मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई पर जूता उछालने वाले आरोपी वकील राकेश किशोर ने कहा है कि वह सीजेआई की टिप्पणी से आहत हैं और उन्हें अपने किए पर कोई अफसोस या पछतावा नहीं है। वकील ने नाराजगी जताते हुए कहा कि जब भी सनातन धर्म से जुड़े केस आते हैं तो सुप्रीम कोर्ट ऐसे ही आदेश देता है।
By: Arvind Mishra
Oct 07, 202510 hours ago
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई पर जूता उछालने वाले आरोपी वकील राकेश किशोर ने कहा है कि वह सीजेआई की टिप्पणी से आहत हैं और उन्हें अपने किए पर कोई अफसोस या पछतावा नहीं है। वकील ने नाराजगी जताते हुए कहा कि जब भी सनातन धर्म से जुड़े केस आते हैं तो सुप्रीम कोर्ट ऐसे ही आदेश देता है। सीजेआई पर जूता फेंकने की कोशिश के बाद आरोपी वकील राकेश किशोर को निलंबित कर दिया गया है। वकील राकेश किशोर ने कहा- मैं आहत था...मैं कोई नशे में नहीं था। ये उनकी कार्रवाई पर मेरी प्रतिक्रिया थी। न तो मैं डरा हुआ हूं और न ही मुझे अपने किए पर कोई अफसोस है। 16 सितंबर को मुख्य न्यायाधीश की अदालत में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। मुख्य न्यायाधीश ने इसका मजाक उड़ाते हुए कहा- जाओ और मूर्ति से प्रार्थना करो और उससे ही अपना सिर वापस लगाने के लिए कहो....। जब हमारे सनातन धर्म से जुड़ा कोई मामला आता है, तो सर्वोच्च न्यायालय ऐसे आदेश देता है। याचिकाकर्ता को राहत नहीं देनी मत दीजिए, लेकिन उसका मजाक भी न उड़ाएं।
न्यायपालिका के सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ अपनी कार्रवाई को लेकर निलंबित वकील ने कहा कि इतने उच्च संवैधानिक पद पर बैठने वाले सीजेआई को भी सोचना चाहिए। उन्हें माई लॉर्ड शब्द के मतलब को समझना चाहिए और इसकी गरिमा को बनाए रखना चाहिए। आप मॉरीशस जाते हैं तो वहां कहते हैं कि देश बुलडोजर से नहीं चलेगा। मैं सीजेआई से पूछना चाहता हूं कि सरकारी संपत्ति पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ योगी जी की कार्रवाई गलत है। मैं आहत हूं और आगे भी आहत ही रहूंगा।