मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के भतीजे और रायसेन जिले की भोजपुर सीट से भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटवा की मुश्किलें बढ़ गई है। उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। यह वारंट इंदौर की विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट ने जारी किया है। विधायक पटवा पर धारा 420, 409,120 बी के तहत यह वारंट जारी किया गया है।
By: Arvind Mishra
Sep 10, 2025just now
भोपाल। स्टार समाचार वेब
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के भतीजे और रायसेन जिले की भोजपुर सीट से भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटवा की मुश्किलें बढ़ गई है। उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। यह वारंट इंदौर की विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट ने जारी किया है। विधायक पटवा पर धारा 420, 409,120 बी के तहत यह वारंट जारी किया गया है। कोर्ट ने पटवा को गिरफ्तार कर 16 सितंबर को पेश करने का आदेश सीबीआई और ईओडब्ल्यू को भेजा गया है। पटवा के खिलाफ यह वारंट तीसरी बार जारी हुआ है। इससे पहले भी कोर्ट ने 29 अगस्त 2025 को वारंट जारी किया था। इसमें 8 सितंबर को पेश होना था। लेकिन वह नहीं गए। दरअसल, विधायक पटवा के खिलाफ चेक बाउंस के 70 से ज्यादा केस कोर्ट में लंबित हैं। ज्यादातर में मामला हाईकोर्ट तक जा चुका है। कुछ में उन्हें राहत भी मिली है, जिसे सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई है। बार-बार नोटिस के बाद भी पटवा कोर्ट में हाजिर नहीं हो रहे थे। अक्टूबर 2021 में सीबीआई ने सुरेंद्र पटवा और उनकी पत्नी के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था। यह केस बैंक आफ बड़ौदा की इंदौर शाखा से मिली शिकायत पर दर्ज किया गया था। पटवा परिवार पर आरोप है कि उन्होंने बैंक से जुड़े लेन-देन में गड़बड़ी की। जिसके बाद धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज किया गया था।
पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटवा के खिलाफ सात साल पहले भी तत्कालीन इंदौर कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव की कोर्ट ने उनकी संपत्ति कुर्क करने का आदेश दिया था। यह आदेश 33.45 करोड़ का बैंक लोन नहीं चुकाने पर जारी किया गया था। कोर्ट ने कहा था कि गिरवी रखी गई संपत्ति बैंक को फौरन सौंपी जाए। बैंक इसकी कुर्की कर लोन की वसूली करेगा।
15 सितंबर 2014 को पटवा की कंपनी ने बैंक से 36 करोड़ का लोन लिया था। किस्तें नहीं चुकाने पर 2 मई 2017 को इसे एनपीए में डालते हुए संबंधित को 33.45 करोड़ जुलाई 2017 तक चुकाने का नोटिस जारी हुआ। लोन नहीं चुकाए जाने पर बैंक ने डीएम कोर्ट में संपत्ति का कब्जा दिलाने का आवेदन दिया था। इसमें लगातार सुनवाई हुई और मामला डीआरटी में गया। डीआरटी ने जनवरी 2019 तक लोन चुकाने का मौका दिया था।
अप्रैल 2025 में भी सुरेंद्र पटवा को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा था। तब अलग-अलग बैंकों में फर्जी खाते खोलने के मामले में सीबीआई की एफआईआर को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया था। जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस आदेश को पलट दिया था। अदालत ने हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए मामला फिर से हाईकोर्ट को भेज दिया था।