शत्रु संपत्तियों पर दबंगों का कब्जा, बम्हौर में कर दी गई रजिस्ट्री - प्रशासनिक लापरवाही से बढ़ रहा अवैध कब्जों का खतरा

सतना जिले की शत्रु संपत्तियां अब अवैध कब्जों और फर्जी रजिस्ट्रियों का शिकार हो रही हैं। बम्हौर गांव में दबंग द्वारा शत्रु संपत्ति पर कब्जा कर उसकी रजिस्ट्री करवा ली गई है। ग्रामीणों ने शिकायत की लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। प्रशासन की निष्क्रियता पर उठ रहे सवाल।

By: Yogesh Patel

Aug 05, 202510 hours ago

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शत्रु संपत्तियों पर दबंगों का कब्जा, बम्हौर में कर दी गई रजिस्ट्री - प्रशासनिक लापरवाही से बढ़ रहा अवैध कब्जों का खतरा

हाइलाइट्स 

  • बम्हौर गांव में शत्रु संपत्ति पर कब्जा कर फर्जी रजिस्ट्री करवाई गई, 6 रजिस्ट्रियों का खुलासा।
  • ग्राम पंचायत की शिकायत के बावजूद अब तक प्रशासन ने नहीं की कोई कार्रवाई।
  • शत्रु संपत्तियों का डिजिटलीकरण सरकारी योजना, लेकिन जमीनी हकीकत में फैल रहा अतिक्रमण।

सतना, स्टार समाचार वेब

भारत सरकार द्वारा संरक्षित की गई शत्रु संपत्तियां इन दिनों सतना जिले में अतिक्रमण और अवैध कब्जे का शिकार हो रही हैं। ग्राम पंचायत बचवई के अंतर्गत आने वाले गांव बम्हौर में एक दबंग द्वारा शत्रु संपत्ति पर जबरन कब्जा कर लिया गया है, जिसकी शिकायत उपसरपंच समेत ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन से की है। इतना ही नहीं शत्रु संपत्ति को अपनी आराजी से जोड़कर खरीदी -बिक्री भी कर ली गई है। बावजूद इसके अब तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हो सकी है, जिससे क्षेत्रवासियों में आक्रोश है और प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।हालंकि कलेक्टर ने ग्राम पंचायत के आवेदन पर सीमांकन पर रोक लगा दी है लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि शत्रु आराजी की रजिस्ट्री के दौरान पटवारी, आरआई व  तहसीलदार क्या कर रहे थे जबकि ग्राम पंचायत ने उनसे भी इस आशय की शिकायत की थी। 

ताजा मामला: बम्हौर की आराजी पर अवैध कब्जा

ग्राम पंचायत बचवई के उपसरपंच आरवेंद्र सिंह गांधी एवं अन्य ग्रामीणों ने एसडीएम, तहसीलदार और पटवारी को दिए गए शिकायती पत्र में बताया है कि बम्हौर निवासी जबर सिंह चिंतौड़िया द्वारा निजी भूमि आराजी क्रमांक 151/1 के साथ सटी हुई शत्रु संपत्ति की जमीन, आराजी क्रमांक 146 पर जबरन कब्जा कर लिया गया है। बताया जाता है कि जबर सिंह की आराजी क्र. 151/1 का रकबा 45 बाई 210 था । इसी से सटी शत्रु संपत्ति की तकरीबन 5 एकड़ रकबे की आराजी है। बताया जाता है कि स्थानीय राजस्व अमले से सांठ-गांठ कर अपनी आराजी के साथ ही  उक्त शत्रु संपत्ति को खुर्द-बुर्द कर उसका सौदा भी कर लिया गया है। 6 रजिस्ट्रियां भी कराई गई हैं। शिकायत के बावजूद, स्थानीय प्रशासन की ओर से अब तक न कोई जांच की गई है, न ही अतिक्रमण हटाने की कोई कार्यवाही हुई है। इससे दबंगों के हौसले और बुलंद हो रहे हैं। और उनकी नजर अब शेष बची शत्रु संपत्ति पर गड़ गई है। हालंकि ग्राम पंचायत ने मामला संज्ञान में आने के बाद कलेक्टर के यहां आवेदन लगाकर सीमांकन रोकने की मांग की है जिसके बाद फिलहाल सीमांकन नहीं हो सका है। 

क्या होती है शत्रु संपत्ति?

शत्रु संपत्ति उन व्यक्तियों की होती है जिन्होंने भारत के साथ युद्ध के दौरान पाकिस्तान या चीन की नागरिकता ग्रहण कर ली थी और भारत में स्थित अपनी संपत्ति को छोड़ गए थे। भारत सरकार ने 1962 के भारत-चीन युद्ध, 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद इन संपत्तियों को जब्त कर लिया और इन्हें शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 के तहत संरक्षित किया गया। इन संपत्तियों में भूमि, मकान, फार्म, शेयर, बैंक बैलेंस, प्रोविडेंट फंड जैसी अचल व चल संपत्तियां शामिल हैं। इनका प्रबंधन कस्टोडियन ऑफ एनमी प्रॉपर्टी फॉर इंडिया के अधीन किया जाता है।

जिले में कई शत्रु संपत्तियां, नागौद में सर्वाधिक 

सतना जिले की नागौद और रघुराजनगर तहसीलों में कई  शत्रु संपत्तियां चिन्हित की गई हैं । नागौद तहसील में सर्वाधिक  संपत्तियां, जिनमें से सबसे अधिक बम्हौर गांव में हैं। रघुराजनगर तहसील में 3 संपत्तियां, विशेषकर गढ़िया टोला व सोहावल क्षेत्र में स्थित हैं। इनमें से अधिकांश संपत्तियां वर्षों से खाली पड़ी हैं, लेकिन अब उन पर दबंगों द्वारा कब्जा करने की घटनाएं तेजी से सामने आ रही हैं।

विकास कार्यों में बाधा बन सकता है कब्जा

उपसरपंच और ग्रामीणों का कहना है कि यदि शत्रु संपत्तियों पर इस तरह से कब्जे होते रहे, तो भविष्य में विकास योजनाओं के लिए सरकारी जमीन की भारी कमी हो जाएगी। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि ऐसी संपत्तियों की तत्काल पहचान कर उन्हें अतिक्रमण मुक्त कराया जाए, ताकि उनका उपयोग जनहित के कार्यों में किया जा सके।

डिजिटलीकरण की तैयारी लेकिन जमीनी हकीकत अलग

केंद्र सरकार शत्रु संपत्तियों के डिजिटलीकरण और नीलामी की दिशा में काम कर रही है। रिमोट सेंसिंग तकनीक के जरिये इन संपत्तियों के डिजिटल मैप (ई-मैप) तैयार किए जाएंगे। जिलों से इन संपत्तियों की स्थिति, लोकेशन और कब्जे संबंधी जानकारी मांगी गई है। इन संपत्तियों के क्रय-विक्रय, नीलामी या उपयोगी पुनर्विकास पर सरकार विचार कर रही है।लेकिन इन सब सरकारी योजनाओं के बीच स्थानीय प्रशासन की उदासीनता बड़ी बाधा बनकर सामने आ रही है। यदि समय रहते प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई, तो ये संपत्तियां विकास की बजाय विवाद और भ्रष्टाचार का गढ़ बन जाएंगी।

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