सतना में धान खरीदी केंद्र पर बिहार से मजदूर बुलाए जाने से विवाद। मजदूरों को 1 रुपये प्रतिक्विंटल तक कम मजदूरी, स्थानीय कामगार नाराज़, श्रम कानूनों के पालन पर सवाल।
By: Yogesh Patel
Dec 09, 20258:35 PM
हाइलाइट्स
सतना, स्टार समाचार वेब
सेमरिया रोड में स्थित कृषि उपज मंडी में संचालित धान उपार्जन समिति ने प्रदेश की सीमा के पार से मजदूर बुलाएं हैं। जानकारी के मुताबिक यहां संचालित सकरिया क्रमांक दो नामक समिति में धान की तौलाई और बोरी पैक करने के लिए बिहार राज्य से मजदूर लाए गए हैं, ये मजदूर जनपद (जिला) महाराजगंज के निवासी हैं। इन मजदूरों ने बताया कि वह यहां केंद्र बनने के बाद आये हैं। तब से धान की तौलाई सहित अन्य कार्य कर रहे हैं। इनके लीडर (नाम नहीं बताया) ने जानकारी दी कि समिति 25 रुपए प्रति क्विंटल की दर से मजदूरी दे रही है। यह 25 रुपए 25 लोगो के लिये दिया जा रहा है। यानि 1 व्यक्ति 1 रुपए ही मजदूरी पड़ रही है। इसके अलावा बोरी के लिए किसान प्रति बोरी 2 रुपया दे रहा है।
106 खरीदी केंद्र बनाए गए : सतना जिला में धान उपार्जन के लिए 1 सैकड़ा से भी अधिक खरीदी केंद्र बनाएं गए हैं। जिला आपूर्ति अधिकारी सम्यक जैन ने बताया कि जिला में 106 धान उपार्जन केंद्र बनाये गए हैं। शनिवार तक 18646 मीट्रिक टन और मैहर में 2085 मीट्रिक टन धान का उपार्जन किया जा चुका है।
हर दिन 800 क्विंटल तौलाई
धान की तौलाई के लिए बिहार से इन मजदूरों में 20 साल से लेकर 40 साल तक के युवा है। जो सुबह 10 बजे से लेकर शाम तक तौलाई आदि का काम करते हैं। इन मजदूरों ने बताया कि दिन भर में 800 क्ंिवटल धान की तौलाई की जा रही है। इसके एवज में हर दिन की दिहाड़ी मिल जाती है। हालांकि मजदूर 40 दिन के करार पर यहां आए हैं।
लालता चौक के कामगार नाराज
बिहार से आए मजदूरों की खबर लगते ही लालता चौक के मजदूर नाराज है। उनका कहना है कि लोगों को जरूरत पड़ती है तो हमारी पूछ -परख करते हैं। अब जब इन दिनों हमको काम की आवश्यकता है तो बाहर से मजदूर लाकर काम करा रहे हैं। बोरी उठाना और तौलाई करना तो सरल काम है तो हमारी पूछ-परख
नहीं है।
यहां काम के लिए ही आये। वहां भी मजदूरी की करते हैं। अपने गांव में कारपेंटर का काम करते हैं, इसके अलावा कहीं भी कुछ काम मिला तो चले जाते हैं। पढ़ाई 6 वीं तक हुई है।
फहीम, मजदूर
अपने गांव में जो भी छोटा-मोटा काम मिलता है करते हैं। कहीं और मिल जाता है तो वहां चले जाते हैं। हाईस्कूल तक पढ़ा हूं। हमारे यहां 300 रुपए मजदूरी है। यही कारण है कि बाहर जाना पड़ता है।
शाहरुख, मजदूर
भाई, ऐसा ही काम तो कहीं मिल जाता है। यहां रोज नहीं है लेकिन धान खरीदी में रोज है तो लोकल के मजदूरों पर भरोसा कर लेते। यह तो एक तरह की ज्यादती हम जैसों पर।
राजेन्द्र यादव, दिहाड़ी मजदूर
क्या कहता है कानून
जब कोई ठेकेदार एक राज्य से दूसरे राज्य में 5 या उससे अधिक मजदूर काम पर लाता है, तो आॅक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशनल कोड 2020 के अंतर्गत आता है। तब अपने राज्य के श्रम विभाग में पंजीकरण कराना अनिवार्य होता है। श्रमिकों की कुल संख्या, कार्य स्थल, ठेकेदार का विवरण देना जरूरी। ठेकेदार को दोनों राज्यों से लाइसेंस लेना अनिवार्य जिस राज्य से मजदूर भेजे जा रहे हैं जिस राज्य में मजदूर काम करेंगे। लाइसेंस के बिना मजदूर लाना अवैध माना जाता है।
महाराजगंज के इन मजदूरों के रहने का ठिकाना मंडी में ही बने किसान कैंटीन के बगल से बने भवन और खाली पड़े एक तीन शेड में किया गया है। इन मजदूरों की मजबूरी यह है कि ठंड से बचने के लिए सूत से बने बोरा का सहारा लेना पड़ रहा है।