मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में स्मार्ट मीटरों के खिलाफ उपभोक्ताओं का बड़ा प्रदर्शन। ₹2 लाख तक के बिलों पर भड़के लोगों ने निजीकरण रद्द करने, पुराने मीटर लगाने और 200 यूनिट बिजली मुफ्त देने की मांग रखी। जानें विरोध के मुख्य कारण और 11 सूत्रीय मांगें।
By: Ajay Tiwari
Oct 06, 2025just now
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मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में स्मार्ट मीटरों के खिलाफ उपभोक्ताओं का भारी विरोध देखने को मिला। प्रदेश भर के उपभोक्ता शाहजहानी पार्क में एकत्रित हुए और सरकार से 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त देने की मांग की।
स्मार्ट मीटरों के विरोध का मुख्य कारण कई जिलों से आए भारी-भरकम बिजली बिल हैं। ग्वालियर, गुना, सीहोर, विदिशा, सतना, इंदौर, देवास, दमोह, जबलपुर जैसे शहरों में उपभोक्ताओं और किसानों को ₹5,000 से लेकर ₹2 लाख तक के बिल दिए गए हैं, जिससे जनता में भारी आक्रोश है।
एसोसिएशन के प्रदेश संयोजक लोकेश शर्मा ने बताया कि राज्य सहित पूरे देश में बिजली विभाग द्वारा लगाए गए प्री-पेड स्मार्ट मीटर लोगों के लिए बड़ी मुसीबत बन गए हैं। उनके अनुसार, इन मीटरों के दुष्परिणाम अब साफ तौर पर सामने आने लगे हैं। संगठन के मुदित भटनागर ने बताया कि भोपाल के कई इलाकों में स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं, जिसका खामियाजा गरीब वर्ग को भुगतना पड़ रहा है। इसी शोषण के विरोध में आज यह बड़े स्तर का प्रदर्शन किया गया।
प्रदर्शनकारी उपभोक्ताओं ने सरकार के सामने अपनी 11 सूत्रीय मांगें रखी हैं, जिनमें मुख्य रूप से निम्नलिखित शामिल हैं:
बिजली विभाग के निजीकरण (Privatization) की योजना को तुरंत रद्द किया जाए।
स्मार्ट मीटरों और बिजली संशोधन विधेयक 2022 को रद्द किया जाए।
उपभोक्ताओं को बिजली बिल की हार्ड कॉपी दी जाए और पुराने मीटरों को वापस लगाया जाए।
जिन उपभोक्ताओं पर झूठे एफआईआर (FIR) दर्ज किए गए हैं, उन्हें निरस्त किया जाए।
स्मार्ट और डिजिटल मीटरों के कारण बढ़े हुए बिलों को पूरी तरह रद्द किया जाए।
उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली उपलब्ध कराई जाए।
बिल न भर पाने वाले असमर्थ व्यक्ति का बिजली कनेक्शन न काटा जाए।
सभी उपभोक्ताओं को 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त दी जाए।
शासन के हालिया आदेश ने रीवा जिले की राजस्व न्यायालय व्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया है। कई अधिकारियों के पास एक साथ कई राजस्व कोर्ट हैं, जिससे सुनवाई प्रभावित हो रही है। नौ नायब तहसीलदार अब भी लूप लाइन में भटक रहे हैं, जबकि तीन अधिकारियों को ही न्यायालयीन जिम्मेदारी सौंपी गई है। आदेश के खिलाफ प्रदेशभर में विरोध और हड़ताल हुई थी, जिसके बाद कलेक्टर को स्थानीय प्राथमिकता के आधार पर कार्य वितरण का अधिकार मिला।
By: Yogesh Patel
Oct 06, 2025just now
रीवा में जनवरी से सितंबर तक साइबर धोखाधड़ी के 9 महीने में साढ़े तीन सौ (≈350) से अधिक लोग ठगी के शिकार हुए। वर्क-फ्रॉम-होम, फेक क्रेडिट मैसेज, कस्टमर-केयर नंबर क्लोनिंग, रिश्तेदार बनकर धोखा, ऐप डाउनलोड कराकर ठगी सहित अलग-अलग चालों से कुल करीब ₹1.5 करोड़ ऐंठे गए।
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Oct 06, 2025just now
राज्य शासन द्वारा अगस्त में जारी स्थानांतरण आदेशों के दो महीने बीत चुके हैं, लेकिन कई अधिकारी अब तक नई पदस्थापना पर नहीं पहुंच पाए हैं। त्योंथर एसडीएम पी.एस. त्रिपाठी को एडीएम सिंगरौली बनाया गया, पर डिप्टी कलेक्टर की अनुपस्थिति के कारण वे मुक्त नहीं हो पा रहे। इसी तरह अनुराग तिवारी का सतना तबादला भी अटका हुआ है। जबकि कुछ अधिकारियों ने रीवा में आमद दर्ज करा ली है, बाकी अब तक पुराने पदों पर ही जमे हुए हैं।
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Oct 06, 2025just now
चित्रकूट जिले के शिवरामपुर ग्राम पंचायत में अटल भूजल योजना के तहत 23 लाख 45 हजार रुपए की लागत से बने पटटा तालाब को ग्राम प्रधानपति ने ट्रैक्टर लगाकर तोड़ डाला। तालाब की इंटरलॉकिंग, रेलिंग और पत्थर उखाड़कर गायब कर दिए गए। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि यह सब सरकारी धन के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए किया गया है। प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की बात कही है।
By: Yogesh Patel
Oct 06, 2025just now
सेरेब्रल पाल्सी तंत्रिका तंत्र से जुड़ी एक गंभीर और दर्दनाक बीमारी है, जो गर्भावस्था के दौरान या जन्म के बाद भी हो सकती है। इस बीमारी में बच्चे का मस्तिष्क कमजोर हो जाता है, जिससे शरीर की कई नसें काम करना बंद कर देती हैं। सतना जिले के पीकू वार्ड में हर साल 100 से अधिक बच्चे इस बीमारी से पीड़ित होकर भर्ती किए जाते हैं। डॉक्टरों के अनुसार, इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन फिजियोथेरेपी बच्चों के जीवन में सुधार लाने का सबसे बड़ा सहारा है।
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