डायबिटीज या हाई ब्लड शुगर की समस्या दुनियाभर में तेजी से बढ़ती जा रही है। डेटा के मुताबिक साल 2024 में दुनियाभर में 589 मिलियन (58.9 करोड़) वयस्क मधुमेह से पीड़ित थे, इसको लेकर विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि 2050 तक यह आंकड़ा बढ़कर 853 मिलियन (85 करोड़) से अधिक हो सकता है।
By: Manohar pal
Nov 13, 20256:16 PM
डायबिटीज या हाई ब्लड शुगर की समस्या दुनियाभर में तेजी से बढ़ती जा रही है। डेटा के मुताबिक साल 2024 में दुनियाभर में 589 मिलियन (58.9 करोड़) वयस्क मधुमेह से पीड़ित थे, इसको लेकर विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि 2050 तक यह आंकड़ा बढ़कर 853 मिलियन (85 करोड़) से अधिक हो सकता है।
डायबिटीज को विशेषज्ञ वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल मानते हैं, जिससे हर साल लाखों मौतें होती हैं और स्वास्थ्य पर खरबों डॉलर का खर्च आता है। उच्च आय वाले देशों की तुलना में निम्न और मध्यम आय वाले देशों में इस बीमारी से ग्रस्त लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
डायबिटीज के बढ़ते जोखिमों के बारे में लोगों को अलर्ट करने और और इससे बचाव के तरीकों को लेकर शिक्षित करने के उद्देश्य से हर साल 14 नवंबर को वर्ल्ड डायबिटीज डे मनाया जाता है।
जब भी सवाल आता है कि डायबिटीज होने के क्या कारण हैं? तो इसमें सबसे ज्यादा चर्चा खान-पान और लाइफस्टाइल में गड़बड़ी की होती है। शोध बताते हैं कि मोटापा से ग्रस्त लोगों में डायबिटीज होने का जोखिम अधिक रहता है, पर आंकड़े बताते हैं कि दुबले-पतले लोगों में भी इस बीमारी के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। आइए समझते हैं कि इसके पीछे क्या वजह हो सकती है?
हाई बीएमआई और डायबिटीज का संबंध
डॉक्टर्स कहते हैं, हाई बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) की समस्या टाइप-2 डायबिटीज के जोखिमों को काफी बढ़ा देती है, बीएमआई बढ़ने के साथ यह जोखिम और भी बढ़ जाता है।
असल में अधिक वजन की स्थिति शरीर की कोशिकाओं को इंसुलिन के प्रति अधिक प्रतिरोधी बना देती है, जिससे डायबिटीज का खतरा रहता है। 30 या उससे अधिक बीएमआई को मोटापा माना जाता है, लेकिन जिन लोगों का बीएमआई 25 से अधिक होता है उनमें भी डायबिटीज होने का खतरा देखा जाता रहा है।
हालांकि एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि सिर्फ अधिक वजन वाले ही नहीं, कम वजन वालों में भी इसका खतरा बढ़ा है जिसको लेकर सभी लोगों को अलर्ट रहने की आवश्यकता है।
कम वजन वाले भी हो रहे हैं शिकार
मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन (एमडीआरएफ) और स्कॉटलैंड के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया है कि कम वजन होने के बावजूद, बहुत से लोगों में इंसुलिन की कमी और इंसुलिन प्रतिरोध जैसी दिक्कतें देखने को मिल रही हैं, जो डायबिटीज का प्रमुख कारण हैं। इसे लीन डायबिटीज कहा जाता है।
एमडीआरएफ के अध्यक्ष और अध्ययन के वरिष्ठ लेखक डॉ. वी. मोहन कहते हैं, इस रिपोर्ट से डायबिटीज को देखने के नजरिए और इसके इलाज करने के तरीके पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। लीन डायबिटीज आमतौर पर आंतों में चर्बी के जमाव से जुड़ी होती है। रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट से भरपूर आहार, शारीरिक गतिविधियों में कमी और आनुवंशिक प्रवृत्ति के कारण लोगों में इसका खतरा बढ़ सकता है। भारतीय आबादी भी इसका तेजी से शिकार होती जा रही है, जिसको लेकर सभी लोगों को अलर्ट रहने की आवश्यकता है।
डॉ. मोहन कहते हैं, अध्ययनों से हमें पता चलता है कि लीन डायबिटीज वाले मरीजों में किडनी और आंखों की बीमारी जैसी जटिलताएं होने की आशंका भी ज्यादा होती है जिसको लेकर भी अलर्ट रहने की आवश्यकता है।
भारत में हर दूसरे व्यक्ति का शुगर लेवल ठीक नहीं
भारत में डायबिटीज के जोखिमों को लेकर एक अन्य हालिया अध्ययन में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। एक डिजिटल हेल्थकेयर प्लेटफॉर्म की रिपोर्ट के अनुसार भारत में टेस्ट किए गए हर दो में से एक व्यक्ति में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ा हुआ या फिर अनियमित पाया गया है। ये रिपोर्ट संकेत देती है कि देशभर में डायबिटीज और प्रीडायबिटीज के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।