ट्रंप की ओर से टैरिफ लागू करने को लेकर बढ़ाई गई समयसीमा खत्म हो रही है। दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते को लेकर अभी कोई बात नहीं बन पाई है। ऐसे में राहुल गांधी ने अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करने को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है।
By: Arvind Mishra
Jul 05, 202512:15 PM
ट्रंप की ओर से टैरिफ लागू करने को लेकर बढ़ाई गई समयसीमा खत्म हो रही है। दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते को लेकर अभी कोई बात नहीं बन पाई है। ऐसे में राहुल गांधी ने अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करने को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर बने गतिरोध के बीच तय समय सीमा के आगे झुक जाएंगे। दरअसल, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। इस बार उन्होंने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और पीएम मोदी को अमेरिकी टैरिफ नीति को लेकर घेरा है। राहुल गांधी ने अपने एक्स में कहा कि मोदी सरकार अमेरिका के दबाव में आने वाली है और ट्रंप की तय समयसीमा के सामने झुक जाएगी। राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा-पीयूष गोयल चाहे जितनी छाती ठोक लें, मेरी बात लिख लीजिए, मोदी ट्रंप की टैरिफ डेडलाइन के सामने चुपचाप झुक जाएंगे। कांग्रेस नेता ने ये बयान ऐसे समय पर दिया है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक शुल्क को लेकर तनाव बना हुआ है। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर कुछ सामानों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की चेतावनी दी थी। इस मुद्दे पर केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया को लेकर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है।
इधर, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि भारत व्यापार समझौते अपनी शर्तों पर करता है। अमेरिका, यूरोपीय संघ, न्यूजीलैंड, ओमान, चिली और पेरू जैसे देशों के साथ बातचीत चल रही है। भारत तभी समझौता करता है जब दोनों देशों को फायदा हो और भारत के हित सुरक्षित रहें। हमारे लिए देश का हित सबसे जरूरी है। भारत किसी भी डेडलाइन के दबाव में समझौता नहीं करता। जब कोई सौदा देश के लिए अच्छा होता है, तभी हम उसे मंजूरी देते हैं।
गौरतलब है कि भारत की ओर से यह साफ संदेश दिया गया है कि वह किसी दबाव में आकर व्यापार समझौता नहीं करेगा। यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लगभग 100 देशों पर जवाबी टैरिफ लगाए थे, जिनमें भारत पर 26 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया था। हालांकि बाद में अमेरिका ने इन टैरिफ को 90 दिनों के लिए टाल दिया था, लेकिन यह छूट 9 जुलाई को खत्म हो रही है। इसी वजह से इस व्यापार डील को लेकर चर्चा तेज हो गई है।
एक प्रमुख मुद्दा यह है कि भारत ने मक्का और सोयाबीन जैसे अमेरिकी कृषि आयातों पर टैरिफ कम नहीं करने का कड़ा रुख अपनाया है। भारत में 80 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार देने वाले डेयरी क्षेत्र में ट्रम्प प्रशासन ने व्यापक पहुंच की मांग की थी। यह भी विवाद का मुद्दा रहा है। दूसरी ओर, भारत ने कपड़ा, रत्न एवं आभूषण, चमड़े के सामान और रसायन सहित अमेरिकी श्रम-प्रधान उद्योगों तक अपनी ज्यादा पहुंच की मांग की है। विशेष सचिव राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में भारत के डेलीगेट ने चर्चा के लिए वाशिंगटन में तय समय से अधिक दिनों तक रुके रहे फिर यह मुद्दा हल नहीं हो पाया है।