बुंदेलखंड की धूल भरी गलियों में जहां लड़कियां खेलों से ज्यादा सपनों में सीमित कर दी जाती हैं। वहीं एक छोटी सी लड़की ने अपने हौंसलों से इतिहास रच दिया है। वो लड़की जो कभी क्रिकेट मैदान में बॉल उठाया करती थी आज क्रिकेट के मैदान में भारत के लिए विकेट चटका रही है।
By: Arvind Mishra
Nov 04, 20253:14 PM
सफलता की कहानी: एक छोटी सी लड़की ने हौंसलों से रचा इतिहास
उपलबिध: बॉल उठाने से लेकर विश्व विजेता बनने तक का सफर
भोपाल। स्टार समाचार वेब
बुंदेलखंड की धूल भरी गलियों में जहां लड़कियां खेलों से ज्यादा सपनों में सीमित कर दी जाती हैं। वहीं एक छोटी सी लड़की ने अपने हौंसलों से इतिहास रच दिया है। वो लड़की जो कभी क्रिकेट मैदान में बॉल उठाया करती थी आज क्रिकेट के मैदान में भारत के लिए विकेट चटका रही है। छतरपुर जिले के छोटे से गांव घुवारा के एक सामान्य परिवार में जन्मी क्रांति गौड़ आर्थिक तंगी और सामाजिक बंदिशों के बीच पली-बढ़ी। इस बेटी का सपना था- अपने देश के लिए खेलना। बचपन में जब गांव में टेनिस बॉल क्रिकेट टूर्नामेंट होते थे, तो क्रांति वहां बॉल गर्ल बनकर गेंद उठाया करती थी। किसी ने सोचा नहीं था कि यह लड़की एक दिन भारत की विश्व विजेता टीम का हिस्सा बनेगी।
क्रांति के पिता एक पुलिसकर्मी थे। 2012 में नौकरी छूटने से परिवार पर आर्थिक संकट आ गया। घर की हालत ऐसी थी कि क्रांति को कक्षा 8 के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी, पर उसने हार न मानते हुए बैट और बॉल को अपना भविष्य बना लिया। वर्ष 2017 में क्रांति ने साईं क्रिकेट एकेडमी, छतरपुर में कोच राजीव बिल्थारे की देखरेख में ट्रेनिंग शुरू की। कोच ने उसकी प्रतिभा पहचानी, फीस माफ की और खेल सामग्री से लेकर रहने की व्यवस्था तक खुद की।
धीरे-धीरे क्रांति ने टेनिस बॉल क्रिकेट से लेकर लेदर बॉल क्रिकेट तक का सफर तय किया। वर्ष 2023-24 में उसने मध्यप्रदेश की सीनियर टीम में जगह बनाई और अगले ही सीजन में अपने शानदार प्रदर्शन से एमपी को पहला घरेलू वनडे खिताब जिताने में अहम भूमिका निभाई। उनकी काबिलियत देखकर डब्ल्यूपीएल-2025 की नीलामी में यूपी वारियर्स टीम ने उन्हें 10 लाख रुपए में खरीदा। इसके बाद उन्होंने भारतीय टीम में जगह बनाई और श्रीलंका में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपना वनडे डेब्यू किया। इंग्लैंड दौरे में उन्होंने इतिहास रचा 6 विकेट मात्र 52 रन लिये और इतिहास रचते हुए भारत को बड़ी जीत दिलाई।
2025 के आईसीसी महिला वर्ल्ड कप में भारत ने 47 साल बाद विश्व खिताब जीता और इस ऐतिहासिक जीत में क्रांति गौड़ का योगदान निर्णायक रहा। उनके शानदार प्रदर्शन पर सीएम डॉ. मोहन यादव ने 1 करोड़ का पुरस्कार देने की घोषणा की है। क्रांति आज हजारों बेटियों के लिए मिसाल बन चुकी हैं। उनकी कहानी बताती है कि अगर हौसले बुलंद हों तो कोई सपना छोटा नहीं होता। उन्होंने साबित किया कि परिस्थितियां चाहे जैसी हों, मेहनत और विश्वास से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।
यह है मध्यप्रदेश की शेरनी क्रांति गौड़ की कहानी- जिसने अपने जुनून, मेहनत और हिम्मत से न केवल क्रिकेट के मैदान पर इतिहास रचा, बल्कि भारत का परचम पूरी दुनिया में लहराया।