जीएसटी परिषद ने हाल ही में हुई बैठक में कई बड़े और आम लोगों से जुड़े फैसले लिए हैं। इनमें ₹2500 तक के जूते और कपड़ों पर जीएसटी घटाना और 12% व 28% के कर स्लैब को समाप्त करना शामिल है। जानें इन फैसलों का आप पर क्या असर पड़ेगा और जीएसटी प्रणाली में क्या बदलाव आएंगे।
By: Ajay Tiwari
Sep 03, 202510 hours ago
नई दिल्ली. स्टार समाचार वेब.
जीएसटी परिषद ने आम जनता को राहत देते हुए एक बड़ा फैसला लिया है। अब ₹2500 तक के जूते और परिधानों पर जीएसटी दर घटाकर 5% कर दी जाएगी। यह निर्णय केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई 56वीं जीएसटी परिषद की बैठक में लिया गया है।
वर्तमान में, ₹1000 तक के फुटवियर और कपड़ों पर 5% जीएसटी लगता था, जबकि इस सीमा से ऊपर की वस्तुओं पर 12% जीएसटी लगता था। जीएसटी परिषद ने इस सीमा को बढ़ाकर ₹2500 प्रति पीस करने का फैसला किया है, जिससे मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिलेगी।
जीएसटी परिषद की बैठक में एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। 12% और 28% के जीएसटी स्लैब को समाप्त करने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत इन स्लैब में आने वाली अधिकांश वस्तुओं को हटाकर उन्हें क्रमशः 5% और 18% के स्लैब में लाया जाएगा।
यह कदम जीएसटी की कर प्रणाली को और भी सरल और सुव्यवस्थित बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इससे न केवल कर प्रणाली आसान होगी, बल्कि यह उपभोक्ताओं के लिए भी फायदेमंद साबित होगी।
जीएसटी परिषद के इस फैसले से लाखों उपभोक्ताओं को सीधा फायदा होगा। विशेष रूप से, 1000 से ₹2500 की कीमत वाले जूते और कपड़ों पर 7% की बचत होगी। यह त्योहारी सीजन और आगामी शादियों के मौसम में ग्राहकों के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन होगा, जिससे बाजार में भी सकारात्मकता आने की उम्मीद है।
जूते और परिधानों पर जीएसटी में कटौती: ₹2500 तक के जूते और कपड़ों पर जीएसटी दर को 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है। पहले यह 5% की दर केवल ₹1000 तक की वस्तुओं पर लागू थी। इस फैसले से मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिलेगी।
12% का स्लैब समाप्त: जीएसटी परिषद ने 12% के कर स्लैब को समाप्त करने का निर्णय लिया है। इस स्लैब में आने वाली अधिकांश वस्तुओं को अब 5% और 18% के स्लैब में स्थानांतरित किया जाएगा, जिससे कर प्रणाली सरल होगी।
28% का स्लैब समाप्त: 28% के जीएसटी स्लैब को भी समाप्त किया जा रहा है। इस स्लैब की वस्तुओं को 18% के स्लैब में लाया जाएगा। इससे उन वस्तुओं की कीमतों में कमी आने की संभावना है जो पहले इस उच्चतम दर पर आती थीं।