सतना के युवा निर्देशक यशोवर्धन मिश्र को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में सम्मानित किया। उनकी फिल्म कटहल – ए जैक फ्रूट मिस्ट्री को सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म का पुरस्कार मिला। इस उपलब्धि ने न केवल सतना बल्कि पूरे विंध्य और मध्यप्रदेश का मान बढ़ाया।
By: Star News
Sep 24, 2025just now
हाइलाइट्स
सतना, स्टार समाचार वेब
विंध्य की धरती के लिए मंगलवार का दिन गौरव का पल लेकर आया, जब सतना के युवा निर्देशक यशोवर्धन मिश्र को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में सम्मानित किया। मिश्र को उनकी फिल्म कटहल - ए जैक फ्रूट मिस्ट्री के लिए सर्वश्रेष्ठ हिन्दी फिल्म का पुरस्कार मिला। जैसे ही यशोवर्धन ने राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार ग्रहण किया, पूरा समारोह तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा और सतना सहित पूरे विंध्य व प्रदेश का सिर गर्व से ऊंचा हो गया। इस अवसर पर विभिन्न श्रेणियों में भी सम्मान वितरित किए गए। शाहरुख खान को फिल्म जवान के लिए और विक्रांत मेसी को 12वीं फेल के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता घोषित किया गया। वहीं, रानी मुखर्जी को मिसेस चटर्जी वर्सेज नार्वे के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का अवार्ड मिला। फीचर फिल्म श्रेणी में 12वीं फेल को बेस्ट फीचर फिल्मका पुरस्कार दिया गया।
वहीं, भगवंत केशरी को बेस्ट तेलुगु फिल्म, पार्किंग को बेस्ट तमिल फिल्म और गोडे-गोडे छा को बेस्ट पंजाबी फिल्म का पुरस्कार दिया गया। इसी कड़ी में पोक्कलम फिल्म के लिए विजय राघवन को, पार्किंग के लिए सोमू भास्कर को, वेस्ट सपोर्टिंग एक्टर तथा उर्वशी व जानकी को वेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस अवार्ड दिया गया है।
पूरी तरह मप्र की फिल्म
हालांकि, घटना उप्र से जुड़ी थी, मगर कटहल को पूरी तरह से मध्यप्रदेश की फिल्म कहा जा सकता है। फिल्म की कहानी लिखने वाले अशोक मिश्रा और निर्देशक यशोवर्धन प्रदेश के सतना जिले के हैं। जबकि इसका प्रस्तुतीकरण छतरपुर, पन्ना, महोबा समेत समूचे बुंदेलखंड की पृष्ठभूमि पर किया गया है। यहां तक कि फिल्म में जिस मोगा गांव का जिक्र है वह गांव भी महोबा के निकट है। फिल्म की पूरी शूटिंग ग्वालियर व उसके आसपास के इलाकों में की गई है। हालांकि, फिल्म निर्माण के दौरान यशोवर्धन के सामने कई प्रकार की समस्याएं आर्इं।
मगर उन्हें बालाजी टेलीफिल्मस की एकता कपूर का सहयोग मिला और फिल्म का निर्माण पूर्ण हुआ। यशोवर्धन के कला-संसार को पिता के अनुभवों ने दिशा दी, जबकि ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ फेम दिलीप जोशी उर्फ जेठालाल उनके धर्मपिता के रूप में संबल बने। पत्नी नियति और परिजनों केके मिश्र, शिव मिश्र, नरेश जायसवाल, अशोक दीक्षित, दिलीप मिश्र, नीरजा मिश्र, प्रीति मिश्र, अदिति मिश्र, शुभांगी बाजपेई, विश्रुत मिश्र आदि का संबल सृजनात्मक उंचााइयों तक पहुंचाने में सहायक रहा।
आजम खां की भैंस चोरी प्रकरण से मिला आइडिया
सतना के यशोवर्धन की यह दूसरी फिल्म है, जिसका उन्होंने निर्देशन किया है। इसके पहले महाराष्ट्र के प्याज किसानों के आंदोलन पर आधारित एक शार्ट हिन्दी फिल्म मंडी का निर्देशन भी वे कर चुके हैं जिसे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई समारोंहों में सराहना मिली थी। बताया गया कि कटहल फिल्म का आईडिया उप्र के नामचीन सपा नेता आजम खान के बहुचर्चित भैंस चोरी कांड से प्रेरित था। गौरतलब है कि सालों सपा नेता खान की भैंस चोरी होने के बाद समूची प्रशासनिक मशीनरी भैंस की तलाश में जुट गई थी। उसी घटना से प्रेरित होकर कटहल चोरी की कहानी बुनी गई जो सर्वश्रेष्ठ हिन्दी फिल्म के मुकाम तक पहुंची।
इस फिल्म के कहानीकार अशोक मिश्रा को बालीवुड में वेलकम टू सज्जनपुर, वेल्डन अब्बा, नशीम और समर जैसी सामाजिक संदेशों वाली फिल्मों के लेखन के लिए जाना जाता है।