दिया। मामला बढ़ते-बढ़ते कोर्ट पहुंच गया।
शासन की ओर से कहा गया कि शीर्ष अदालत की गाइड लाइन का पालन किया जा रहा है। अवैध तरीके से किए गए निर्माणों को हटाया जा रहा है। हालांकि, सुनवाई में एडवोकेट के तर्कों से सहमत होकर कोर्ट ने प्रमुख सचिव, सभी संबंधित विभागों, सभी नगर पालिकाओं को आदेशित किया कि प्रतिमाओं के संबंध में कोर्ट ने जो गाइडलाइन तय की है, इसका पालन किया जाए।
सुनवाई के दौरान एडवोकेट मनीष यादव ने 2023 के जबलपुर हाई कोर्ट के आदेश का हवाला दिया कि यह पहले का ही आदेश है। सुप्रीम कोर्ट तक आदेश दे चुका है कि जगह-जगह महापुरुषों की प्रतिमाएं लगाना ठीक नहीं है। इस तरह की प्रतिमाएं नहीं लगने दी जाएं। गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है। नई सड़कें, ब्रिज, बगीचों में प्रतिमाएं लगाने की योजनाएं बन रही हैं।