अजाक्स अध्यक्ष आईएएस संतोष वर्मा ने सिविल जज चयन में हाईकोर्ट पर एससी-एसटी उम्मीदवारों को रोकने का गंभीर आरोप लगाया। उनके विवादित बयानों के खिलाफ 14 दिसंबर को सवर्ण समाज ने मुख्यमंत्री निवास घेराव की तैयारी की है।
By: Ajay Tiwari
Dec 11, 20253:15 PM
आईएएस और अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ (अजाक्स) के अध्यक्ष संतोष वर्मा ने ब्राह्मण बेटियों पर टिप्पणी के बाद अब हाईकोर्ट पर सीधी टिप्पणी कर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। एक सभा को संबोधित करते हुए वर्मा ने आरोप लगाया कि हाईकोर्ट ही एसटी वर्ग के बच्चों को सिविल जज नहीं बनने दे रहा है।
हाईकोर्ट पर गंभीर आरोप
आईएएस वर्मा ने अजाक्स सम्मेलन में कहा कि एसटी वर्ग के उम्मीदवार सिविल जज की परीक्षा में इसलिए चयनित नहीं हो पाते क्योंकि जानबूझकर उन्हें कट ऑफ मार्क्स से ठीक नीचे नंबर दिए जाते हैं।
सिविल जज चयन में बाधा: वर्मा के अनुसार, एससी-एसटी समाज के योग्य उम्मीदवार, जो आईएएस/आईपीएस या राज्य प्रशासनिक सेवाओं में चयनित हो सकते हैं, वे सिविल जज नहीं बन पा रहे हैं।
मार्क्स का हेरफेर: उन्होंने आरोप लगाया कि 50% कट ऑफ मार्क्स होने पर उम्मीदवारों को जानबूझकर 49.95 या इंटरव्यू में 19.5 नंबर दिए जाते हैं ताकि वे चयन से वंचित रह जाएं।
न्यायपालिका पर सीधा सवाल: वर्मा ने यह कहते हुए न्यायपालिका पर सवाल उठाया कि "यह कौन कर रहा है…? यह हमारा हाईकोर्ट कर रहा है, जिससे हम न्याय की उम्मीद करते हैं, जिससे हम बाबा साहब के संविधान के हिसाब से चलने की गारंटी मांगते हैं।"
'बीज' खत्म करने का आरोप: उन्होंने कहा कि अगर सिविल जज का "बीज" ही खत्म कर दिया जाएगा, तो समाज का व्यक्ति हाईकोर्ट का जज कैसे बनेगा, जिससे न्याय की उम्मीद करना व्यर्थ हो जाएगा।

आईएएस संतोष वर्मा ने हाईकोर्ट पर एसटी वर्ग के बच्चों को सिविल जज नहीं बनने देने का आरोप लगाया।
वर्मा का आरोप: जानबूझकर 50% कट ऑफ से कम (जैसे 49.95) मार्क्स देकर चयन रोका जाता है।
सवर्ण संगठनों ने 14 दिसंबर को मुख्यमंत्री निवास (सीएम हाउस) घेराव की तैयारी की।
यह विवाद ब्राह्मण बेटियों पर टिप्पणी और आरक्षण पर दिए गए पूर्व बयानों के बाद खड़ा हुआ है।
संतोष वर्मा के इस बयान ने पहले से ही ब्राह्मण समाज और अन्य सवर्ण संगठनों के बीच चल रहे विरोध को और अधिक भड़का दिया है।
संवैधानिक मर्यादा का उल्लंघन: संगठनों का आरोप है कि एक आईएएस अधिकारी संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करने से बच रही है।
सीएम हाउस घेराव की तैयारी: संगठनों ने इस मामले को लेकर 14 दिसंबर को मुख्यमंत्री निवास (सीएम हाउस) के घेराव की तैयारी शुरू कर दी है। आंदोलन की रूपरेखा तय करने के लिए गुरुवार को भोपाल में एक महत्वपूर्ण बैठक भी आयोजित होने वाली है।
पूर्व विवादित बयान: यह विवाद तब शुरू हुआ जब 23 नवंबर को अजाक्स के प्रांतीय सम्मेलन में वर्मा को अध्यक्ष चुना गया था, जिसके बाद उन्होंने कहा था कि जब तक उनके बेटे को कोई ब्राह्मण अपनी बेटी 'दान' नहीं देता, तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए। इसके बाद उनका एक और वीडियो आया था जिसमें उन्होंने कहा था कि "अब हर घर से एक संतोष वर्मा निकलेगा।"
सीनियर आईएएस संतोष वर्मा के इस बयान ने न्यायपालिका और आरक्षण के संवेदनशील मुद्दे पर बहस को तेज कर दिया है, जिससे राज्य में राजनीतिक और सामाजिक माहौल गरमा गया है।