सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाला एक गंभीर रोग है, जो गर्भाशय ग्रीवा में शुरू होता है। इस कैंसर का मुख्य कारण ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) नामक यौन संचारित संक्रमण है।
By: Manohar pal
Nov 17, 20256:05 PM
सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाला एक गंभीर रोग है, जो गर्भाशय ग्रीवा में शुरू होता है। इस कैंसर का मुख्य कारण ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) नामक यौन संचारित संक्रमण है। हालांकि एचपीवी संक्रमण हो बहुत आम बात है, क्योंकि ये जरूरी नहीं है कि हर संक्रमित महिला को कैंसर हो। अधिकांश एचपीवी संक्रमणों का शरीर अपने आप ही सामना कर लेता है और वे दो साल के भीतर ठीक हो जाते हैं।
मगर इस वायरस के विकास में हमारी रोजमर्रा की कुछ आदतें इसमें बड़ी भूमिका निभाती है। ये आदतें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देती हैं, जिससे शरीर HPV संक्रमण से प्रभावी ढंग से लड़ नहीं पाता और संक्रमण लंबे समय तक बना रहता है, जो आखिरकार कैंसर का रूप ले लेता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, अगर हम इसके जोखिम कारण की मूल वजह समझ लें और सही समय पर आवश्यक सावधानियां बरतें तो इस बीमारी को रोका जा सकता है। आइए इस लेख में इसी के बारे में विस्तार से जानते हैं साथ ही ये भी जानेंगे कि दिनचर्या की कौन सी गलतियां इसके जोखिम को कई गुना बढ़ा देती हैं।
धूम्रपान और तम्बाकू का सेवन
सर्वाइकल कैंसर के जोखिम को बढ़ाने वाली सबसे बड़ी गलती है किसी भी रूप में धूम्रपान या तम्बाकू का सेवन करना। तम्बाकू के धुएं में मौजूद हानिकारक रसायन फेफड़ों के साथ-साथ रक्तप्रवाह के माध्यम से गर्भाशय ग्रीवा तक पहुंच जाते हैं। ये केमिकल HPV से संक्रमित कोशिकाओं के डीएनए को क्षतिग्रस्त करते हैं, जिससे कोशिकाओं का कैंसर में बदलना आसान हो जाता है।
स्क्रीनिंग टेस्ट (पैप स्मीयर) को टालना
नियमित रूप से सर्वाइकल स्क्रीनिंग टेस्ट न कराना एक बड़ी लापरवाही है। यह टेस्ट गर्भाशय ग्रीवा में होने वाले प्रीकैंसरस बदलावों को कैंसर बनने से पहले ही पहचान लेता है। 25 से 65 वर्ष की महिलाओं को नियमित रूप से स्क्रीनिंग करानी चाहिए। इस टेस्ट को टालना कैंसर के शुरू होने के जोखिम को बढ़ा देता है।
ये आदतें इस बीमारी का जोखिम बढ़ा देती हैं
खराब आहार खाने से सर्वाइकल कैंसर का खतरा काफी बढ़ जाता है। जब लोग प्रोसेस्ड फूड ज्यादा खाते हैं और फल-सब्जियां बहुत कम खाते हैं, तो उनकी डाइट में एंटीऑक्सीडेंट्स की कमी हो जाती है। इस कमी के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) कमजोर हो जाती है। कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों में HPV संक्रमण से लंबे समय तक लड़ने की क्षमता नहीं होती है, जिससे संक्रमण बना रहता है और कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है।
मल्टीपल प्रेग्नेंसी और गर्भनिरोधक गोलियां
कम उम्र में पहली प्रेग्नेंसी होना और बार-बार गर्भवती होना गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं को अधिक संवेदनशील बना देता है। इसके अलावा, लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग करना भी सर्वाइकल कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है। इसलिए किसी भी तरीके का गर्भनिरोधक गोली खाने से पहले डॉक्टर से जरूर सलाह लेनी चाहिए।