सतना जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सरदार वल्लभभाई पटेल में चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। सायंकालीन ओपीडी में डॉक्टरों की गैरहाज़िरी और मरीजों की तड़पती लाइनें जिले की स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर रही हैं। पढ़ें इस ग्राउंड रिपोर्ट में डॉक्टरों की लापरवाही और सिस्टम की चुप्पी की पूरी सच्चाई।
By: Yogesh Patel
Aug 05, 2025just now
हाइलाइट्स
सतना, स्टार समाचार वेब
जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सरदार बल्लभभाई पटेल में चिकित्सा व्यवस्था पटरी से उतर गई है। एक ओर बरसात के मौसम में संक्रामक रोगों से पीड़ित मरीजों की बाढ़ सी आ गई है। इसके परे चिकित्सकीय स्टाफ अपने मनमानी रवैये में उतारू है। सांयकालीन ओपीडी आने में कोई चिकित्सक तैयार नहीं है। सोमवार को जिला अस्पताल में शाम के समय ऐसा नजारा देखने को मिला जहां चिकित्सकों की खाली कुर्सी मुंह चिढ़ा रही थी, वहीं दूर- दराज से इलाज कराने आए गरीब मरीज चिकित्सकों की आस में लाइन में खड़े नजर आए। बताया गया कि शाम के समय पांच बजे से 6 बजे तक डाक्टरों की ड्यूटी ओपीडी में लगाई जाती है बावजूद सोमवार को कोई चिकित्सक समय पर नहीं पहुंचा। मौके पर केवक जिला अस्पताल के डॉ. संजीव श्रीवास्तव ही उपलब्ध रहे जो बच्चों का इलाज कर रहे थे। यहां उल्लेखनीय है कि जिला अस्पताल में सोमवार को 14 सौ से अधिक मरीजों ने अपना पंजीयन कराकर इलाज कराया। गौरतलब है कि हाल ही में सीएमएचओ डॉ. एलके तिवारी के सायंकालीन औचक निरीक्षण में जिला अस्पताल के कई डॉक्टर नदारद मिले थे, जिस पर कड़ी फटकार लगाई गई थी और डॉक्टरों को समय पर आने को कहा गया था, लेकिन उनके फटकार का भी कोई असर नहीं हुआ।
मेडिसिन से लेकर सर्जरी तक ओपीडी खाली
सोमवार को जिला अस्पताल पहुंची स्टार समाचार की टीम ने पाया कि सायंकालीन संचालित होने वाली ओपीडी खाली पड़ी थी, मरीज लाइन लगाकर डाक्टरों का इंतजार कर रहे थे। स्टार समाचार की टीम करीब आधे घंटे मौजूद रही, तब तक कोई भी चिकित्सक अपनी ओपीडी में नहीं पहुंचे थे केवल शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. संजीव प्रजापति ओपीडी में बच्चों का इलाज कर रहे थे। कई असहाय महिला मरीज कुर्सी पर बैठी दर्द से कराह रही थी। कुछ अपनी रिपोर्ट को दिखाने के लिए लाइन में खड़े थे। मौके पर कई ऐसे मरीज मिले दूरस्थ स्वास्थ्य संस्थाओं द्वारा जिला अस्पताल भेजा गया था। ऐसे मरीज सुबह से लाइन में लगा के अपनी जांच तो करा लिए लेकिन अब रिपोर्ट किसे दिखाए बिना रिपोर्ट के कौन सी दवाइयां खाएं।
मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर शाम की डियूटी करने तैयार नहीं
जिला अस्पताल के लिए यह कोई नया नहीं है कि समय से डॉक्टर नहीं पहुंचे यह तो रोज का रोना है। जिला अस्पताल में मेडिकल कॉलेज एवं जिला अस्पताल के डॉक्टरों के लिए अलग-अलग दिन बाटें गए हैं। ओपीडी के लिए सप्ताह का सोमवार, बुधवार मेडिकल कॉलेज के लिए एवं मंगलवार, गुरुवार, शनिवार जिला अस्पताल के डॉक्टरों के लिए तय किया गया है। वर्तमान में ऐसी स्थिति निर्मित हो रही है कि मेडिकल कॉलेज के कोई भी विशेषज्ञ शाम की डियूटी करने को तैयार नहीं हो रहे। बिगड़ती चिकित्सा व्यवस्था के लिए संचालनालय को पत्र लिखा गया है।
मौके पर पहुंचे आरएमओ
जिला अस्पताल की नै ओपीडी में स्टार समाचार की टीम के पहुंचते ही ओपीडी के बाहर बैठे अटेंडरों में खलबली मच गई। कई अटेंडर मुह छिपा के भागने लगे। शोर ऐसा मचा कि जिला अस्पताल के आरएमओ डॉ. शरद दुबे भी ओपीडी में मौके पर पहुंच गए। उन्होंने ने भी सभी ओपीडी के अटेंडरों से पूंछा जिस पर कोई जवाब नहीं मिला। डॉ. दुबे ने भी अपने मोबाईल पर ओपीडी की खाली कुर्सियों की फोटो खींची और चल दिए, लेकिन मरीज इलाज कराने जस के तस खड़े रह गए।
यह मामला बड़ा गंभीर है कि शाम की ओपीडी में डॉक्टर नहीं पहुंचे। आपके द्वारा यह मामला संज्ञान में आया है। मंगलवार को जिला अस्पताल के रोस्टर के हिसाब से डॉक्टरों की जांच कराई जाएगी। जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. एलके तिवारी , सीएमएचओ
सोमवार को सायंकालीन ओपीडी में मौके पर कई डॉक्टर नहीं मिले, जिनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था बनाई गई। मौके पर डॉ. अनन्या और डॉ. सुरभि अग्रवाल को इलाज के लिए भेजा गया। डियूटी से नदारद डॉक्टरों को नोटिस जारी की जाएगी।
डॉ. शरद दुबे, आरएमओ, जिला अस्पताल
पेट में गैस बन रही है। दर्द के कारण बैठा नहीं जा रहा है। सोचा था की शाम को डॉक्टर मिलेंगे जिन्हे दिखा देंगे। आधा घंटा हो गया लेकिन अभी तक कोई डॉक्टर नहीं आया है।
गुड्डी सिंह, रामपुर चौरासी
सुबह आये तो डॉक्टरों ने जांच लिखी थी। दोपहर बाद रिपोर्ट आई अब शाम के समय दिखने के लिए लाइन में लगे हैं लेकिन कोई डॉक्टर नहीं मिले। अस्पताल में भटकते पूरा दिन चला गया लेकिन इलाज नहीं हुआ।
अन्नू लखेरा, सितपुरा
नागौद अस्पताल में बच्चे को दिखाने के लिए गए जहां नाक कान और गला के चिकित्सक नहीं मिले। वहां के डॉक्टरों द्वारा जिला अस्पताल भेजा गया यहां भी वही हालात हैं। बच्चा कान के दर्द के चलते परेशान है।
खुशबू कुशवाहा, नागौद