रीवा के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में 13 करोड़ की लागत से लगाई गई एमआरआई मशीन का उद्घाटन तो हो गया, लेकिन तकनीकी स्टाफ की नियुक्ति न होने से जांच ठप पड़ी है। मरीज इधर-उधर भटक रहे हैं और मशीन शोपीस बनी है। यह खबर सरकारी तंत्र की लापरवाही को उजागर करती है।
By: Yogesh Patel
Aug 01, 202510 hours ago
हाइलाइट्स
रीवा, स्टार समाचार वेब
रीवा में 13 करोड़ की एमआरआई मशीन का शुभारंभ तो हो गया, लेकिन मरीजों को लाभ का नहीं मिल रहा। जल्दबाजी में किया गया उद्घाटन अब मरीजों के लिए मुसीबत बन गया है। बिना कर्मचारियों की नियुक्ति के ही एमआरआई की शुरुआत कर दी गई।
अब मरीज एमआरआई सेंटर के चक्कर काट रहे हैं। ज्ञात हो कि संजय गांधी अस्पताल, गांधी स्मृति चिकित्सालय और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के मरीजों को राहत पहुंचाने के लिए डिप्टी सीएम ने 13 करोड़ की एमआरआई मशीन का शुभारंभ किया। शुभारंभ आनन-फानन में हुआ। मशीन शुरू करने के साथ ही एक मरीज की जांच तो कर दी गई, लेकिन इसके बाद किसी की जांच नहीं हो रही है। एमआरआई सेंटर अब बंद जैसी स्थिति में है। इसके पीछे वजह टेक्नीशियन की कमी है। कॉलेज प्रबंधन ने एमआरआई को शुरू करने के पहले टेक्नीशियन की नियुक्ति नहीं की।
अब यही सबसे बड़ी समस्या बन गई है। भारी भरकम मशीन को चलाने वाला ही कोई नहीं है। इसमें भी नान टेक्नीशियन को भर्ती करने की तैयारी है। ट्रेनिंग देकर यहां भी काम चलाया जाएगा।
रीवा में तीन एमआरआई सेंटर हैं
रीवा मेंं सुपर स्पेशलिटी के अलावा तीन और एमआरआई सेंटर हैं। इसमें अस्पताल परिसर में ही रीवा हेल्थ डायग्नोस्टिक सेंटर है। सिरमौर चौराहा में सोमा के नाम से एमआरआई सेंटर संचालित है। एक समान में भी सीडीसी एमआरआई सेंटर चल रही है।
हर दिन हो रही 60-80 एमआरआई
रीवा में तीनों एमआरआई सेंटर को जोड़ ले तो हर दिन यहां 60 से 80 एमआरआई हो रही हैं। सबसे अधिक संजय गांधी अस्पताल परिसर में संचालित रीवा हेल्थ डायग्नोस्टिक सेंटर में जांच होती है। यहां अस्पताल के भर्ती मरीज, ओपीडी के मरीजों के साथ ही डॉक्टर कालोनी से भी मरीजों को भेजा जाता है। सिर्फ आयुष्मान के भर्ती मरीजों की 20 पर्चियां हर दिन कटती हैं। यहां मेला लगता है। मरीजों का नंबर नहीं आता। दूसरे और तीसरे दिन नंबर लग पाता है। इसके बाद भी एमआरआई मशीन को शुरू करने में देरी की जा रही है।
5-5 टेक्नीशियन की मिली है स्वीकृति
एमआरआई और सीटी स्केन मशीन के संचालन के लिए कार्यकारिणी की बैठक में डीएमई ने 5-5 टेक्नीशियन की नियुक्ति की अनुमति दी है। हालांकि, यह काम डीन को पहले करना था, लेकिन ऐन मौके पर ही प्रस्ताव रखा गया। अब अनुमति मिलने के बाद भी भर्ती की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है। इससे मरीजों को फायदा नहीं मिल पा रहा है।