सतना जिले में 108 एम्बुलेंस सेवा की हालत खस्ताहाल, मरीज को छोड़ने के बाद जिला अस्पताल गेट पर बंद पड़ी एम्बुलेंस को धक्का लगाकर स्टार्ट करना पड़ा। मॉनिटरिंग की कमी और स्टाफ की लापरवाही से जीवनदायिनी सेवा अब खटारा एक्सप्रेस बन रही है।
By: Yogesh Patel
Aug 18, 2025just now
हाइलाइट्स
सतना, स्टार समाचार वेब
कहने को तो जिले में 60 एम्बुलेंस संचालित हैं जिनमें से कुछ ही 108 एम्बुलेंस मरीजों का जीवन बचा रही हैं। इसके अलावा सभी 108 एम्बुलेंस कब और कहां बंद हो जाएं कोई भरोसा नहीं। मरीजों को ढ़ोने वाली एम्बुलेंस से मरीज अब खुद डरने लगे हैं कि कहीं ये जीवनदायिनी एक्सप्रेस ही उनकी जान बचाने के बजाय उनकी जान न ले ले। शनिवार को जिला अस्पताल में एक बार फिर जीवनदायिनी एक्सप्रेस को कटघरे में लेकर खड़ा करा दिया, जब रेफर मरीज को छोड़ने आई 108 एम्बुलेंस मरीज को उतारने के बाद स्टार्ट ही नहीं हुई। एम्बुलेंस को स्टार्ट करने के लिए धक्का लगाना पड़ा।
बताया गया कि शनिवार की देर रात मैहर जिले से सड़क दुर्घटना में घायल मरीज को जिला अस्पताल सतना के लिए रेफर किया गया था, जिसके लिए 108 एम्बुलेंस की सहायता ली गई थी। 108 एम्बुलेंस वाहन क्रमांक सीजी 04 एमडब्ल्यू 6375 ने मरीज को जिला अस्पताल के गेट में उतारने के बाद जैसे ही वाहन चालक ने वाहन स्टार्ट किया एम्बुलेंस स्टार्ट ही नहीं हुई। वाहन चालक द्वारा जिला अस्पताल के गेट में ही कई कोशिशें की गई लेकिन वे भी सफल नहीं हुई। अंत में एम्बुलेंस को धक्का लगाकर स्टार्ट करना पड़ा। गनीमत यह रही कि मरीज जिला अस्पताल पहुंच गया था, अगर यह घटनाक्रम रात में कहीं सूनसान सड़क में हुआ होता तो मरीज की स्थिति और गंभीर हो सकती थी।
बिना इन्फॉर्म किये ही भागा एम्बुलेंस स्टाफ
अस्पताल प्रबंधन की मानें तो मैहर से रेफर होकर जिला अस्पताल लाये मरीज को बड़ी जल्दबाजी में छोड़ा गया। 108 एम्बुलेंस के ईएमटी स्टाफ द्वारा जिला अस्पताल के डॉक्टरों को कोई सूचना भी नहीं दी गई। बताया गया कि जिला अस्पताल के एमर्जेन्सी स्टाफ ने जब मरीज की जानकारी ली तो पता चला कि मरीज को दोना पैरों के पंजों में और सर में चोट लगी थी, बॉटल भी मैहर से ही लगकर आई थी। जिला अस्पताल के स्टाफ द्वारा जब चिकित्स्कीय इलाज के लिए मरीज की दादी से पूंछा तो उन्होंने कहा कि जिला अस्पताल में हमें इलाज नहीं कराना है, हमें निजी अस्पताल जाना है। बताया गया कि कुछ देर रुकने के बाद मरीज और परिजन ने निजी वाहन को बुलाया और निजी अस्पताल चले गए।
मानीटरिंग न होने से बिगड़ रही व्यवस्था
जिले में यह कोई पहला मौका नहीं है जब 108 एम्बुलेंस के ऐसे हालात मिले हों। अभी हाल ही में हुई कई ऐसी घटनाओं ने जीवनदायिनी एक्सप्रेस को खटारा एक्सप्रेस कहने में मजबूर कर दिया है। इसका सबसे बड़ा कारण है इन एम्बुलेंस की मॉनिटरिंग न होना। ठेके पर दी गई जय अंबे इमरजेंसी सर्विसेज की 108 एम्बुलेंस सेवा के हाल बेहाल हैं। जानकारी के मुताबिक इसका संचालन भोपाल से होता है इसलिए इसके समन्वयक अधिकारी भी जिला अस्पताल में उपलब्ध नहीं रहते, न तो इनके बैठने का कहीं ठिकाना है और न ही कहीं दफ्तर।