सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के एक कानून छात्र की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत की गई एहतियाती हिरासत को 'पूरी तरह से गलत और असंगत' करार देते हुए उसे तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है।
By: Star News
Jun 28, 20253 hours ago
नई दिल्ली. स्टार समाचार वेब
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के एक कानून छात्र की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत की गई एहतियाती हिरासत को 'पूरी तरह से गलत और असंगत' करार देते हुए उसे तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है। यह मामला मध्य प्रदेश के बैतूल जिले का है, जहां अनु उर्फ अनिकेत नामक कानून के छात्र को 11 जुलाई 2024 को एनएसए के तहत हिरासत में लिया गया था। अनिकेत की हिरासत तब की गई जब वह पहले से ही विश्वविद्यालय परिसर में एक प्रोफेसर से झगड़े के बाद दर्ज हत्या के प्रयास और अन्य धाराओं के एक मामले में जेल में बंद था। इसी दौरान, जिला मजिस्ट्रेट ने उस पर एनएसए के तहत एक अलग कैद का आदेश जारी कर दिया था।
न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां और के. विनोद चंद्रन की बेंच ने इस मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, "NSA की धारा 3(2) के तहत जो कारण दिए गए हैं, वे एहतियाती हिरासत के लिए उपयुक्त नहीं हैं। इसलिए अनु उर्फ अनिकेत की हिरासत पूरी तरह अनुचित है।"
बेंच ने यह भी रेखांकित किया कि छात्र की ओर से की गई अपील को जिला कलेक्टर ने खुद ही खारिज कर दिया, जबकि उसे राज्य सरकार के पास भेजा जाना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि जब छात्र पहले से ही जेल में था, तो उस पर एनएसए क्यों लगाया गया, और सिर्फ पुराने मामलों का हवाला देकर किसी को एनएसए में बंद रखना उचित नहीं है।
राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों के अनुसार, अनु उर्फ अनिकेत पर कुल नौ आपराधिक मामले दर्ज थे। इनमें से वह पांच मामलों में पहले ही बरी हो चुका है, एक केस में केवल जुर्माना लगा है, और दो मामले अभी भी लंबित हैं जिनमें उसे जमानत मिल चुकी है। इसके अलावा, 2024 के ताजा मामले में भी उसे 28 जनवरी 2025 को जमानत मिल चुकी थी। इस प्रकार, एनएसए ही एकमात्र कारण था जिससे वह जेल में बंद था।
इससे पहले, पीड़ित के पिता ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण (habeas corpus) याचिका दायर की थी, जिसे 25 फरवरी को खारिज कर दिया गया था। हाई कोर्ट ने तब कहा था कि छात्र एक आदतन अपराधी है और उसकी मौजूदगी से सार्वजनिक शांति को खतरा है।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर असहमति जताते हुए स्पष्ट आदेश दिया, "अगर अनु किसी और मामले में वांछित नहीं है, तो उसे तत्काल भोपाल सेंट्रल जेल से रिहा किया जाए।" कोर्ट ने कहा कि विस्तृत कारणों के साथ पूरा आदेश बाद में जारी किया जाएगा, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में हिरासत अनुचित है।
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) एक शक्तिशाली कानून है जो सरकार को किसी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए एक साल तक हिरासत में रखने की अनुमति देता है, बशर्ते उसकी गतिविधियां सार्वजनिक सुरक्षा या कानून व्यवस्था के लिए खतरा बन रही हों। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यह स्पष्ट कर दिया है कि हर गंभीर आरोप पर एनएसए नहीं लगाया जा सकता, खासकर तब जब व्यक्ति पहले से जेल में हो और अन्य संबंधित मामलों में जमानत पा चुका हो। यह फैसला देश में निवारक हिरासत कानूनों के दुरुपयोग पर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी है।