मध्य प्रदेश सरकार के कई नवाचारों और योजनाओं को अन्य राज्यों द्वारा सराहा और अपनाया जा रहा है। ये नवाचार दर्शाते हैं कि मध्य प्रदेश शासन और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। साथ ही देश के अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा स्रोत बन रहा है।
By: Arvind Mishra
Dec 08, 20251:55 PM
भोपाल। स्टार समाचार वेब
मध्य प्रदेश सरकार के कई नवाचारों और योजनाओं को अन्य राज्यों द्वारा सराहा और अपनाया जा रहा है। ये नवाचार दर्शाते हैं कि मध्य प्रदेश शासन और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। साथ ही देश के अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा स्रोत बन रहा है। हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा शुरू किया गया वेब-आधारित ई-विधानसभा समाधान, जो राज्य विधानमंडल और कार्यपालिका को जोड़ता है, को छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा अपनाया गया है। अब छत्तीसगढ़ मप्र का एक और नवाचार अपनाने जा रहा है। छत्तीसगढ़ में मध्य प्रदेश की तर्ज पर प्रेशर इरिगेशन नेटवर्क तकनीक से सिंचाई होगी। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने मध्य प्रदेश के भोपाल में सिंचाई व्यवस्था का अध्ययन किया है। इसके बाद तय किया गया है कि मध्य प्रदेश की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में सिंचाई प्रणाली अपनाई जाएगी। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में 13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में इस तकनीक से सिंचाई की जा रही है। आगामी वर्षों में इसे 40 लाख हेक्टेयर तक विस्तारित करने का लक्ष्य है।
अभी पारंपरिक नहर आधारित सिंचाई
अभी पारंपरिक नहर आधारित सिंचाई में पानी का एक बड़ा हिस्सा रिसाव, वाष्पीकरण और अनियंत्रित बहाव के कारण व्यर्थ हो जाता है, जिससे खेतों तक वास्तविक जल आपूर्ति सीमित रहती है। पूरी कमांड एरिया में समान सिंचाई नहीं हो पाती। सामान्यत: पारंपरिक प्रणाली की कुल सिंचाई दक्षता केवल 35 प्रतिशत मानी जाती है।
प्रेशर इरिगेशन प्रणाली के फायदे
वहीं दूसरी ओर प्रेशर इरिगेशन नेटवर्क प्रणाली में पानी पाइपलाइनों के माध्यम से नियंत्रित दबाव के साथ सीधे खेतों तक पहुंचाया जाता है, जिससे पानी का अपव्यय लगभग शून्य हो जाता है। इस तकनीक से सिंचाई दक्षता बढ़कर 65 प्रतिशत से अधिक हो जाती है, जो जल संरक्षण और उत्पादन बढ़ाने दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
छत्तीसगढ़ में होगा व्यापक उपयोग
मुख्यमंत्री साय को मध्य प्रदेश शासन के जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा ने भोपाल में सिंचाई की नवीनतम तकनीक प्रेशर इरिगेशन नेटवर्क के संबंध में विस्तार से प्रेजेंटेशन दिया। उन्होंने बताया कि पारंपरिक सिंचाई पद्धतियों की तुलना में यह प्रणाली कहीं अधिक कुशल, आधुनिक और जल संरक्षण के अनुरूप है। राजौरा ने प्रस्तुति के दौरान बताया कि जहां पारंपरिक नहर आधारित सिंचाई में 35 प्रतिशत एफिशिएंसी प्राप्त होती है। वहीं प्रेशर इरिगेशन प्रणाली में दक्षता बढ़कर 65 प्रतिशत तक पहुंच जाती है।
तकनीक से इस तरह होती है सिंचाई
प्रेशर इरिगेशन नेटवर्क तकनीक में प्रेशर आधारित पाइपलाइनों से सिंचाई की जाती है, जिससे पानी का रिसाव और अपव्यय कम होता है तथा बिजली की उल्लेखनीय बचत होती है। उन्होंने यह भी बताया कि इस प्रणाली में भू-अधिग्रहण की आवश्यकता न्यूनतम होती है, जिससे परियोजनाएं समय पर और लागत प्रभावी तरीके से पूरी की जा सकती हैं।