सतना के कोलगवां थाना क्षेत्र में छात्र की हत्या के मामले में पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपियों के पास से अवैध कट्टे और कारतूस बरामद हुए। घटना ने जिले में बढ़ती हथियार संस्कृति और पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
By: Star News
Sep 06, 2025just now
हाइलाइट्स
सतना, स्टार समाचार वेब
कोलगवां थाना क्षेत्र के बिरला रोड पर 4 सितंबर को हुई गोलीबारी की घटना में शामिल चार आरोपियों को कोलगवां पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए महज कुछ घंटों में गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से दो अवैध देशी कट्टे, जिंदा कारतूस और चले हुए खोखे भी बरामद किए हैं। गोली लगने से छात्र की मौत हो गई थी जबकि एक युवक बाल-बाल बच गया था। हत्याकांड में शामिल एक आरोपी फरार चल रहा है जिसकी तलाश पुलिस के द्वारा की जा रही है।
गोली चलाने से मना किया तो मार दी गोली
बिरला रोड एकलव्य नगर निवासी 21 वर्षीय सूर्या प्रताप सिंह ने थाना कोलगवां में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि वह अपने दोस्त आदित्य के साथ बिरला रोड स्थित एफसीआई गोदाम के पास चाय पीकर बस स्टैंड जाने के लिए बाइक पर बैठा ही था कि तभी उसके पुराने साथी वेद प्रकाश मिश्रा उर्फ वेद उर्फ हर्ष, आयुष द्विवेदी उर्फ बेटू किंग, अर्पित तिवारी उर्फ अमन, सचिन पाल, मान सिंह उर्फ बेटू सिंगरौल तथा सत्यम शुक्ला वहां आ धमके। वेद मिश्रा ने गाली-गलौच शुरू कर दी और कहा कि ‘ आजकल हमसे मतलब नहीं रखता।’ इसी दौरान आयुष द्विवेदी ने फरियादी का मोबाइल फोन छीन लिया। जब सूर्या प्रताप ने आयुष का कॉलर पकड़कर फोन लौटाने को कहा, तो सभी आरोपियों ने उस पर हमला कर दिया और पीठ व गर्दन में मारपीट की। इसी बीच, वेद मिश्रा ने जान से मारने की नीयत से कट्टे से सूर्या प्रताप पर गोली चला दी, जो सौभाग्य से उसे नहीं लगी क्योंकि वह झुक गया। जब सत्यम शुक्ला ने अपने साथियों को गोली चलाने से रोका, तो सचिन पाल ने उसी पर गोली चला दी, जिससे गोली सीधे उसके सीने में जा लगी। घायल सत्यम को आरोपी आॅटो में बैठाकर संतोषी माता मंदिर की ओर ले गए।घायल सत्यम शुक्ला को पहले बिरला अस्पताल और बाद में गंभीर स्थिति को देखते हुए रीवा मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है। पुलिस ने अस्पताल पहुंचकर उसकी स्थिति की जानकारी ली।
पुलिस ने भेजा जेल
पुलिस ने कोलगवां थानांतर्गत हनुमान नगर नई बस्ती निवासी वेद प्रकाश मिश्रा उर्फ वेद उर्फ हर्ष पिता रविकांत मिश्रा, सिद्धार्थ नगर निवासी सचिन पाल पिता सौखीलाल पाल, करही हाल मुकाम एफ-53 बिरला कालोनी निवासी अर्पित तिवारी उर्फ अमन पिता भूपेन्द्र तिवारी तथा रीवा जिले के सेमरिया थानांतर्गत खारा गांव निवासी मान सिंह उर्फ बेटू सिंगरौल को गिरफ्तार करते हुए आरोपियों से एक 12 बोर का देशी कट्टा, 315 बोर का देशी कट्टा , चले हुए खोखे और एक जिंदा कारतूस बरामद किया है। गिरफ्तार आरोपियों को न्यायालय में प्रस्तुत किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। इस मामले में आयुष द्विवेदी उर्फ बेटू किंग की तलाश की जा रही है।
धरपकड़ के लिए एसपी ने बनाई पुलिस टीम
घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक आशुतोष गुप्ता, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉ. शिवेन्द्र सिंह बघेल तथा नगर पुलिस अधीक्षक डीपी सिंह चौहान के मार्गदर्शन में थाना कोलगवां प्रभारी निरीक्षक सुदीप सोनी के नेतृत्व में कई टीमें गठित की गईं। निरीक्षक सुदीप सोनी, प्रशिक्षु उपनिरीक्षक आशुतोष त्यागी, उपनिरीक्षक विजय सिंह, अखिलेश्वर तिवारी, सहायक उपनिरीक्षक उमेश पाण्डेय, प्रधान आरक्षक बृजेश सिंह, वाजिद खान, अरुण करोसिया समेत कोलगवां थाने के अन्य पुलिस बल की टीमों को आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए अलग-अलग टास्क दिए गए। कुछ ही घंटों में चार मुख्य आरोपी पकड़ लिए गए और थाना लाकर पूछताछ की गई, जिसमें उन्होंने अपराध कबूल किया।
...तो हर कमर में फंसा होगा कट्टा
बेशक सतना पुलिस ने 24 घंटे के भीतर कोलगवा थाना क्षेत्रांतर्गत बढ़इया टोला में दिन दहाड़े गोली मारकर की गई एक छात्र की हत्या के मामले में आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया हो , लेकिन इस घटना ने कई अनुत्तरित सवाल खड़े कर दिए हैं जो न केवल पुलिस अधिकारियों के बल्कि सामाजिक विज्ञानियों के लिए भी चिंता का विषय है। आज सतना की गलियों में कट्टा या पिस्टल लेकर घूमना युवाओं के लिए सामान्य बात हो गई है। एक समय था जब पुलिस गश्त और चौराहों पर नियमित चेकिंग के दौरान हथियारबंद संदिग्धों को पकड़ती थी, जिससे अवैध गतिविधियों पर नियंत्रण रहता था। लेकिन अब वह सतर्कता दिखाई नहीं देती। पुलिसिया उपस्थिति और दबदबे में आई यह गिरावट ही अपराधियों के हौसले बढ़ा रही है। यह विडंबना ही है कि पुलिस वर्षभर आर्म्स एक्ट के तहत दर्जनों मामलों में आरोपियों को गिरफ्तार करती है, लेकिन शायद ही कोई ऐसा उदाहरण हो, जब हथियार सप्लाई करने वाले नेटवर्क का भंडाफोड़ हुआ हो। क्या यह पुलिस की कार्यप्रणाली में कमी है या फिर अवैध हथियार कारोबारियों को बचाने की कोई मौन सहमति? यह एक गंभीर प्रश्न है, जिस पर सार्वजनिक विमर्श और जांच की आवश्यकता है। यह केवल पुलिसिंग का मसला नहीं है। यह हमारे समाज में बढ़ती हिंसा, दबंगई और युवाओं के बीच पनपती हथियार संस्कृति का भी प्रतिबिंब है। कट्टे की चमक अब युवा मन का आकर्षण बन चुकी है। ऐसे में यह सवाल भी जरूरी है कि क्या हमारा समाज युवाओं को सही दिशा दे पा रहा है?अगर अब भी पुलिस और प्रशासन ने कठोर कदम नहीं उठाए, तो वह दिन दूर नहीं जब सतना की हर गली में कमर में कट्टा खोंसे युवा दिखाई देंगे। इस बढ़ती हथियार संस्कृति पर समय रहते लगाम लगाना जरूरी है, वरना यह सिर्फ कानून-व्यवस्था ही नहीं, बल्कि सामाजिक ढांचे को भी छिन्न-भिन्न कर देगा।