सतना जिला अस्पताल के बच्चा वार्ड और पीकू वार्ड में हालात बेहद गंभीर हो चुके हैं। 30 बेड पर 68 बच्चों का इलाज चल रहा है। ब्रोंकाइटिस, वायरल फीवर, निमोनिया और टायफाइड जैसी बीमारियों से पीड़ित बच्चों को मजबूरी में फर्श पर लिटाकर इलाज करना पड़ रहा है। परिजन बेड शेयर करने को तैयार नहीं हैं, जबकि डॉक्टरों का कहना है कि रिकवरी में 5–6 दिन लगने से वार्ड खाली ही नहीं हो पा रहा।
By: Yogesh Patel
Sep 16, 20258:35 PM
हाइलाइट्स
सतना, स्टार समाचार वेब
जिला अस्पताल के बच्चा वार्ड और पीकू में गंभीर बच्चों को जगह नहीं मिल रही है। इलाज के लिए परिजन बेड शेयर करने के लिए भी तैयार नहीं हो रहे हैं। हालत यह है कि बच्चों को मजबूरन फर्श में इलाज करना पड़ रहा है या एक बेड में ही दो बच्चों को लेटाया जा रहा है। बताया गया कि बच्चों में ब्रोंकालाइटिस की बीमारी अब तेजी से देखने को मिल रही है। बच्चों में इस समय निमोनिया, वायरल फीवर के साथ अब फेफड़े की सांस नली में सूजन तक देखने को मिल रही है, जिससे बच्चों में बुखार के साथ खांसी भी आरही है और बच्चा गंभीर स्थिति में पहुंच रहा है, इस बीमारी के चलते बच्चे को रिकवर होने में पांच से छ: दिन लग रहा है।
30 बेड में 68 बच्चे इलाजरत
चिकित्सकों के मुताबिक शिशु वार्ड में वर्तमान में 30 बेड में 68 बच्चे इलाजरत हैं। मरीज के परिजन बेड शेयर करने को तैयार नहीं होते जिस कारण बच्चों को जमीन पर ही इलाज किया जा रहा है। नीचे फर्श में ही इलाज के लिए एक गद्दे पर दो-दो बच्चे लिटाए गए हैं। चिकित्सकों ने कहा कि समझ में ही नहीं आरहा है कि नए आए मरीज बच्चे को कहां लेटकर इलाज करें। बच्चों में इस समय वायरल फीवर, निमोनिया, स्क्रब टाइफस, टायफाइड के साथ अब ब्रोंकालाइटिस कि बीमारी देखने को मिली है। बच्चों कि स्वांस नली में सूजन के चलते बच्चा गंभीर स्थित में पहुंच रहा है। बच्चे के प्लेटलेट्स डाउन हो रहे हैं। बच्चे को रिकवर होने में पांच से छ: दिन तक लग रहे हैं, ऐसे में वार्ड कैसे खाली होगा? चिकित्सकों के मुताबिक यही हाल पीकू वार्ड के भी हैं जहां 10 बेड में 25 से अधिक बच्चे भर्ती हैंै। वार्ड में कई गंभीर बच्चों को सांसनली में सूजन के चलते आॅक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ रही हैै।
15 दिनों में बढ़े ब्रोंका लाइटिस के मरीज
चिकित्सकों के मुताबिक पिछले 15 दिनों से बच्चों में ब्रोंका लाइटिस बीमारी देखने को मिल रही है। वायरल निमोनिया के चलते पहले से बच्चों को रिकवर होने में चार दिन लगता था और अब इस बीमारी के चलते बच्चा और क्रिटिकल स्टेज में पहुंच रहा है जहां रिकवेरी टाइम में भी बढ़ोत्तरी हो रही है। बताया गया कि वार्ड में एनएचएम की गाइड लाइन के हिसाब से स्टाफ तो दिया गया है लेकिन इस समय मरीजों की बढ़ोत्तरी को देखें तो स्टाफ की कमी है। चिकित्सकों की माने तो अभी फिर मौसम में बदलाव आएगा और बच्चे फिर बीमार होंगे।
बीते चार दिन से बच्चा वार्ड में भर्ती है, बच्चे को टायफाइड की शिकायत है। वार्ड में जगह ही नहीं है। बच्चे का जमीन में इलाज किया जा रहा है।
पप्पू पाल, नागौद
बच्चे को पेट में दर्द की शिकायत पर विगत 11 सितम्बर को लेकर आए थे, वार्ड में सभी बेड भरे हुए हैं। कोई भी बेड शेयर करने के लिए तैयार नहीं है। नीचे भी केवल गद्दे दिए गए हैं, चादर घर से ही लेकर आए हैं ।
आराधना सेन, पतौरा
मौसम में बदलाव के चलते बच्चा और पीकू वार्ड फुल है, हमारी प्राथमिकता इलाज करना है। बच्चों में ब्रोंकलाइटिस के केस ज्यादातर देखने को मिल रहे हैं जिसमे रिकवरी में अधिक समय लग रहा है।
डॉ. संजीव प्रजापति, शिशु रोग विशेषज्ञ एवं इंचार्ज पीकू