रीवा में 6वीं और 9वीं के छात्रों को नि:शुल्क साइकिल वितरण योजना में गड़बड़ी सामने आई है। बीईओ ने वितरण समारोह आयोजित करने के बजाय प्राचार्यों को खुद साइकिल उठाकर स्कूल लाने का आदेश दिया, परिवहन खर्च भी नहीं दिया। कई प्राचार्यों को नोटिस भेजा गया, जबकि स्टॉक खत्म हो चुका था। कई स्थानों पर छात्रों को जंग लगी और खराब साइकिलें दी गईं, वहीं प्रति साइकिल 10 रुपये के उपयोग पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
By: Star News
Aug 08, 2025just now
हाइलाइट्स:
रीवा, स्टार समाचार वेब
6वीं और 9वीं के छात्रों को नि:शुल्क साइकिल वितरण करना था। इसकी जिम्मेदारी बीईओ को दी गई थी। जिस संस्था में साइकिलें रखी गई हैं। वहीं से सामारोह का आयोजन कर वितरण करना था। इस वितरण में अब बीईओ ने नया खेल खेल दिया है। प्राचार्यों को वितरण संस्था से स्कूल परिवहन करने का फरमान जारी कर दिया है। प्राचार्यों को परिवहन का खर्च भी नहीं दिया गया। साइकिल नहीं उठाने वालों को नोटिस जारी किया जा रहा है।
ज्ञात हो कि स्कूल शिक्षा विभाग नि:शुल्क सायकिल प्रदाय योजना के तहत दूर से आने वाले छात्रों को नि:शुल्क साइकिल उपलब्ध कराती है। वर्ष 2025-26 में भी 6वीं और 9वीं के छात्रों को साइकिल का वितरण किया जाना था। कंपनी ने गवर्नमेंट 1 और 2 के परिसर में ही साइकिल को स्टाक करने और असेंबल करने का काम किया। यहीं से विकासखंड अंतर्गत आने वाली स्कूलों के पात्र छात्रों को साइकिल का वितरण किया जाना था। इसके पहले साइकिल वितरण के लिए सामूहिक आयोजन किया जाता था। एक साथ असेंबल होने वाली जगह पर ही कार्यक्रम का आयोजन कर साइकिल का वितरण कर दिया जाता था। इस बार सब भर्रेशाही चल रही है। बीईओ रीवा ने अलग ही नियम बना दिया है। सभी प्राचार्यों को पत्र जारी कर गवर्नमेंट स्कूल क्रमांक 1 और 2 से ही साइकिल उठाकर संस्था ले जाने के लिए बाध्य कर रही हैं। हितग्राही छात्रों को स्कूल से ही विरतण के लिए दबाव बनाया जा रहा है। शहर की स्कूलें 1 से दो किमी के दायरे में ही हंै। साइकिल का वितरण उसी संस्था से किया जा सकता था, जहां उन्हें असेंबल किया जा रहा है लेकिन अनावश्यक खर्च कर परिवहन में प्राचार्यों को उलझाया जा रहा है। इस परिवहन का खर्च भी बीईओ उठाने को तैयार नहीं है। कई प्राचार्यों ने साइकिल संस्था से नहीं उठाई तो उन्हें नोटिस तक जारी किया गया। बाद में जब कर्मचारी साइकिल लेने गए भी तो वहां स्टॉक ही खत्म हो गया।
प्रति साइकिल 10 रुपए जमा करने का है आदेश
लोक शिक्षण संचालनालय ने स्पष्ट आदेश दिया है कि साइकिल असेंबल करने वाली कंपनी जिस संस्था में स्टॉक रखेगी। वहां प्रति साइकिल 10 रुपए संस्था में जमा करेगी। इसी 10 रुपए का उपयोग दूर दराज रहने वाले छात्रों की साइकिल घर तक पहुंचाने में किया जाएगा। अब यह 10 रुपए कंपनी से जमा कराए गए लेकिन वह कहां खर्च किया गया। इसकी जानकारी किसी को नहीं है। बीईओ आकांक्षा सोनी प्राचार्यों पर ही साइकिल उठाव करने और छात्रों के घर तक पहुंचाने का दबाव बना रही है। प्राचार्यों के पास भी इस साइकिल उठाव के लिए अतिरिक्त बजट नहीं है। इस खर्च को प्राचार्य कहां दिखाएंगे। यह उनके समझ में नहीं आ रहा है।
खराब साइकिलों का किया जा रहा वितरण
जिस जगह पर साइकिलों का भंडारण किया गया है। वहां साइकिलों के पार्ट आदि का निरीक्षण करने की जिम्मेदारी विकास खंड शिक्षा अधिकारी और बीआरसीसी को सौंपी गई है। विकासखंड स्तर पर प्राप्त की गई साइकिलों का वितरण पात्र छात्र छात्राओं को समारोह आयोजित कर जन प्रतिनिधियों की उपस्थिति में किए जाने के निर्देश दिए गए थे। कार्यक्रम में प्रभारी मंत्री, सांसद, विधायक को आमंत्रित कर साइकिल का वितरण किया जाना था लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं किया गया। वितरण के लिए जो साइकिल दी जा रही है। वह खराब हो चुकी है। कई साइकिल के पहियों में जंग लग चुका था। इसकी मॉनीटरिंग नहीं की गई। सारी साइकिल वितरित कर दी गईं। अब साइकिल का स्टॉक ही खत्म हो गया है।
प्राचार्यों को बीईओ ने जारी किया था नोटिस
विकासखंड शिक्षा अधिकारी ने लोक शिक्षण संचालनालय के आदेश के विपरीत काम किया। उन्होंने मार्तण्ड 1, अजगरहा, बहुरीबांध सहित अन्य प्राचार्यों को पत्र जारी किया। उन्हें साइकिल प्राप्त करने के लिए वाहन व्यवस्था के साथ गवर्नमेंट स्कूल क्रमांक 2 में पहुंचने के आदेश जारी किए गए थे। इस आदेश को लेकर ही कई प्राचार्य संशय में फंसे रहे। गवर्नमेंट स्कूल क्रमांक 2 में कर्मचारियों को भेजा भी गया लेकिन उन्हें साइकिल भी नहीं मिली। पता चला कि स्टॉक ही खत्म हो गया है।