मध्यप्रदेश के निकाय चुनावों में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। राज्य चुनाव आयोग ने चुनाव लड़ने में होने वाले खर्च की लिमिट तय करने का फैसला किया है। आयोग ने सभी बदलाव का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।
By: Arvind Mishra
Nov 22, 202511:59 AM
भोपाल। स्टार समाचार वेब
मध्यप्रदेश के निकाय चुनावों में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। राज्य चुनाव आयोग ने चुनाव लड़ने में होने वाले खर्च की लिमिट तय करने का फैसला किया है। आयोग ने सभी बदलाव का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। नई व्यवस्था के तहत अब महापौर, नगरपालिका अध्यक्ष के साथ पार्षद पद का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक केसों की पूरी जानकारी शपथ पत्र में देनी होगी। साथ ही लोकसभा और विधानसभा चुनाव के तर्ज पर हर दिन चुनावी खर्च का ब्यौरा आयोग को देना होगा। अगर जानकारी नहीं दी तो उम्मीदवारी निरस्त कर दी जाएगी। दरअसल, आयोग द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि चुनाव लड़ने वाले महापौर, नगरपालिका अध्यक्ष, पार्षद पद के उम्मीदवार को अपनी खुद, पत्नी या पति और तीन बच्चों की आमदनी और चुकाए जाने वाले टैक्स की जानकारी भी देना होगी। यह भी बताना होगा कि उसकी आय का साधन क्या है।
अधिकांश चुनाव 2027 में होंगे
उम्मीदवारों के चुनाव खर्च की लिमिट नगरीय विकास एवं आवास विभाग के परामर्श से तय की जाएगी। प्रदेश के नगर निकायों में महापौर, नगर पालिका एवं नगर परिषद अध्यक्ष और पार्षद पद के चुनाव पांच साल में होते हैं। कुछ नगरपालिका और नगर परिषदों को छोड़ 90 फीसदी निकायों में यह चुनाव 2027 में होंगे। इसके पहले 2022 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर निकायों में चुनाव कराए गए थे। राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव दीपक सिंह ने आदेश जारी किया है। जिसके तहत पार्षद पद के उपचुनाव भी नई व्यवस्था से होंगे।
कोर्ट में चल रहे केस भी देना होगा ब्यौरा
उल्लेखनीय है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार जिस तरह से सोशल मीडिया अकाउंट, ई-मेल आईडी, मोबाइल नंबर की डिटेल देते हैं। उसी तरह इन्हें भी जानकारी देना होगा। आयोग को बताना होगा कि दो साल या अधिक समय की सजा वाले कितने आपराधिक केस उन पर दर्ज हैं। इसकी थाने में दर्ज एफआईआर, थाना और जिला का ब्यौरा बताने के साथ न्यायालय में चल रहे केस और अन्य ब्यौरे देने होंगे।
घर के शौचालय की भी देंगे जानकारी
यही नहीं, संयुक्त स्वामित्व वाली चल और अचल संपत्ति की जानकारी भी शपथ पत्र में देना तय किया गया है। साथ ही उम्मीदवार द्वारा शेयर और कंपनियों में किए गए निवेश का ब्यौरा भी देना होगा। साथ ही कितना कर्ज लिया और दिया गया है। किन सरकारी एजेंसियों का कितना बकायादार उम्मीदवार है, इसकी जानकारी देने का प्रावधान भी इसमें किया गया है। आयोग ने यह भी साफ किया है कि उम्मीदवार अपने घर पर लगे फ्लश शौचालय और जलवाहित शौचालय की भी लिखित जानकारी देंगे।
चुनाव खर्च की लिमिट होगी तय
आयोग का कहना है कि चुनाव में किस तरह से धन बल का उपयोग किया जाता है, इससे वाकिफ हैं। इसलिए नगरीय विकास और आवास विभाग द्वारा आयोग के साथ चर्चा कर चुनाव में होने वाले खर्च की अधिकतम सीमा भी तय की जाएगी। आयोग के उम्मीदवारों द्वारा जो खर्च किया जाएगा और उसका भुगतान किया जाएगा उसकी पूरी डिटेल दी जाएगी। चुनाव खर्च का एक अलग रजिस्टर बनाया जाएगा। चुनाव खर्च की जानकारी तीस दिन के भीतर देना भी अनिवार्य किया गया है। यह व्यवस्था भी की गई है कि प्रत्याशी के चुनावी खर्च की जानकारी कोई भी व्यक्ति दस रुपए की फीस जमा करके ले सकेगा।