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मध्य प्रदेश में वोटर लिस्ट का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) शुरू

बिहार की तर्ज पर अब मध्य प्रदेश में भी वोटर लिस्ट का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) होगा। चुनाव आयोग ने इसकी घोषणा कर दी है। जानें क्या है एसआईआर, कौन से दस्तावेज मांगे जाएंगे और क्यों हो रहा यह गहन पुनरीक्षण।

By: Ajay Tiwari

Oct 27, 20256:25 PM

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मध्य प्रदेश में वोटर लिस्ट का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) शुरू

हाइलाइट्स

  • मध्य प्रदेश में मतदाता सूची का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR)
  • सभी 230 विधानसभा सीटों पर एसआईआर प्रक्रिया लागू
  • प्रत्येक मतदान केंद्र (बूथ) की वोटर लिस्ट की गहन जांच
  • हर मतदाता का सत्यापन (वेरिफिकेशन) किया जाएगा

भोपाल. स्टार समाचार

बिहार की तर्ज पर अब मध्य प्रदेश (MP) में भी मतदाता सूची का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) यानी गहन पुनरीक्षण शुरू हो गया है। भारत निर्वाचन आयोग ने प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों पर एसआईआर प्रक्रिया लागू करने की घोषणा कर दी है। इसके तहत, हर मतदान केंद्र (बूथ) की वोटर लिस्ट की गहनता से जांच की जाएगी और प्रत्येक मतदाता का सत्यापन (वेरिफिकेशन) किया जाएगा।

आयोग के निर्देश के बाद राज्य में प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) कार्य पूरा हो चुका है। आज रात 12 बजे से मतदाता सूची फ्रीज हो जाएगी। इसके बाद, बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) घर-घर जाकर फॉर्म वितरित करेंगे। बीएलओ को एक घर पर कम से कम तीन बार जाना होगा।

कलेक्टर, एसडीएम, एडीएम, तहसीलदार, बीएलओ समेत मतदाता सूची के अद्यतन (अपडेशन) से जुड़े सभी अधिकारी-कर्मचारियों का प्रशिक्षण कराया जा चुका है। अब हर बूथ की मतदाता सूची की जांच होगी, और संदिग्ध पाए जाने वाले लोगों से आवश्यक दस्तावेज मांगे जाएंगे। अनुमान है कि एसआईआर के दौरान बड़ी संख्या में लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा सकते हैं। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव साल 2028 में अक्टूबर या नवंबर में होने हैं।

तैयारी और कर्मचारियों की ड्यूटी

इस गहन प्रक्रिया के लिए आवश्यक तैयारियां पहले से ही चल रही थीं। विभिन्न सरकारी विभागों के कर्मचारियों को बीएलओ के कार्य के लिए नियुक्त करने के आदेश जारी किए गए थे। उदाहरण के लिए, भोपाल जिला मलेरिया कार्यालय के लगभग सभी कर्मचारियों और अधिकारियों के ड्यूटी आदेश दिवाली से पहले ही जारी किए जा चुके थे।

एसआईआर में क्या होगा? मुख्य बातें:

  • मतदाता सूची का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन क्यों?

 चुनाव आयोग अब तक औसतन 22 साल में एक बार वोटर लिस्ट का एसआईआर करवाता रहा है। पिछली बार यह 2003-04 में हुआ था। एसआईआर का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची में शामिल हर व्यक्ति की गहनता से जांच करना है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई गलत व्यक्ति वोटर न हो और किसी का नाम एक से अधिक जगह पर दर्ज न हो।

  • जांच का तरीका:

2003-04 की मतदाता सूची से मिलान किया जाएगा कि उस समय आपके परिवार के लोग कहाँ थे। जिन लोगों के नाम का मिलान नहीं होगा या जो संदिग्ध पाए जाएंगे, उन्हें नोटिस जारी करके दस्तावेज मांगे जाएंगे। इस प्रक्रिया में बिहार के एसआईआर में मान्य 11 दस्तावेज ही राजस्थान में भी मान्य थे (संकेत है कि MP में भी इसी तर्ज पर दस्तावेज मांगे जा सकते हैं)।

  • नए वोटरों के लिए क्या है नियम?

नए वोटर बनने या दूसरे राज्य से शिफ्ट होकर आए लोगों को एक डिक्लेरेशन फॉर्म भरना होगा। जन्मतिथि के आधार पर सख्त नियम लागू होंगे:

  • 1 जुलाई 1987 से पहले जन्मे: उन्हें स्वयं का जन्म प्रमाण देना होगा।
  • 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच जन्मे: उन्हें अपने माता-पिता के जन्म या नागरिकता के दस्तावेज भी दिखाने होंगे।
  • 2 दिसंबर 2004 के बाद जन्मे: उनके लिए शर्तें और कड़ी हैं। उन्हें यह साबित करना होगा कि उनके माता-पिता में से कम-से-कम एक भारतीय नागरिक है, और दूसरा गैर-कानूनी प्रवासी नहीं है। यानी उन्हें भी अपने माता-पिता के दस्तावेज दिखाने होंगे।
  • 3. कौन से डॉक्यूमेंट मांगे जाएंगे? मुख्य चुनाव आयुक्त के अनुसार, एन्यूमरेशन फेज (गणना चरण) में कोई दस्तावेज नहीं मांगे जाएंगे।
  • पहला चरण: बीएलओ पहले चरण में घर-घर जाकर फॉर्म वितरित करेंगे और सूची का मिलान करेंगे।
  • दस्तावेज़ की मांग: जिन लोगों के दस्तावेजों का मिलान नहीं हो पाएगा या जो संदिग्ध पाए जाएंगे, केवल उनसे ही आवश्यक दस्तावेज मांगे जाएंगे।

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