×

नदियों के आरोग्य में समृद्धि का योग: श्रीराम तिवारी

संस्कृति सलाहकार मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश व वीर भारत न्यास के न्यासी सचिव श्रीराम तिवारी का साक्षात्कार

By: Star News

Jun 20, 20258:29 AM

view3

view0

नदियों के आरोग्य में समृद्धि का योग: श्रीराम तिवारी

सुशील शर्मा, संपादक, स्टार समाचार

मध्यप्रदेश की पहचान उसकी कलकल बहती नदियों और समृद्ध जल-संस्कृति से जुड़ी रही है। गाँव-गाँव में बहने वाली नदियाँ, खेतों को जीवन देती बावड़ियां और  कुआँ यहाँ की असली संपन्नता थी। समय ने इस सुनहरे अध्याय को मद्धम कर दिया। नदियाँ सिकुड़ीं, जलस्रोत सूखते चले गए। पर अब मध्यप्रदेश फिर से अपनी जड़ों की ओर लौट रहा है। ‘सदानीरा’ यह सिर्फ एक सरकारी आयोजन नहीं, बल्कि जनआस्था और सामूहिक चेतना का पुनर्जागरण है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश ने ‘विरासत से विकास’ का मंत्र देते हुए जल संरक्षण को अपनी प्राथमिकता में रखा है। इस परिकल्पना को धरातल पर उतारने में जुटे हैं मुख्यमंत्री के संस्कृति सलाहकार और वीर भारत न्यास के न्यासी सचिव श्रीराम तिवारी। प्रस्तुत है उनसे हुई विस्तृत बातचीत —

प्रश्न : ‘सदानीरा’ को आप किस व्यापक अर्थ में देखते हैं?
उत्तर : ‘सदानीरा’ केवल एक आयोजन नहीं है। यह नदियों के आरोग्य का विषय है। आरोग्य यानी स्वास्थ्य और जब नदी स्वस्थ होगी तो धरती, खेत, गाँव और समाज भी स्वस्थ होगा। अनायास ही हमने जाने-अनजाने में प्रकृति से विपुल मात्रा में प्रदत्त जल के सौभाग्य की उपेक्षा की, जिस कारण हम समृद्ध संसार से विपन्नता की ओर चले गए। अब यह भूल सुधारना ही होगी। ‘सदानीरा’ वही सुधारने का प्रयास है। नदी के बहाव को, गाँव के जलस्रोतों को और समाज की सोच को पुनर्जीवित करना।

प्रश्न : सभ्यताओं का जल से नाता आज कैसे समझाना चाहिए?
उत्तर : जल का महत्व अनादिकाल से है। इसकी कमी ने कई सभ्यताओं को संकट में डाला और नष्ट कर दिया। इसलिए भारतीय जनमानस को स्मरण रखना होगा कि जल केवल एक संसाधन नहीं, जीवन का आधार है। अगर हम फिर उपेक्षा करेंगे तो वही दुर्गति होगी जो इतिहास में हुई।

प्रश्न : संस्कृति को आप जल संरक्षण से क्यों जोड़ते हैं?
उत्तर : हमारी संस्कृति समृद्ध रही है। संस्कृति से मनोभाव बनता है और समझ भी। यही मनोभाव संरक्षण का कारण बनता है। पृथ्वी को माता मानना, नदी को देवी कहना, यह केवल आस्था नहीं, पर्यावरण संरक्षण का व्यवहारिक रास्ता भी है। हम जल को देवता मान पूजते हैं, तो जल से अपनत्व स्थापित करते हैं। आज यह मनोभाव जनमानस में  पुनर्स्थापित करना जरूरी है।

प्रश्न : सरकार और जनता में किसका बड़ा रोल है?
उत्तर : एक लोकतांत्रिक समाज में सरकार कोई अलग बात नहीं है। सरकार ही जनता है और जनता ही सरकार है। नेता सिर्फ दिशा देने का काम करते हैं। असली भागीदारी समाज की होती है। गाँव-गाँव में लोग जब तक अपनी नदियों और तालाबों को अपनी जिम्मेदारी नहीं मानेंगे, तब तक कोई योजना टिक नहीं सकती। ‘सदानीरा’ में हम यही सुनिश्चित कर रहे हैं कि योजना कागज पर नहीं, जमीन पर दिखे और वह तभी होगा जब जनता इसके केंद्र में हो।

प्रश्न : सदानीरा में अन्य प्राकृतिक जल स्रोत भी हैं?
उत्तर : देखिए, जल, जंगल, जमीन, अग्नि और वायुमण्डल ये सब जीवन के मूल तत्व हैं। जब तक ये संतुलित नहीं होंगे, तब तक कोई समाज स्वस्थ नहीं रह सकता। ‘सदानीरा’ केवल नदियों को नहीं, जल के अन्य स्रोतों को भी पवित्र और आरोग्य बनाने का संकल्प है। साथ ही हम लोगों में यह भाव विकसित कर रहे हैं कि वे अपनी संस्कृति को समझें, संरक्षण को व्यवहार में उतारें और अगली पीढ़ी को भी यही संस्कार दें। यही असली विकास है।

प्रश्न : सिर्फ संगोष्ठी, काव्य गोष्ठी या जल चित्र प्रदर्शनी से क्या वास्तव में जल संरक्षण होगा?
उत्तर : देखिए, जल संस्कृति हमारी परंपरा रही है। नदी को हमने ‘माँ’ माना, जल को देवता माना। दुर्भाग्य से लोगों की स्मृति से यह विलुप्त हो गये। संगोष्ठी, गोष्ठी या प्रदर्शनी जागरूकता के साधन हैं। जब तक जनमानस की चेतना नहीं जगेगी, तब तक कोई भी तकनीकी योजना टिकाऊ नहीं होगी।

COMMENTS (0)

RELATED POST

स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर: अमृतकाल में ‘स्व’ के तंत्र की स्थापना ही सच्चे भारत निर्माण का मार्ग

1

0

स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर: अमृतकाल में ‘स्व’ के तंत्र की स्थापना ही सच्चे भारत निर्माण का मार्ग

प्रो. रवीन्द्रनाथ तिवारी अपने लेख में कहते हैं कि भारत की 79 वर्षों की स्वाधीनता यात्रा अब वास्तविक स्वतंत्रता की ओर अग्रसर है। वे बताते हैं कि राजनीतिक आज़ादी पर्याप्त नहीं, बल्कि शिक्षा, न्याय, अर्थव्यवस्था और संस्कृति में ‘स्व’ के तंत्र की स्थापना ही असली राष्ट्रनिर्माण है। अमृतकाल का संकल्प भारत को विश्वगुरु पद पर प्रतिष्ठित करने का है।

Loading...

Aug 16, 202511:39 PM

राष्ट्रप्रेम का अर्थ केवल तिरंगा रैली नहीं, बल्कि ईमानदारी से दायित्व निभाना है

1

0

राष्ट्रप्रेम का अर्थ केवल तिरंगा रैली नहीं, बल्कि ईमानदारी से दायित्व निभाना है

जयराम शुक्ल अपने लेख में बताते हैं कि असली राष्ट्रप्रेम तिरंगा रैली निकालने या दिखावे से नहीं, बल्कि अपने-अपने दायित्व को ईमानदारी और निष्ठा से निभाने में है। शहीद पद्मधर सिंह से लेकर कैप्टन विक्रम बत्रा तक के बलिदान का स्मरण करते हुए वे कहते हैं कि तिरंगा आचरण में दिखना चाहिए, आवरण में नहीं।

Loading...

Aug 16, 202511:23 PM

सरकारी अस्पतालों में चंदा, निजी अस्पतालों को बाबुओं का संरक्षण और स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें - स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल

1

0

सरकारी अस्पतालों में चंदा, निजी अस्पतालों को बाबुओं का संरक्षण और स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें - स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल

इस रिपोर्ट में जानिए कैसे सरकारी अस्पतालों में मरीजों से चंदा वसूला जा रहा है, निजी अस्पतालों को विभागीय बाबुओं का संरक्षण मिला है और स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें फैल चुकी हैं। पढ़ें ब्रजेश पाण्डेय की खास रिपोर्ट जो उठाती है स्वास्थ्य व्यवस्था की सच्चाई की परतें।

Loading...

Aug 05, 20255:42 PM

'दादा' श्रीनिवास तिवारी की सौवीं जयंती पर कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने, रीवा की राजनीति गरमाई | निगम-मंडल की कुर्सियों के लिए जोड़-तोड़ शुरू

1

0

'दादा' श्रीनिवास तिवारी की सौवीं जयंती पर कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने, रीवा की राजनीति गरमाई | निगम-मंडल की कुर्सियों के लिए जोड़-तोड़ शुरू

रीवा की राजनीति में एक बार फिर श्रीनिवास तिवारी की जयंती पर कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने आ गए हैं। वहीं बीजेपी में आंतरिक असंतोष, कांग्रेस को बैठे-बिठाए मिला मुद्दा, और निगम-मंडल की कुर्सियों के लिए शुरू हुआ जोड़-जुगाड़, इन सबने विंध्य की राजनीति को और दिलचस्प बना दिया है। पढ़ें वरिष्ठ पत्रकार रमाशंकर मिश्रा का ब्लॉग पॉवर गैलेरी।

Loading...

Aug 02, 20256:16 PM

बिजली के झटके से जागे नेता जी, अफसरशाही की धौंस, और सरपंच साहब का मल्टीब्रांड स्टोर: पावर गैलरी

1

0

बिजली के झटके से जागे नेता जी, अफसरशाही की धौंस, और सरपंच साहब का मल्टीब्रांड स्टोर: पावर गैलरी

पत्रकार धीरेंद्र सिंह राठौर के ब्लॉग पावर गैलरी में पढ़िए — कैसे एक नेता जी दो चुनाव हारने के बाद बिजली के मीटरों की चिंगारी से फिर राजनीति में कूद पड़े हैं। साथ ही जानिए कि कैसे सरकारी कर्मचारी ट्रांसफर के बाद भी अधर में लटके हैं, अफसरशाही ने जनप्रतिनिधियों को बेबस कर दिया है और सरपंच साहब ने पंचायत भवन को दुकान में बदल डाला है।

Loading...

Jul 31, 20257:56 PM

RELATED POST

स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर: अमृतकाल में ‘स्व’ के तंत्र की स्थापना ही सच्चे भारत निर्माण का मार्ग

1

0

स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर: अमृतकाल में ‘स्व’ के तंत्र की स्थापना ही सच्चे भारत निर्माण का मार्ग

प्रो. रवीन्द्रनाथ तिवारी अपने लेख में कहते हैं कि भारत की 79 वर्षों की स्वाधीनता यात्रा अब वास्तविक स्वतंत्रता की ओर अग्रसर है। वे बताते हैं कि राजनीतिक आज़ादी पर्याप्त नहीं, बल्कि शिक्षा, न्याय, अर्थव्यवस्था और संस्कृति में ‘स्व’ के तंत्र की स्थापना ही असली राष्ट्रनिर्माण है। अमृतकाल का संकल्प भारत को विश्वगुरु पद पर प्रतिष्ठित करने का है।

Loading...

Aug 16, 202511:39 PM

राष्ट्रप्रेम का अर्थ केवल तिरंगा रैली नहीं, बल्कि ईमानदारी से दायित्व निभाना है

1

0

राष्ट्रप्रेम का अर्थ केवल तिरंगा रैली नहीं, बल्कि ईमानदारी से दायित्व निभाना है

जयराम शुक्ल अपने लेख में बताते हैं कि असली राष्ट्रप्रेम तिरंगा रैली निकालने या दिखावे से नहीं, बल्कि अपने-अपने दायित्व को ईमानदारी और निष्ठा से निभाने में है। शहीद पद्मधर सिंह से लेकर कैप्टन विक्रम बत्रा तक के बलिदान का स्मरण करते हुए वे कहते हैं कि तिरंगा आचरण में दिखना चाहिए, आवरण में नहीं।

Loading...

Aug 16, 202511:23 PM

सरकारी अस्पतालों में चंदा, निजी अस्पतालों को बाबुओं का संरक्षण और स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें - स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल

1

0

सरकारी अस्पतालों में चंदा, निजी अस्पतालों को बाबुओं का संरक्षण और स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें - स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल

इस रिपोर्ट में जानिए कैसे सरकारी अस्पतालों में मरीजों से चंदा वसूला जा रहा है, निजी अस्पतालों को विभागीय बाबुओं का संरक्षण मिला है और स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें फैल चुकी हैं। पढ़ें ब्रजेश पाण्डेय की खास रिपोर्ट जो उठाती है स्वास्थ्य व्यवस्था की सच्चाई की परतें।

Loading...

Aug 05, 20255:42 PM

'दादा' श्रीनिवास तिवारी की सौवीं जयंती पर कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने, रीवा की राजनीति गरमाई | निगम-मंडल की कुर्सियों के लिए जोड़-तोड़ शुरू

1

0

'दादा' श्रीनिवास तिवारी की सौवीं जयंती पर कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने, रीवा की राजनीति गरमाई | निगम-मंडल की कुर्सियों के लिए जोड़-तोड़ शुरू

रीवा की राजनीति में एक बार फिर श्रीनिवास तिवारी की जयंती पर कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने आ गए हैं। वहीं बीजेपी में आंतरिक असंतोष, कांग्रेस को बैठे-बिठाए मिला मुद्दा, और निगम-मंडल की कुर्सियों के लिए शुरू हुआ जोड़-जुगाड़, इन सबने विंध्य की राजनीति को और दिलचस्प बना दिया है। पढ़ें वरिष्ठ पत्रकार रमाशंकर मिश्रा का ब्लॉग पॉवर गैलेरी।

Loading...

Aug 02, 20256:16 PM

बिजली के झटके से जागे नेता जी, अफसरशाही की धौंस, और सरपंच साहब का मल्टीब्रांड स्टोर: पावर गैलरी

1

0

बिजली के झटके से जागे नेता जी, अफसरशाही की धौंस, और सरपंच साहब का मल्टीब्रांड स्टोर: पावर गैलरी

पत्रकार धीरेंद्र सिंह राठौर के ब्लॉग पावर गैलरी में पढ़िए — कैसे एक नेता जी दो चुनाव हारने के बाद बिजली के मीटरों की चिंगारी से फिर राजनीति में कूद पड़े हैं। साथ ही जानिए कि कैसे सरकारी कर्मचारी ट्रांसफर के बाद भी अधर में लटके हैं, अफसरशाही ने जनप्रतिनिधियों को बेबस कर दिया है और सरपंच साहब ने पंचायत भवन को दुकान में बदल डाला है।

Loading...

Jul 31, 20257:56 PM