मध्यप्रदेश में आपात सेवाओं के लिए एक दशक सक्रिय डायल-100 सेवा अब इतिहास बनने जा रही है। सरकार ने इसे 15 अगस्त 2025 से बंद करने का निर्णय लिया है। इसकी जगह अब डायल-112 सेवा शुरू की जा रही है, जो तकनीकी रूप से अधिक उन्नत और तेज रिस्पॉन्स देने वाली होगी।
By: Arvind Mishra
Aug 10, 202523 hours ago
मध्यप्रदेश में आपात सेवाओं के लिए एक दशक सक्रिय डायल-100 सेवा अब इतिहास बनने जा रही है। सरकार ने इसे 15 अगस्त 2025 से बंद करने का निर्णय लिया है। इसकी जगह अब डायल-112 सेवा शुरू की जा रही है, जो तकनीकी रूप से अधिक उन्नत और तेज रिस्पॉन्स देने वाली होगी। डायल-112 सेवा पहले से ही हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में सफलतापूर्वक चलाई जा रही है। अब मध्यप्रदेश इसे अपनाकर आपात सेवाओं को और अधिक तेज और प्रभावी बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। दरअसल, मध्यप्रदेश में 15 अगस्त से नई डायल 112 सेवा शुरू की जा रही है। अब यूरोपीय देशों की तरह 112 को राज्य में इमरजेंसी नंबर के रूप में पहचाना जाएगा। लोग अपराध, आग या किसी भी आपदा की स्थिति में मदद के लिए इसी नंबर पर कॉल कर सकेंगे। 972 करोड़ की लागत से 1200 फर्स्ट रिस्पॉन्स व्हीकल (एफआरवी) का संचालन अब ईएमआरआई ग्रीन हेल्थ सर्विसेज को सौंपा गया है।
कंपनी 15 अगस्त से पहले सभी एफआरवी को मॉडिफाई कर रही है। भदभदा रोड स्थित पुलिस के रेडियो मुख्यालय के पीछे 1200 वाहन खड़े किए गए हैं, जिनमें वायरलेस सिस्टम, बीकन लाइट, मोबाइल डेटा टर्मिनल, डैशबोर्ड कैमरा, बॉडी वॉर्न कैमरा, टूल किट और स्ट्रेचर लगाए जा रहे हैं। साथ ही, नया कॉल सेंटर, हाइटेक सर्वर रूम तैयार किया जा रहा है। ड्राइवरों और स्टाफ की भर्ती प्रक्रिया भी तेजी से जारी है। तय समय में कार्य पूरा नहीं होने पर कंपनी पर जुमार्ने का भी प्रावधान है।
प्रदेश के 55 जिलों के लिए नई 1200 एफआरवी के हो रहे टेंडर का एक बड़ा फायदा ये भी होगा कि लोगों तक इनके पहुंचने का समय घटेगा। पुरानी हो चुकी 1000 एफआरवी को जरूरतमंद तक पहुंचने में आधा घंटे तक का वक्त लग जाता है। सितंबर 2030 तक हुए नए टेंडर में सभी वाहन नए होंगे और पिछले के मुकाबले 200 वाहन ज्यादा भी होंगे। इसलिए हर जिले को पिछले अलॉटमेंट से ज्यादा वाहन मिलेंगे।
इधर, एक चर्चा के दौरान मप्र पुलिस टेलिकॉम के एडीजी संजीव शमी ने कहा कि मुसीबत में पुकार रहे व्यक्ति के पास तेजी से पहुंचें, डायल 112 को लेकर हमारा यही उद्देश्य है। हजारों सड़क दुर्घटनाओं में घायलों को इन एफआरवी ने समय रहते अस्पताल पहुंचाया है। विशेषकर महिलाओं की कॉल पर उनके पास पहुंचकर प्रताड़ना के मामलों में उन्हें राहत दी है। लोक सुरक्षा और सेवा की कटिबद्धता के साथ डायल 112 की टीम समर्पित है।
नई व्यवस्था में एफआरवी को नेशनल इमरजेंसी नंबर 112 से जोड़ा जा रहा है, ताकि लोग अलग-अलग नंबरों के झंझट में न पड़ें। उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों में यह पहले ही लागू हो चुका है। मध्यप्रदेश में भी अब 100 नंबर डायल करने पर कॉल सीधे 112 कंट्रोल रूम में लैंड होगी। यदि कॉलर को मेडिकल या फायर ब्रिगेड की मदद चाहिए, तो कंट्रोल रूम कॉल को 108 एंबुलेंस या फायर सर्विस से तुरंत जोड़ देगा, जिससे मदद तेजी से मिल सकेगी।