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महिला सशक्तिकरण के बावजूद सतना में बढ़ते अपराधों का काला सच - जबरिया विवाह के अपहरण में मध्यप्रदेश में अव्वल, बेटियों की सुरक्षा पर उठे सवाल

सतना में महिला सुरक्षा के तमाम दावों के बावजूद हालात चिंताजनक हैं। एनसीआरबी रिपोर्ट के अनुसार, जबरिया विवाह के लिए किए गए अपहरणों में से 20 प्रतिशत मामले केवल सतना जिले में दर्ज हुए। बेटियों को बरगलाकर शादी के नाम पर अपहरण, लज्जा भंग और बलात्कार के मामलों में लगातार वृद्धि समाज और प्रशासन दोनों के लिए गंभीर चेतावनी है।

By: Star News

Oct 07, 20252:27 PM

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महिला सशक्तिकरण के बावजूद सतना में बढ़ते अपराधों का काला सच - जबरिया विवाह के अपहरण में मध्यप्रदेश में अव्वल, बेटियों की सुरक्षा पर उठे सवाल

हाइलाइट्स:

  • एनसीआरबी रिपोर्ट के अनुसार जबरिया विवाह के 20% मामले केवल सतना में दर्ज, 2023 में 356 नाबालिगों का अपहरण।
  • विंध्य में रीवा बलात्कार के मामलों में अव्वल, सतना तीसरे नंबर पर।
  • समाज और अभिभावकों से लेकर पुलिस प्रशासन तक, सबको आत्ममंथन और जवाबदेही की जरूरत।

सतना, स्टार समाचार वेब

महिला सुरक्षा के तमाम उपायों व महिला सशक्तीकरण के तमाम कार्यक्रमों के बावजूद सतना में महिलाओं से जुड़े अपराधों का ग्राफ साल दर साल बढ़ता जा रहा है। खासकर बेटियों को बरगलाकर अपहरण करने के मामले में सतना ने जिस प्रकार की छलांग लगाई है, उससे महिला सुरक्षा के पैरोकार चिंति नजर आ रहे हैं। यदि  राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताजा रिपोर्ट के  चौंकाने वाले आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि  मध्य प्रदेश में जबरिया शादी के लिए नाबालिग लड़कियों के अपहरण के कुल मामलों में से 20 प्रतिशत केवल सतना जिले में  दर्ज हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 में मध्य प्रदेश में कुल 1673 लड़कियों का अपहरण जबरिया विवाह के उद्देश्य से किया गया, जिनमें से 1622 लड़कियां नाबालिग थी। हैरान करने वाली बात यह है कि इनमें से 356 लड़कियों का अपहरण केवल सतना व मैहर  से किया गया।

साल दर साल बढ़ रहा ग्राफ, आंकड़े दे रहे गवाही 

नाबालिंग बेटियों के लिए सतना असुरक्षित बनता जा रहा है। एनसीआरबी के अनुसार, सतना में साल 2020 में 197 लड़कियों का अपहरण जबरदस्ती शादी करने के लिए किया गया, ये सभी नाबालिग थीं। वहीं कुल अपहरण के मामले में इस साल सतना प्रदेश में  पांचवे नंबर पर था। रिपोर्ट बताती है कि साल 2021 में 240 नाबालिगों के अपहरण किए गए, वहीं कुल अपहरणों के मामले में यह पांचवे नंबर पर था। 2022 में 305 नाबालिग लड़कियों का अपहरण जबरदस्ती शादी करने के लिए किया गया, और कुल अपहरणों के मामले में यह छठें नंबर पर था। अगर साल 2018 से 2023 के एनसीआरबी द्वारा जारी आंकड़ों पर नजर डाले तो पता चलता है कि जिले में महिला अपहरण का ग्राफ ं साल-दर-साल लगातार वृद्धि हो रही है। एनसीआरबी से प्राप्त आंकड़ों की तुलना अगर हम विंध्य प्रदेश के अन्य जिलों से करें तो यह स्थिति और भी भयावह दिखती है। रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 में विंध्य प्रदेश में महिला अपहरण के कुल 1350 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 432 मामले जबरिया विवाह के उद्देश्य से अपहरण किए जाने के थे। इनमें से 432 दर्ज मामलों में से 356 वारदातें केवल सतना से ही दर्ज की गर्इं।

विंध्य में रेप में रीवा अव्वल

नाबालिग अपहरण से इतर अन्य मामलों में भी हालात कुछ ठीक नहीं हैं। महिलाओं के लिए जीवन भर नासूर की तरह चुभने वाली बलात्कार की घटनाएं भी बढ़ती जा रही हैं। यदि हम विंध्य क्षेत्र के जिलों को देखें तो रीवा बलात्कार के मामले में विंध्य में सबसे आगे हैं। रिपोर्ट के अनुसार अकेले 2023 में ही रीवा जिले में बलात्कार की 82 घटनाएं दर्ज  हुईं  जबकि सिंगरौली में 73 व सतना में 62 रेप की घटनाएं दर्ज की गई हैं। इसी प्रकार लज्जा भंग के प्रयास के मामले भी महिला सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं। लज्जा भंग के मामले में रिपोर्ट बताती है कि विंध्य में रीवा में सबसे अधिक 107 मामले दर्ज हुए हैं जबकि छतरपुर जिला 102 मामलों के साथ दूसरे नंबर पर है। सतना और पन्ना 75-75  लज्जा भंग के मामलों के साथ संयुक्त रूप से तीसरे नंबर पर है।

समाज को चिंतन की जरूरत 

जिस समाज में स्त्री को देवी का दर्जा दिया गया हो उस समाज में झांसा देकर शादी के नाम पर अपहरण , लज्जा भंग का प्रयास या  बलात्कार जैसी घटनाएं न केवल शर्मसार करती हैं बल्कि समाज को चिंतित भी करती है । कई बार घटनाओं के बाद सरकार और पुलिस के खिलाफ लोगों का गुस्सा सामने आता है लेकिन एक बड़ा सवाल यह है कि इन घटनाओं की रोकथाम की जिम्मेदारी क्या केवल सरकार या पुलिस की है, समाज की नहीं? यदि गहनता से देखें तो ऐसी घटनाएं सरकारी विफलता की कम सामाजिक पतन व नैतिक क्षरण की ओर अधिक इशारा करती है। इन घटनाओं की रोकथाम तभी संभव है जब बचपन से ही लड़कियों को मानसिक और शारीरिक तौर पर सशक्त व जागरूक बनाया ताकि वे किसी के झांसे में न आ सकें और बुरे बर्ताव का प्रतिकार कर सकें। यह जवाबदेही अभिभावकों व समाज को उठानी होगी । वहीं पुलिस व प्रशासन को भी ऐसे मामलों के आरोपियों को कड़े से कड़े दंड तक पहुंचाना होगा ताकि ऐसे अपराधों में संलिप्त अपराधी किसी बेटी को शिकार बनाने से पहले सौ मर्तबा सोचें और अपने कदम वापस ले लें। 

महिला अपराध को हम प्राथमिकता के आधार पर एफआईआर दर्ज करते हैं एवं अपराधियों की शत प्रतिशत गिरफ्तारी करते हैं। समय-समय पर विभाग की महिला प्रभारी द्वारा स्कूल एवं कॉलेजों में जाकर उनके राइट्स से अवगत कराते हैं एवं यह उन्हें बताते हैं कि अगर इस तरह की कोई भी छेड़छाड़ जैसी घटना पर वह बेवाकी से बता सकें और हम महिला अपराध को नियंत्रित कर सकें। हमारा प्रयास है कि हम महिलाओं के बढ़ते अपराधों को शून्य पर ला सकें।

- गौरव राजपूत, पुलिस महानिरीक्षक, रीवा जोन

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