रीवा जिले के मऊगंज अस्पताल में एक 16 वर्षीय छात्रा को समय पर इलाज नहीं मिला, जिससे उसकी मृत्यु हो गई। सिस्टम की लापरवाही यहीं नहीं रुकी—पोस्टमार्टम में देरी, शव वाहन के लिए पैसे की मांग और लोडिंग वाहन में शव की विदाई ने मानवता को शर्मसार कर दिया। यह घटना प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं और संवेदनहीन तंत्र पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े करती है।
By: Star News
Aug 06, 2025just now
हाइलाइट्स
मऊगंज (रीवा), स्टार समाचार वेब
यह वही मध्य प्रदेश है, जहां सरकार गंभीर मरीजों को बचाने के लिए एयर एम्बुलेंस की सुविधा देती है। जहां जिला अस्पताल में 24 घंटे सातों दिन डाक्टरों की उपलब्धता की बात की जाती है, जहां शव को सम्मानजनक तरीके से ले जाने के लिए शांति वाहन उपलब्ध कराए जाते हैं। लेकिन दुर्भाग्य देखिए मऊगंज के जिला अस्पताल में 16 साल की बेटी समय पर इलाज न मिलने से दम तोड़ देती है और मरने के बाद भी उसे न सम्मान मिलता है, न संवेदना।
सांसें टूटती देख रहे थे परिजन
जिले की खटखरी गांव की दसवीं कक्षा की बेटी ने मोबाइल छीनने की जरा सी बात पर आत्महत्या का प्रयास किया। जब परिजनों ने देखा तो उसे तुरंत फंदे से उतारा, उसमें जान बाकी थी। मां-बाप दौड़ते-भागते उसे अस्पताल लेकर पहुंचे, उम्मीद थी कि शायद बच जाए। लेकिन अस्पताल में न कोई डॉक्टर था और न ही कोई सुविधा। एक घंटे तक बस एक चपरासी और बेटी की टूटती सांसें थीं। परिजन बेबसी में अस्पताल में अपनी बेटी की सांसें टूटते हुए देख रहे थे। करीब एक घंटे के इंतजार के बाद जब डॉक्टर पहुंचे, तब तक बेटी ने अस्पताल में बिना इलाज के दम तोड़ दिया।
बेटी की गरिमा और जीवन के अधिकार पर कुठाराघात
बेटी के दुर्भाग्य की कहानी यहीं खत्म नहीं होती, सिस्टम की लापरवाही मौत के बाद भी जारी रहती है। पोस्टमार्टम के लिए 24 घंटे इंतजार करना पड़ा, क्योंकि महिला डॉक्टर मौजूद नहीं थी। चौबीस घंटे बाद जैसे तैसे महिला डॉक्टर पोस्टमार्टम कर देती है, तब सिस्टम का एक और खौफनाक चेहरा सामने आता है। बेटी के परिजन शव को ले जाने के लिए जब शव वाहन की मांग करते हैं तो डॉक्टर ने शांति वाहन देने से पहले डीजल के पैसे मांग लिए। आखिर सदमे में डूबे पिता को अपनी बेटी की लाश एक लोडिंग वाहन में रखकर ले जानी पड़ी। जिस प्रदेश ने ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ को मॉडल अभियान बताया, वहां की एक बेटी को इलाज नहीं मिला और मौत के बाद भी सम्मान नहीं मिला। यह महज एक लापरवाही नहीं, यह एक बेटी की गरिमा और जीवन के अधिकार पर कुठाराघात है।